कल की पोस्ट पर आया कमेन्ट केवल एक स्मित की रेखा छोड़ गया । लोग नैतिकता पर बहस करना चाहते हैं क्युकी नैतिकता पर सिर्फ़ बहस ही होनी चाहिये कोई कार्यवाही नहीं ।
जागो इंडिया जागो वाला विज्ञापन बहुत सटीक लगता हैं यहाँ ।
आज फिर नज़र डाली तो एक सक्रियता क्रम पर नज़र गयी और उसी को यहाँ दिया हैं । अब देखने की बात ये हैं की इन मे से कितने सरकारी संस्थानों मे हैं और उनके ब्लॉग पर कमाई के साधन यानी एड हैं ।
1. उड़न तश्तरी ....
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9. दीपक भारतदीप की शब्द- पत्रिका
10. दीपक भारतदीप की शब्दलेख-पत्रिका
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12. चिठ्ठा चर्चा
13. दीपक भारतदीप का चिंतन
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15. शब्दों का सफर
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17. रचनाकार
18. शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय का ब्लॉग
19. कस्बा qasba
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21. आलोक पुराणिक की अगड़म बगड़म
22. घुघूतीबासूती
23. अनवरत
24. तीसरा खंबा
25. महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर (Suresh Chiplunkar)
26. दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका
27. अमीर धरती गरीब लोग
28. लो क सं घ र्ष !
29. कबाड़खाना
30. एकोऽहम्
31. आवाज़
32. उन्मुक्त
33. नारी
34. दिल की बात
35. Vyom ke Paar...व्योम के पार
36. समाजवादी जनपरिषद
37. कुछ मेरी कलम से kuch meri kalam se **
38. क्वचिदन्यतोअपि..........!
39. सच्चा शरणम्
40. साहित्य शिल्पी
हम्म्म्म्म्म....
ReplyDeleteलेकिन आपका ब्लौग आपके पुराने पोस्टों की सूचि क्यॊं नहीं दिखा रहा? पुराने पोस्ट पढ़ना हो तो कहाँ क्लीक करू?
गौतमजी,
ReplyDeleteसबसे नीचे older post पर क्लिक करें तो आपको पुरानी पोस्ट पढ़ने को मिल जायेंगी।
मुद्दे की नैतिकता पर बहस भी होना चाहिये और कार्यवाही भी।
ReplyDeleteक्या आप कार्यवाही करने का अधिकार रखती हैं तो इनको छोड़िये ये बेचारे सरकारी कर्मचारी तो केवल अपने मन की लिख रहे हैं और कुछ कमाई होने का सपना देख रहे हैं, या जो कमा रहे हैं वो बहुत ही कम कमा रहे हैं, अगर आपको मोर्चा संभालना ही है तो फ़िर सभी जगह जाकर संभालिये, जो सरकारी कर्मचारी बिना बताये व्यवसाय कर रहे हैं उनके ऊपर कार्यवाही करकर बताईये, जो भ्रष्टाचार से अपनी जेबें भर रहे हैं उनके ऊपर कार्यवाही करकर बताईये। नहीं मैडम आप यह नहीं कर पायेंगी आप केवल ब्लोग पर लिख सकती हैं, चेतना जगा सकती हैं, आत्मग्लानि के लिये मजबूर कर सकती हैं परंतु सरकारी आदमी को सुधार नहीं सकती हैं।
ऐसे सार्वजनिक मंच पर लिखने से अच्छा है कि आप एक याचिका दायर कर दें (और केवल ब्लोग से होने वाली कमाई को ही न शामिल करें सभी सरकारी कर्मचारी जो निजी व्यवसाय में संलग्न हैं उन्हें भी लपेटें)या फ़िर सबको निजी ईपत्र व्यवहार करके भी समझा सकती हैं। पर ऐसे कटाक्ष तो सभी के दिल को चीर जायेगा। बाकी आपकी मर्जी, आखिरकार सारे सरकारी ब्लोगरों को सुधारने का आपने बीड़ा जो उठाया है।
नैतिकता की बातें ही अच्छी लगती हैं !!! कार्य वाही कौन करता है !!
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