मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

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July 15, 2012

मुझे दिशा और मंजिल दोनों पता हैं

आज अखबार मे पढ़ा की जो लोग हमेशा अच्छी अच्छी बाते करते हैं ,
goody goody वाली , हमेशा positivity को ले कर सोचते है वो सबसे ज्यादा नाखुश रखते हैं . उनको हमेशा ख़ुशी की तलाश रहती हैं और वो इस चक्कर में दुखी रहते हैं . लिंक ये हैं 

मै तो पहले ही बहुत खुश थी / रहती थी , क्युकी मुझ मे अपने को अपनी तरह स्वीकारने की ताकत हैं . मुझ मे अपने को अपने लिये अपने हिसाब से बदलने की ताकत हैं .

मुझे दिशा और मंजिल दोनों पता हैं
जिन्दगी मुझे क्या देगी उस से ऊपर मुझे जिंदगी से क्या चाहिये जरुरी हैं और ये बात मे तब भी जानती थी जब महज 16 वर्ष की थी .
कुछ दिन में 52 वर्ष पूरे कर करुँगी . 17 विदेश यात्रा करने और दस देश और उनकी सभ्यता देखने के बाद लगता हैं की अगर हमारे देश में हम law abiding ciitzen बन जाए तो हम से बेहतर कोई नहीं .

35  वर्ष की उम्र में 20000 रूपए महीने की नौकरी छोड़ कर अपना एक्सपोर्ट इम्पोर्ट का काम शुरू किया बिना किसी की सहयता के और आज हाथ करघा की दरिया जापान और ताइवान भेजती हूँ . खुद डिजाइन बनाती हूँ , अपनी सीतापुर की छोटी सी फक्ट्री मे बनवाती हूँ और फिर विदेशो में उनकी मार्केटिंग करती हूँ . इंटरनेशल मार्केटिंग में ऍम बी ऐ करके अपना काम करने का मज़ा और नशा दोनों हैं .

हिंदी की कविता लिखती थी माँ को कभी सुनाई थी कुछ , बस एक दिन उन्होने 10-15 छाँट कर अपनी किताब के साथ प्रकाशित करवा ली .  अब कवर पेज का आईडिया मेरा हैं कविता उनकी हैं या उनकी बेटी की हैं . लोग उनसे तारीफ़ करते हैं ये सोच कर की शायद उनकी कोई स्टुडेंट हैं पर वो फक्र से कहती हैं "मेरी रचना " की रचनाये हैं

रहती आज भी अपनी माँ के साथ हूँ लड़की हूँ ये कभी सोचा नहीं जब से नौकरी  की अपना खर्चा अपने घर में दिया और अपने अभिभावकों को फ़ोर्स किया की वो मेरी कमाई को सहर्ष स्वीकार करे

जिन्दगी जीने के लिये हैं वही करती हूँ अपने लिये अपने बनाए उसूलो के साथं

5 comments:

  1. ज़िंदगी के साथ प्रोब्लम यही है कि इसमें कुछ समय कुछ-कुछ एब्सोल्यूट हो सकता है पर हर समय सब कुछ एब्सोल्यूट नहीं हो सकता.
    नकारात्मकता और सकारात्मकता को दो पहलू मान लीजिये. मेरा जोर किसी पर भी नहीं है. मैं एक्सेप्टेंस की बात करता हूँ. जिसकी बात आपने इस पोस्ट में की है.
    अख़बार में पढ़ी 'स्टडी' की तो बात ही करना बेकार है. ज़िंदगी बड़ी चीज़ है. उसने आपको बहुत कुछ सिखाया और दिखाया है. आप उसी से बने हैं. कभी आप सही होते हैं, तो कभी आप गलत भी हो सकते हैं.
    आपकी उपलब्धियों के बारे में जानकर अच्छा लगा. जन्मदिन की तिथि मुझे पता नहीं इसलिए अग्रिम शुभकामनाएं.

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  2. आपके बारे में पढता रहता हूं,
    इसके पहले भी आपने कुछ जानकारी ब्लाग पर दी थी
    सच में बहुत अच्छा लगता है।
    बहुत बहुत शुभकामनाएं

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  3. अखबारों और शोध की बात छोडिये, ये शोध युनिवर्सली लागू नहीं होते|
    मुझे भी निशांत की बात सही लगती है कि असली बात अपने अनुभव ही होते हैं|
    हम क़ानून मानने वाले और सरकार क़ानून मनवाने वाली हो जाए तो बहुत बदलाव देखने को मिलेगा, ये बात मैं बिना विदेश गए भी मानता हूँ|
    शुभकामनाएं|

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  4. This is it. You have lived your life to the fullest. Nothing else is required, afterall this is your life. Thanks for sharing some interesting facts for your life.

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  5. जन्मदिन की तारीख नहीं दी अग्रिम शुभकामना ले ले ! कोई रिसर्च ये तय नहीकर सकता है की क्या सही है और क्या गलत मनुष्य हमेसा सकारात्मक या नकरात्मक नहीं होता वो तो समय और परिश्थिति मनुष्य को वैसा सोचने के लिए मजबूर कर देती है |

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