हम बिजली की कमी के भारी संकट की तरफ बढ़ रहे हैं ।
पता नहीं आप में से कितने लोग जानते हैं की बिजली बनाने के लिये जो कोयला उपयोग में आता हैं इस समय केवल एक सप्ताह भर के लिये जितना कोयला लगता हैं उतना ही मौजूद हैं ।
आगे क्या होगा पता नहीं ??
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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सुना तो है ..
ReplyDeleteपर अचानक ऐसा होने की वजह ??
worrying prospect :(
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