दिल्ली मे मीटिंग मे बालेन्दु जी ने कहा था कि पिछले एक साल में ब्लोगिंग नीचे आगई हैं आप कभी सोच कर देखियेगा कि पिछले एक साल से पहले कितनी ब्लॉगर मीट हुई हैं । कहीं ऐसा तो नहीं हैं इस मिलने मिलाने , पीने पिलाने मे ब्लोगिंग खत्म हो रही हैं ।
५००० - १०००० रूपए एक रात मे खर्च करने कि सामर्थ्य सब कि नहीं हो सकती । तो ऐसी पार्टी मे वही जायेगे जो रिटर्न मे इतना खर्च करने कि सामर्थ्य रखते होगे । और जो रिटर्न कि सामर्थ्य के बिना इन पार्टियों का मज़ा रखते हैं उनको क्या कहा जायेगा ये आप को कुछ दिन मे दिख जायेगा ।
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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आपकी बात से संकेत मिल रहा है. पूरी बात पकड़ में नहीं आ रही.
ReplyDeleteमिलना मिलाना सामर्थ्यानुसार ही हो।
ReplyDeleteदेखते हैं जी
ReplyDeleteलेकिन अभी तो मुझे नहीं लगता कि कोई रिटर्न के लिये ये मिलन कराता है।
आपकी बात श्री सुरेश जी के पिछले कमेंट से मेल खाती है, जिसमें उन्होंने मीटिंग करवाना "स्वार्थ की भावना से प्रेरित" कहा था।
प्रणाम
अंतर सोहेल जी रिटर्न का मतलब था कि अगर मै कहीं जाती हूँ तो कभी ना कभी जिस जगह मे जाती हूँ उसके हिसाब से मुझ भी खर्च करना होगा । यानी अगर मै किसी ऐसी मीट मै शिरकत करती हूँ जहां ५००० रूपए किसी एक व्यक्ति ने खर्च किये हैं तो या तो मै अपना हिस्सा दूंगी या अपने आप उतनी बड़ी मीट करवाने कि हसियत रखूंगी ।
ReplyDeleteप्रणाम
the one who is organizing the meet is not expecting a return but the one who is attending the meet should be in a capacity to organize a meet in return of the same level
samajik sambandh isi tarah sakriya evam gatishil rahti hai...........
ReplyDeleteadan pradan hi to vaykti ko vayktigat se samajgat arthbodh deta hai......
yse aapki sankayen nirmool nahi....
tokne wale hone hi chahiye ........
bakaul----------"o samoohik samajik
vybhar jise niyantran karnewala koi
pra ya swa sanhita nahi ho to oos
vybhar me manviya sadgun apni pragya chorkar pashwik prabritti apna leti hai"
pranam.