मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

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October 13, 2011

ज्वालामुखी से ब्लॉग जगत तक

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क्रोध के लिये कहते हैं की वो जिस बर्तन में रहता हैं उसको नष्ट करता हैं यानी उसका बहना ही सही हैं
और आज कल तो बर्फ के नीचे भी ज्वालामुखी हैं सो बताना मुश्किल ही हैं की लावा कहां कहां से निकला और कहां कहां बहा !!!
क्रोध हमेशा तबाही लाता हैं नहीं क्रोध किस रूप में होता हैं और किसके विरुद्ध होता हैं फरक इस से पड़ता हैं

शिव का तांडव , काली का मर्दन अगर ना होते तो दुनिया में तबाही वैसे ही आजाती

और अग्नि से ज्यादा पवित्र कुछ नहीं होता , जो जलता हैं उसे तो जलना ही था
शाश्वत क्या हैं बस प्रेम हैं पर प्रेम से लोगो की उम्मीदे ज्यादा होती हैं
लोग देना नहीं चाहते सबको बस मिलना चाहिये प्रेम सो जब दिया नहीं तो पाओगे कैसे


ब्लॉग जगत में पलीता लगा कर तमाशा देखने वाले बहुत हैं , ये ढोंगी हैं और अपने मकसद के लिये किसी को भी पलीता बना देते हैं और फिर गायब रहते हैं जब राख इकट्ठी हो जाती हैं तो आकर छान कर अस्थि विसरर्जन करना चाहते हैं
इन जैसो के लिए दावानल का बहना ही सही हैं ताकि ना राख बने और इनको किसी की अस्थियों का विसर्जन का सुख ना मिले जहां भी हाथ से ये खोजे वहाँ केवल आग ही आग हो

तुम्हारे जवाब का इंतज़ार हैं की क्या वास्तव में क्रोध का होना विनाश हैं

1 comment:

  1. vahin jawaab deti hoon - but a nice new point of view :)

    PLS DONT TAKE IT AS A DEBATE
    i just want to answer the points u have raised
    :)

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