कल खबर थी कि सचिन तेंदुलकर ने एहमदाबाद मे मकान के लिये जमीन खरीदी हैं ।
पहले ही अमिताभ बच्चन गुजरात के ब्रांड एम्बस्सीडर बन चुके हैं ।
और ये दोनों ही वो हैं जिनके लिये समाना मे लिखा जा चुका हैं ।
इन दोनों का ये जवाब शायद आंखे खोल सके उनलोगों कि जिन्होने बम्बई को मुंबई बना दिया । वो लोग जो भारत रतन के सच्चे हक़दार हैं उनका जवाब शांत सही पर हैं टंकार वाला
आदर्श सोसाइटी का काण्ड चलता रहेगा क्युकी हमारे यहाँ नीति हैं कि पहले गैर क़ानूनी ढंग से कब्ज़ा करो और फिर उसको क़ानूनी जमा पहना दो ।
आदर्श सोसाइटी मे ये कुछ बड़े पैमाने पर हुआ हैं और संभव हैं किसी को फ्लैट ना मिला हो और उसने विसिल बजा दी हो !!!!!! इस बिल्डिंग को नष्ट कर देना चाहिये चाहे इस मे कितना भी आर्थिक नुक्सान क्यूँ ना हो क्यूँ कि ये पर्यावरण के हिसाब से भी गलत हैं । लेकिन कुछ नहीं होगा । बीस साल ३० साल निकल जायेगे आर टी आयी लागने वाले लडते रहेगे और जांच आयोगों पर बिल्डिंग बनाने से ज्यादा खर्चा आयेगा ।
ये हमारी संस्कृति बनती जा रही हैं कि जहां भी कोई गलत बात का प्रतिकार करता हैं उसको विद्रोह और विवाद का नाम दिया जाता हैं ।
ना जाने कितनी जगह इललीगल कंस्ट्रक्शन होते हैं और बाद मे सरकार कानून बना कर उनको लीगल कर देती हैं "आम आदमी कि दुहाई दे कर " लेकिन क्या वाकई आम आदमी का फायदा होता हैं ?? उनका क्या जो लीगल तरह से रह रहे है ?
राम प्रस्थ कालोनी दिल्ली से सटी यु पी कि एक फ्री होल्ड कालोनी हैं । १९७० मे ये बनी थी और यहाँ १५०० प्लाट थे २०० गज से ८०० गज के जिन पर कोठी और २.५ मंजिल मकान का प्रावधान था । ४० % एरिया खुला रखना था । बहुत से लोगो ने उस समय यहाँ प्लाट लिये थे जो सब ज्यादातर मिडिल क्लास के थे क्युकी उस समय जमीं का मूल्य मात्र २५ रूपए गज था । आज वो सब लोग सीनियर सिटिज़न हो गए हैं और सुबह से शाम तक उनको यहाँ लड़ना पड़ता हैं क्युकी अब यहाँ उनके मकानों के बगल मे १२ - १२ फ्लैट बनगए हैं और वो सब गैर कानूनी हैं । उनको 10% एरीया खाली रखना हैं . इलाहाबाद कोर्ट मे मुकदमा चल रहां है सन २००० से । ये फैसला भी आ चुका हैं कि ये सब गैर क़ानूनी ढंग से सरकारी अफसरों कि मिली भगत से हुआ हैं । जो फ्लैट मे रहते हैं उनको कोठी मे रहने वालो से प्रॉब्लम हैं क्युकी उनको लगता हैं इतनी जगह क्यूँ हैं ४-५ लोगो के परिवार के पास जबकि उसकी १/१२ जगह मे वो हैं । लेकिन जो कोठी मे हैं उनसे टैक्स भी ज्यादा लिया जाता हैं और उनकी बुनियादी सुविधाये जिन के लिये वो ज्यादा टैक्स दे रहे हैं वो उनको नहीं मिलती ।
कितनी बार ये फ्लैट गिराने कि बात उठती हैं पर हर बार पैसा ले दे कर रफा दफा हो जाती हैं । सीनियर सिटिज़न को दबया जाता हैं कि वो प्लाट बिल्डर को बेच दे ।
आम आदमी वो भी हैं जो फ्लैट मे हैं और वो भी जिसने कोठी बनायी हैं पर कौन कानूनी तरीके से हैं और कौन गर क़ानूनी देखने कि बात ये हैं । लेकिन कानून कि बात किसी कि समझ मे नहीं आती ।
ना जाने कितनी "आदर्श " सोसाइटी हमारे समाज मे पनप रही हैं क्युकी सजा का प्रावधान ही नहीं हैं ।
पहले ही अमिताभ बच्चन गुजरात के ब्रांड एम्बस्सीडर बन चुके हैं ।
और ये दोनों ही वो हैं जिनके लिये समाना मे लिखा जा चुका हैं ।
इन दोनों का ये जवाब शायद आंखे खोल सके उनलोगों कि जिन्होने बम्बई को मुंबई बना दिया । वो लोग जो भारत रतन के सच्चे हक़दार हैं उनका जवाब शांत सही पर हैं टंकार वाला
आदर्श सोसाइटी का काण्ड चलता रहेगा क्युकी हमारे यहाँ नीति हैं कि पहले गैर क़ानूनी ढंग से कब्ज़ा करो और फिर उसको क़ानूनी जमा पहना दो ।
आदर्श सोसाइटी मे ये कुछ बड़े पैमाने पर हुआ हैं और संभव हैं किसी को फ्लैट ना मिला हो और उसने विसिल बजा दी हो !!!!!! इस बिल्डिंग को नष्ट कर देना चाहिये चाहे इस मे कितना भी आर्थिक नुक्सान क्यूँ ना हो क्यूँ कि ये पर्यावरण के हिसाब से भी गलत हैं । लेकिन कुछ नहीं होगा । बीस साल ३० साल निकल जायेगे आर टी आयी लागने वाले लडते रहेगे और जांच आयोगों पर बिल्डिंग बनाने से ज्यादा खर्चा आयेगा ।
ये हमारी संस्कृति बनती जा रही हैं कि जहां भी कोई गलत बात का प्रतिकार करता हैं उसको विद्रोह और विवाद का नाम दिया जाता हैं ।
ना जाने कितनी जगह इललीगल कंस्ट्रक्शन होते हैं और बाद मे सरकार कानून बना कर उनको लीगल कर देती हैं "आम आदमी कि दुहाई दे कर " लेकिन क्या वाकई आम आदमी का फायदा होता हैं ?? उनका क्या जो लीगल तरह से रह रहे है ?
राम प्रस्थ कालोनी दिल्ली से सटी यु पी कि एक फ्री होल्ड कालोनी हैं । १९७० मे ये बनी थी और यहाँ १५०० प्लाट थे २०० गज से ८०० गज के जिन पर कोठी और २.५ मंजिल मकान का प्रावधान था । ४० % एरिया खुला रखना था । बहुत से लोगो ने उस समय यहाँ प्लाट लिये थे जो सब ज्यादातर मिडिल क्लास के थे क्युकी उस समय जमीं का मूल्य मात्र २५ रूपए गज था । आज वो सब लोग सीनियर सिटिज़न हो गए हैं और सुबह से शाम तक उनको यहाँ लड़ना पड़ता हैं क्युकी अब यहाँ उनके मकानों के बगल मे १२ - १२ फ्लैट बनगए हैं और वो सब गैर कानूनी हैं । उनको 10% एरीया खाली रखना हैं . इलाहाबाद कोर्ट मे मुकदमा चल रहां है सन २००० से । ये फैसला भी आ चुका हैं कि ये सब गैर क़ानूनी ढंग से सरकारी अफसरों कि मिली भगत से हुआ हैं । जो फ्लैट मे रहते हैं उनको कोठी मे रहने वालो से प्रॉब्लम हैं क्युकी उनको लगता हैं इतनी जगह क्यूँ हैं ४-५ लोगो के परिवार के पास जबकि उसकी १/१२ जगह मे वो हैं । लेकिन जो कोठी मे हैं उनसे टैक्स भी ज्यादा लिया जाता हैं और उनकी बुनियादी सुविधाये जिन के लिये वो ज्यादा टैक्स दे रहे हैं वो उनको नहीं मिलती ।
कितनी बार ये फ्लैट गिराने कि बात उठती हैं पर हर बार पैसा ले दे कर रफा दफा हो जाती हैं । सीनियर सिटिज़न को दबया जाता हैं कि वो प्लाट बिल्डर को बेच दे ।
आम आदमी वो भी हैं जो फ्लैट मे हैं और वो भी जिसने कोठी बनायी हैं पर कौन कानूनी तरीके से हैं और कौन गर क़ानूनी देखने कि बात ये हैं । लेकिन कानून कि बात किसी कि समझ मे नहीं आती ।
ना जाने कितनी "आदर्श " सोसाइटी हमारे समाज मे पनप रही हैं क्युकी सजा का प्रावधान ही नहीं हैं ।
इसके बावजूद कई "भले" लोग अभी भी इस आशा पर सड़ रहे हैं कि शायद अदालतें और लोकतन्त्र से इस कैंसर से लड़ लेंगे…
ReplyDeleteजबकि "कैंसर" से निपटना हो तो पैरासिटामोल से काम नहीं चलेगा… एक "बड़ा ऑपरेशन" सख्त आवश्यक है।
रचना जी, बहुत सही लिखा है आपने...
ReplyDeleteआगरा में एक बिल्डर है पुष्पांजली कन्सट्र्क्शन....इन्होने बहुत सी इमारते बनाई है....उनमें से दो को तोडने का कई बार आडर आ चुका है कई साल पहले...क्यौंकि वो दोनों इमारतें तालाबों में मिट्टी कुडा भरके बनाई गई है...
लेकिन आजतक वो इमारते सलामत है..
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"दहशतगर्द कौन और गिरफ्तारियां किन की, अब तो सोचो......! "
"कुरआन का हिन्दी अनुवाद (तर्जुमा) एम.पी.थ्री. में "
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यथा-तथ्य बात...!
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