हम बिजली की कमी के भारी संकट की तरफ बढ़ रहे हैं ।
पता नहीं आप में से कितने लोग जानते हैं की बिजली बनाने के लिये जो कोयला उपयोग में आता हैं इस समय केवल एक सप्ताह भर के लिये जितना कोयला लगता हैं उतना ही मौजूद हैं ।
आगे क्या होगा पता नहीं ??
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
October 27, 2011
October 26, 2011
जरुरी सूचना
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गूगल बज़ को गूगल रिटायर कर रहा हैं
ज्यादा जानकारी यहाँ हैं
Google Buzz is going away, but your posts are yours to keep
In a few weeks we'll be retiring Google Buzz. At that time you won't be able to create any new posts, but your existing content will remain accessible in two ways:
You can view it on your Google Profile
You can download it using Google Takeout
Thank you for using Google Buzz.
http://mail.google.com/support/bin/answer.py?hl=en-GB&ctx=mail&answer=1698228
सभी को दीवाली की शुभकामनाये
सबके मन के अंधरे दूर हो और
मेरा देश हमेशा आगे बड़े और हम उसकी स्वतंत्रता के लिये अपनी जान न्योछावर करने को तैयार रहे ।
हमारे हर फौजी के हर दिवाली के दिये की रौशनी इतनी तेज हो की दुश्मन की आंखे चौधिया जाए
जय श्री राम
वन्दे मातरम
जय हिंद
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सभी को दीवाली की शुभकामनाये
सबके मन के अंधरे दूर हो और
मेरा देश हमेशा आगे बड़े और हम उसकी स्वतंत्रता के लिये अपनी जान न्योछावर करने को तैयार रहे ।
हमारे हर फौजी के हर दिवाली के दिये की रौशनी इतनी तेज हो की दुश्मन की आंखे चौधिया जाए
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October 22, 2011
क्या क़ोई ये भ्रम दूर कर सकता हैं ?? सेवा - कर्त्तव्य
क़ोई भी जो अपने बुजुर्ग माँ -पिता के साथ रहता हैं और उनके काम करता हैं उसको सेवा क्यूँ कहा जाता हैं ?? कर्त्तव्य क्यूँ नहीं ?
सेवा करना तो तब होता अगर आप किसी अनजान व्यक्ति जिसने आप के लिये कभी कुछ ना किया हो करते , माँ - पिता के लिये तो कर्त्तव्य या ड्यूटी मात्र हैं ।
माँ - पिता जब बच्चो को बड़ा करते हैं तो अगर वो कर्त्तव्य हैं तो बच्चे जब माँ - पिता के लिये कुछ करते हैं तो वो सेवा क्यूँ
क्या क़ोई ये भ्रम दूर कर सकता हैं ??
सेवा करना तो तब होता अगर आप किसी अनजान व्यक्ति जिसने आप के लिये कभी कुछ ना किया हो करते , माँ - पिता के लिये तो कर्त्तव्य या ड्यूटी मात्र हैं ।
माँ - पिता जब बच्चो को बड़ा करते हैं तो अगर वो कर्त्तव्य हैं तो बच्चे जब माँ - पिता के लिये कुछ करते हैं तो वो सेवा क्यूँ
क्या क़ोई ये भ्रम दूर कर सकता हैं ??
October 19, 2011
सुरेश चिपलूनकर जी कहां हो , क्यूँ निस्पक्ष होकर इस समय कुछ नहीं लिखा ?
सुरेश चिपलूनकर जी और वो सब भारतीये संस्कृति के उपसाक जो हर बात में नयी पीढ़ी की मोरल मोलिसिंग करते हैं ख़ास कर महिला की बिलकुल इग्नोर कर गए एक खबर को क्यूँ ??
ठाकरे परिवार के जलसे में मुन्नी बदनाम , जलेबी बाई और शीला की जवानी पर ठुमके लगते रहे और बाबा साहिब ठाकरे की पोते श्री मज़े लेते रहे ।
बाद में उद्धव ठाकरे जी ने कहा भाई नयी पीढ़ी हैं और पार्टी के पी आर ओ कहने लगे मीडिया वो सब देखे जो पार्टी महाराष्ट्र के उत्थान के लिये करती हैं ये प्रोग्राम तो छोटा सा था ।
पोते श्री ने कुछ जवान होने जैसा जुमला दिया ।
कहा हैं वो भारतीये संस्कार जिनकी दुहाई दे कर अमिताभ और सचिन को हडकाया जाता रहा ??
कहां हैं वो भारतीये संस्कार जो महिला के साड़ी ना पहनने पर उसको रंडी तक का तमगा दिया जाता रहा ?
कहा सो गया सारा जमीर ठाकरे परिवार का , अरे और कुछ नहीं तो कम से कम अपने पोते के खिलाफ ही मीडिया में ब्यान देते ।
दूसरो के माँ बाप क्या संस्कार देते हैं ये तो हमेशा सुना दिया जाता हैं पर ये कट्टर हिन्दू परिवार अपनी आने वाली पीढ़ी को क्या संस्कार दिये हैं ।
और वो सब हिन्दू वादी ब्लॉगर क्यूँ मौन धारण किये हैं इस मुद्दे पर , क्यूँ निस्पक्ष होकर इस समय किसी ने कुछ नहीं लिखा ?
ठाकरे परिवार के जलसे में मुन्नी बदनाम , जलेबी बाई और शीला की जवानी पर ठुमके लगते रहे और बाबा साहिब ठाकरे की पोते श्री मज़े लेते रहे ।
बाद में उद्धव ठाकरे जी ने कहा भाई नयी पीढ़ी हैं और पार्टी के पी आर ओ कहने लगे मीडिया वो सब देखे जो पार्टी महाराष्ट्र के उत्थान के लिये करती हैं ये प्रोग्राम तो छोटा सा था ।
पोते श्री ने कुछ जवान होने जैसा जुमला दिया ।
कहा हैं वो भारतीये संस्कार जिनकी दुहाई दे कर अमिताभ और सचिन को हडकाया जाता रहा ??
कहां हैं वो भारतीये संस्कार जो महिला के साड़ी ना पहनने पर उसको रंडी तक का तमगा दिया जाता रहा ?
कहा सो गया सारा जमीर ठाकरे परिवार का , अरे और कुछ नहीं तो कम से कम अपने पोते के खिलाफ ही मीडिया में ब्यान देते ।
दूसरो के माँ बाप क्या संस्कार देते हैं ये तो हमेशा सुना दिया जाता हैं पर ये कट्टर हिन्दू परिवार अपनी आने वाली पीढ़ी को क्या संस्कार दिये हैं ।
और वो सब हिन्दू वादी ब्लॉगर क्यूँ मौन धारण किये हैं इस मुद्दे पर , क्यूँ निस्पक्ष होकर इस समय किसी ने कुछ नहीं लिखा ?
October 13, 2011
ज्वालामुखी से ब्लॉग जगत तक
मेरा कमेन्ट यहाँ
क्रोध के लिये कहते हैं की वो जिस बर्तन में रहता हैं उसको नष्ट करता हैं यानी उसका बहना ही सही हैं
और आज कल तो बर्फ के नीचे भी ज्वालामुखी हैं सो बताना मुश्किल ही हैं की लावा कहां कहां से निकला और कहां कहां बहा !!!
क्रोध हमेशा तबाही लाता हैं नहीं क्रोध किस रूप में होता हैं और किसके विरुद्ध होता हैं फरक इस से पड़ता हैं
शिव का तांडव , काली का मर्दन अगर ना होते तो दुनिया में तबाही वैसे ही आजाती
और अग्नि से ज्यादा पवित्र कुछ नहीं होता , जो जलता हैं उसे तो जलना ही था
शाश्वत क्या हैं बस प्रेम हैं पर प्रेम से लोगो की उम्मीदे ज्यादा होती हैं
लोग देना नहीं चाहते सबको बस मिलना चाहिये प्रेम सो जब दिया नहीं तो पाओगे कैसे
ब्लॉग जगत में पलीता लगा कर तमाशा देखने वाले बहुत हैं , ये ढोंगी हैं और अपने मकसद के लिये किसी को भी पलीता बना देते हैं और फिर गायब रहते हैं जब राख इकट्ठी हो जाती हैं तो आकर छान कर अस्थि विसरर्जन करना चाहते हैं
इन जैसो के लिए दावानल का बहना ही सही हैं ताकि ना राख बने और इनको किसी की अस्थियों का विसर्जन का सुख ना मिले जहां भी हाथ से ये खोजे वहाँ केवल आग ही आग हो
तुम्हारे जवाब का इंतज़ार हैं की क्या वास्तव में क्रोध का होना विनाश हैं
क्रोध के लिये कहते हैं की वो जिस बर्तन में रहता हैं उसको नष्ट करता हैं यानी उसका बहना ही सही हैं
और आज कल तो बर्फ के नीचे भी ज्वालामुखी हैं सो बताना मुश्किल ही हैं की लावा कहां कहां से निकला और कहां कहां बहा !!!
क्रोध हमेशा तबाही लाता हैं नहीं क्रोध किस रूप में होता हैं और किसके विरुद्ध होता हैं फरक इस से पड़ता हैं
शिव का तांडव , काली का मर्दन अगर ना होते तो दुनिया में तबाही वैसे ही आजाती
और अग्नि से ज्यादा पवित्र कुछ नहीं होता , जो जलता हैं उसे तो जलना ही था
शाश्वत क्या हैं बस प्रेम हैं पर प्रेम से लोगो की उम्मीदे ज्यादा होती हैं
लोग देना नहीं चाहते सबको बस मिलना चाहिये प्रेम सो जब दिया नहीं तो पाओगे कैसे
ब्लॉग जगत में पलीता लगा कर तमाशा देखने वाले बहुत हैं , ये ढोंगी हैं और अपने मकसद के लिये किसी को भी पलीता बना देते हैं और फिर गायब रहते हैं जब राख इकट्ठी हो जाती हैं तो आकर छान कर अस्थि विसरर्जन करना चाहते हैं
इन जैसो के लिए दावानल का बहना ही सही हैं ताकि ना राख बने और इनको किसी की अस्थियों का विसर्जन का सुख ना मिले जहां भी हाथ से ये खोजे वहाँ केवल आग ही आग हो
तुम्हारे जवाब का इंतज़ार हैं की क्या वास्तव में क्रोध का होना विनाश हैं
October 10, 2011
कुछ ब्लॉगर अपने कमेन्ट से पहचाने जाते हैं -आप पहचानिये और नाम बताईये
कुछ ब्लॉगर अपने कमेन्ट से पहचाने जाते हैं
आप पहचानिये और नाम बताईये
शुभकामना ब्लॉगर
जय हिंद ब्लॉगर
जय हिंद जय बुन्देलखंड ब्लॉगर
सुंदर प्रस्तुति ब्लॉगर
आभार ब्लॉगर
राम राम ब्लॉगर
और जब इनको पहचान ले तो कुछ हिंट आप भी दे जिन्हे मै पहचाने की कोशिश करूँ
कमेन्ट मोडरेशन सक्षम हैं
सुबह तक के लिये
आप पहचानिये और नाम बताईये
शुभकामना ब्लॉगर
जय हिंद ब्लॉगर
जय हिंद जय बुन्देलखंड ब्लॉगर
सुंदर प्रस्तुति ब्लॉगर
आभार ब्लॉगर
राम राम ब्लॉगर
और जब इनको पहचान ले तो कुछ हिंट आप भी दे जिन्हे मै पहचाने की कोशिश करूँ
कमेन्ट मोडरेशन सक्षम हैं
सुबह तक के लिये
October 08, 2011
टिपण्णी चेपू ब्लॉगर
अब आप कहेगे ये टिपण्णी चेपू ब्लॉगर कौन होते हैं ।
जी ये वो ब्लॉगर सम्प्रदाय हैं जो आप को किसी किसी ब्लॉग पर हर पोस्ट पर कमेन्ट करता दिखता हैं लेकिन अगर उसी ब्लॉग की क़ोई पोस्ट किसी और जगह किसी प्रसंगवश वाद विवाद संवाद की क्रिया प्रतिक्रिया योजना में किसी और ब्लॉग पर संगृहीत हो गयी हैं तो यही ब्लोगर वहाँ भी कमेन्ट लिखता दिखेगा
"अच्छा लगा आप का लिखना , आप जो कह रहे हैं सही कह रहे हैं । आप के पोस्ट का उद्देश्य बहुत अच्छा हैं । आप का ये प्रयास निरंतर जारी रहे "
अब जिस की पोस्ट की वहाँ धजियाँ उड़ रही हैं वो सोच रहा हैं की कल तक , पिछले ६ महीने से यही या मिलते जुलते शब्द मेरे ब्लॉग पर इनके थे आज जो मेरे ऊपर लिख रहा हैं ये वहाँ भी वही लिख रहे हैं ।
कभी क़ोई इनसे ये पूछने की हिमाकत कर बैठे की आप दोनों जगह कैसे सही कह सकते हैं तो जवाब मिलता हैं मैने ध्यान ही नहीं दिया की फलां फलां ने फलां फलां की पोस्ट को संगृहीत कर दिया वाद विवाद संवाद में ।
लो कर लो बात कल तक जिसको ६ महीने से बांच रहे थे उसके पोस्ट के अंश भी ना पहचाने !!
दिस्क्लैमेर
ब्लोगर जेंडर न्यूट्रल शब्द हैं
टिपण्णी चेपू ब्लोगर जैसा क़ोई सम्प्रदाय है ही नहीं सब सबके माता पिता भाई बहना दोस्त हैं गलबहियां डाले हुए
जी ये वो ब्लॉगर सम्प्रदाय हैं जो आप को किसी किसी ब्लॉग पर हर पोस्ट पर कमेन्ट करता दिखता हैं लेकिन अगर उसी ब्लॉग की क़ोई पोस्ट किसी और जगह किसी प्रसंगवश वाद विवाद संवाद की क्रिया प्रतिक्रिया योजना में किसी और ब्लॉग पर संगृहीत हो गयी हैं तो यही ब्लोगर वहाँ भी कमेन्ट लिखता दिखेगा
"अच्छा लगा आप का लिखना , आप जो कह रहे हैं सही कह रहे हैं । आप के पोस्ट का उद्देश्य बहुत अच्छा हैं । आप का ये प्रयास निरंतर जारी रहे "
अब जिस की पोस्ट की वहाँ धजियाँ उड़ रही हैं वो सोच रहा हैं की कल तक , पिछले ६ महीने से यही या मिलते जुलते शब्द मेरे ब्लॉग पर इनके थे आज जो मेरे ऊपर लिख रहा हैं ये वहाँ भी वही लिख रहे हैं ।
कभी क़ोई इनसे ये पूछने की हिमाकत कर बैठे की आप दोनों जगह कैसे सही कह सकते हैं तो जवाब मिलता हैं मैने ध्यान ही नहीं दिया की फलां फलां ने फलां फलां की पोस्ट को संगृहीत कर दिया वाद विवाद संवाद में ।
लो कर लो बात कल तक जिसको ६ महीने से बांच रहे थे उसके पोस्ट के अंश भी ना पहचाने !!
दिस्क्लैमेर
ब्लोगर जेंडर न्यूट्रल शब्द हैं
टिपण्णी चेपू ब्लोगर जैसा क़ोई सम्प्रदाय है ही नहीं सब सबके माता पिता भाई बहना दोस्त हैं गलबहियां डाले हुए
October 05, 2011
डॉ मंजुलता सिंह की दो नयी पुस्तके अब उपलब्ध हैं
डॉ मंजुलता सिंह की दो नयी पुस्तके अब उपलब्ध हैं
हस्ताक्षर - कविता संग्रह और वैनिज़िया - कहानी संग्रह
हिंदी की पुस्तके खरीद कर पढने वाले पाठक उन से इस लिंक पर जा कर संपर्क कर सकते हैं
हस्ताक्षर - कविता संग्रह और वैनिज़िया - कहानी संग्रह
हिंदी की पुस्तके खरीद कर पढने वाले पाठक उन से इस लिंक पर जा कर संपर्क कर सकते हैं
October 04, 2011
वैसे ईश्वर कौन बनेगा करोडपति देखता हैं क्या ??
के बी सी मे कल के महिला कन्टेसटेन्ट आई थी । उन्होने बताया की वो कुछ भी काम नहीं करना चाहती हैं यहाँ तक की वो अपने घर की पूजा भी अपनी मेड से करवा लेती हैं । उनके इच्छा हैं की क़ोई कम्पनी ऐसा क़ोई चिप बनाए जो उनके दिमाग में फिट किया जा सके और फिर जो वो सोचे काम अपने आप हो जाए , जैसे अगर उन्हे लेटे हुए टी वी का रिमोट उठाना हैं तो वो सोचे और रिमोट उनके हाथ में आजाये ।
इन महिला ने सालो से क़ोई भी काम मन से नहीं किया हैं और जो भी उनको करना पडा हैं वो मज़बूरी ही हैं । उनके हिसाब से उन्होने लेप टाप जिस दिन से लिया हैं उस दिन से वो उनके बेड पर रखा हैं और वो उसी को चला लेती हैं और वही छोड़ देती हैं ।
ये महिला एक कॉलेज में प्राध्यापिका थी पर वहाँ बार बार क्लास में जाना होता था , प्रिंसिपल के पास जाना होता था , इस लिये उन्होने अपनी नौकरी छोड़ दी और घर में ट्यूशन पढ़ाने लगी । जो बच्चे पढने आते हैं वो कहते हैं मैडम बड़ी आलसी हैं काम दे कर कुर्सी पर नहीं बैठती हैं अपने बेडरूम में लेट जाती हैं और फिर तब ही नीचे आती हैं जब बच्चो को जाना होता हैं
इन महिला की मन पसंद किताब हैं The Joy Of Laziness .
इन महिला की बाते सुन कर अमिताभ बच्चन ने कहा की उन्होने ऐसा व्यक्ति अपनी जिन्दगी में नहीं देखा ।
महिला का बड बोला पन साफ़ दिख रहा था , पूरे समय वो अमिताभ को बताती रही की वो कितना सही हैं और जीत भी रही हैं ।
२५ लाख वो जीत गयी और उनकी मुस्कुराहट बता रही थी की वो कितनी प्रसन्न हैं और कितना घमंड भी हो रहा हैं उन्हे अपनी सोच पर । इस के बाद ५० लाख के प्रश्न पर आते आते उनकी सब लाइफ लाइन ख़तम हो चुकी थी
५० लाख का प्रश्न २२ कैरट सोने के आभूषण से सम्बंधित था और महिला ने उसका उत्तर बताया । अमिताभ ने हमेशा की तरह क्युकी उनका उत्तर गलत था उनकी मद्दत करनी चाही की आप चाहे तो quit कर सकती हैं पर उन्होने नहीं किया और कहा वो एक दम सही चल रही हैं और गलत जवाब होने के कारण वो २५ लाख से उतर कर १८०००० पर आगयी और फिर रोते हुए गयी
जब वो जीत रही थी तो मै सोच रही थी कि अगर ये इतना पैसा जीत कर जाती हैं तो बहुत से लोग इस बात को सही मान ही लेगे कि बिना मेहनत पैसा कमाया जा सकता हैं क्युकी वो बार बार इस बात को दोहरा रही सी लगी ।
जब वो हार गयी तो मुझे लगा ईश्वर ने सही न्याय किया
वैसे ईश्वर कौन बनेगा करोडपति देखता हैं क्या ??
इन महिला ने सालो से क़ोई भी काम मन से नहीं किया हैं और जो भी उनको करना पडा हैं वो मज़बूरी ही हैं । उनके हिसाब से उन्होने लेप टाप जिस दिन से लिया हैं उस दिन से वो उनके बेड पर रखा हैं और वो उसी को चला लेती हैं और वही छोड़ देती हैं ।
ये महिला एक कॉलेज में प्राध्यापिका थी पर वहाँ बार बार क्लास में जाना होता था , प्रिंसिपल के पास जाना होता था , इस लिये उन्होने अपनी नौकरी छोड़ दी और घर में ट्यूशन पढ़ाने लगी । जो बच्चे पढने आते हैं वो कहते हैं मैडम बड़ी आलसी हैं काम दे कर कुर्सी पर नहीं बैठती हैं अपने बेडरूम में लेट जाती हैं और फिर तब ही नीचे आती हैं जब बच्चो को जाना होता हैं
इन महिला की मन पसंद किताब हैं The Joy Of Laziness .
इन महिला की बाते सुन कर अमिताभ बच्चन ने कहा की उन्होने ऐसा व्यक्ति अपनी जिन्दगी में नहीं देखा ।
महिला का बड बोला पन साफ़ दिख रहा था , पूरे समय वो अमिताभ को बताती रही की वो कितना सही हैं और जीत भी रही हैं ।
२५ लाख वो जीत गयी और उनकी मुस्कुराहट बता रही थी की वो कितनी प्रसन्न हैं और कितना घमंड भी हो रहा हैं उन्हे अपनी सोच पर । इस के बाद ५० लाख के प्रश्न पर आते आते उनकी सब लाइफ लाइन ख़तम हो चुकी थी
५० लाख का प्रश्न २२ कैरट सोने के आभूषण से सम्बंधित था और महिला ने उसका उत्तर बताया । अमिताभ ने हमेशा की तरह क्युकी उनका उत्तर गलत था उनकी मद्दत करनी चाही की आप चाहे तो quit कर सकती हैं पर उन्होने नहीं किया और कहा वो एक दम सही चल रही हैं और गलत जवाब होने के कारण वो २५ लाख से उतर कर १८०००० पर आगयी और फिर रोते हुए गयी
जब वो जीत रही थी तो मै सोच रही थी कि अगर ये इतना पैसा जीत कर जाती हैं तो बहुत से लोग इस बात को सही मान ही लेगे कि बिना मेहनत पैसा कमाया जा सकता हैं क्युकी वो बार बार इस बात को दोहरा रही सी लगी ।
जब वो हार गयी तो मुझे लगा ईश्वर ने सही न्याय किया
वैसे ईश्वर कौन बनेगा करोडपति देखता हैं क्या ??
October 01, 2011
"जीता हैं दुनिया को मैने शब्दों से "
निज़ार कब्बानी की कविता का हिंदी अनुवाद
"जीता हैं दुनिया को मैने शब्दों से " अनुवाद - रचना
जीता हैं दुनिया को मैने शब्दों से
जीता हैं मातृभाषा को
सर्वनाम , संज्ञा और विषय वर्णन को
बहा दिया हैं शुरुवात की प्रक्रिया को
एक नयी भाषा से
जिस मे हैं संगीत पानी का और सन्देश अग्नि का
ज्वलंत किया हैं मैने आने वाले समय को
और रोक दिया हैं समय को तुम्हारी आँखों मे
और मिटा दी वो महीन रेखा
जो अलग कर रही थी
समय को इस पल से
I Conquer The World With Words by Nizar Qabbani
"जीता हैं दुनिया को मैने शब्दों से " अनुवाद - रचना
जीता हैं दुनिया को मैने शब्दों से
जीता हैं मातृभाषा को
सर्वनाम , संज्ञा और विषय वर्णन को
बहा दिया हैं शुरुवात की प्रक्रिया को
एक नयी भाषा से
जिस मे हैं संगीत पानी का और सन्देश अग्नि का
ज्वलंत किया हैं मैने आने वाले समय को
और रोक दिया हैं समय को तुम्हारी आँखों मे
और मिटा दी वो महीन रेखा
जो अलग कर रही थी
समय को इस पल से
आधार नंबर
आधार नंबर का एनरोलमेंट शुरू हो चुका हैं । आप सब ने करवाया क्या । आप की RAW इस में आप की सहायता कर सकती हैं । आधार नंबर बनवाने के लिये आप को केवल एक फॉर्म भरना हैं और उसके साथ फोटो पहचान पत्र और प्रूफ ऑफ़ रेसिडेंस जमा करना होगा । उसके बाद biometric होगा और आप की आँखों और उँगलियों की फोटो ली जाएगी । इस प्रक्रिया के तकरीबन ९० दिन के बाद ये नंबर आप को मिल जाएगा ।
ये नंबर एक प्रकार से आप का पहचान पत्र हैं और इस को बनवाने के बाद हर जगह महज ये नंबर देना होगा , किसी और पहचान पत्र की जरुरत नहीं होगी क्युकी आप की सारी जानकारी कम्पूटर पर उपलब्ध होगी ।
विदेश में बसे भारतियों के लिये भी इसको बनाने का प्रावधान हैं ।
ये नंबर unique identification authority of india दे रही हैं
ज्यादा जानकारी यहाँ हैं
ये नंबर एक प्रकार से आप का पहचान पत्र हैं और इस को बनवाने के बाद हर जगह महज ये नंबर देना होगा , किसी और पहचान पत्र की जरुरत नहीं होगी क्युकी आप की सारी जानकारी कम्पूटर पर उपलब्ध होगी ।
विदेश में बसे भारतियों के लिये भी इसको बनाने का प्रावधान हैं ।
ये नंबर unique identification authority of india दे रही हैं
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- ज्वालामुखी से ब्लॉग जगत तक
- कुछ ब्लॉगर अपने कमेन्ट से पहचाने जाते हैं -आप पहचा...
- टिपण्णी चेपू ब्लॉगर
- डॉ मंजुलता सिंह की दो नयी पुस्तके अब उपलब्ध हैं
- वैसे ईश्वर कौन बनेगा करोडपति देखता हैं क्या ??
- "जीता हैं दुनिया को मैने शब्दों से "
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