पढ़े लिखे जाहिल ?? किसको को और कब कहना सही माना जायेगा
मुहावरे अपने आप निकलते हैं , मेरा मानना ये हैं । आप क्या कहते हैं जब भी हम अभिव्यक्त करते हैं क्या मुहावरे अपने आप नहीं बे साख्ता मुहं से निकालते हैं
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
April 30, 2010
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Where is the post?
ReplyDeleteयदि आपको घटिया पोस्टों पर वाहवाही करने वाले जाहिल देखने हों तो कृपया इस लिंक पर जाएँ.
ReplyDeletehttp://kaduvasach.blogspot.com/2010/04/blog-post_29.html
है तो ये त्रासदी!
ReplyDeleteपर होते है पढ़े लिखे जाहिल भी!एक-आध का जिक्र भी कर दिया होता तो भला था!
कुंवर जी,
मतलब वहाँ लोग पढ़े लिखे हैं और टिप्पणियाँ कर रहे।यहाँ अनपढ़ पोस्ट लिखने बैठ गए।फिर अनपढ ज्योत्सना से टिप्पणी भी करवा दिए।हद होती है किसी चीज की।अरे कब तक दूसरों की उतरन से अपना काम चलाओगी रचना।कभी खुद भी ऐसा लिखो कि लोग दौड़े आएँ तुम्हे पढने।मानसिकता दो शब्दों से ही दिखती है।यहान दो दो लाईने है।वो भी किसी और की।अब तो विश्वास हो गया कि मानसिक रोगा ताउम्र बना रहता है।मोदेरेशन है इसलिये लिखे जा रहा हूँ यह कौन सा पब्लिश होना है।हो भी गया तो सब मुंह दबा कर हसेंगे।उतरन से काम चलाना अब बन्द कर दो।अपना खुद का ओडना बिछाना शुरू करो
ReplyDeleteवाह पहले एक नाम से कमेन्ट करो फिर दूसरे नाम से उसी कमेन्ट को गलियाँ दो । किसी कि पोस्ट पर २९ कमेन्ट डालो और उम्मीद करो सब पुब्लिश हो । क्या वो सब कमेन्ट मे पढ़ती हूँ , जी नहीं क्युकी कमेन्ट ईमेल मे नहीं लेती
ReplyDeleteदो लाइन कि प्सोत पर इतना हडकंप वो भी उनके दुआरा जो एक दूसरे को अनाम बताते हैं
जय हो