डॉ मंजुलता सिंह की दो नयी पुस्तके अब उपलब्ध हैं
हस्ताक्षर - कविता संग्रह और वैनिज़िया - कहानी संग्रह
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सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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