सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
January 31, 2009
मीठे झूठ को कड़वे सच से ज्यादा पसंद क्यूँ करते हैं ?
January 24, 2009
अतिथि करे मोबाइल चार्ज और मेजबान भरे बिजली का बिल ।
January 22, 2009
ब्लॉग लिखती महिला अपने ब्लॉग की सूचना इस लिंक पर जा कर दे दे ।
मेल करने के लिये नीचे दिये गए ईमेल पर अपने ब्लॉग का नाम भेजे ।
freelancetextiledesigner.womanwhobloginhindi@blogger.com
ईमेल मे subject की जगह Hindi Blogger -------- और dash जी जगह अपना नाम डाले ।
जैसे अगर आप का नाम सुनयना हैं तो Hindi Blogger Sunyna इंग्लिश मे लिखे ।
आप एक बार इस लिंक को देखे आप को ख़ुद समझ आ जायेगा
http://womanwhobloginhindi.blogspot.com/
एक जगह सब ब्लॉग लिखती महिला का नाम आजाने से सबको पढने मे सुविधा होगी
आपकी भेजी हुई ईमेल अपने आप पुब्लिश हो जाएगी दुबारा प्रविष्टि ना भेजे एक हफ्ते से पहले
January 21, 2009
अश्वेत राष्ट्रपति यानी बदलाव !!!!! सो भारत मे श्वेत प्रधानमंत्री तभी बदलाव !!!!!
पिछली बार मुझे याद हैं CNN ने सोनिया के PM IN WAITING होने पर तुंरत न्यूज़ दीखाई थी । बाकी समय वो केवल और केवल ये बता देते हैं इंडिया मे इलेक्शन हुआ और ये प्रधान मंत्री बना । और हमारा मीडिया और हम सब अमेरिकी प्रेजिडेंट के होने पर २४ घंटे direct टेलेकास्ट दीखा रहे हैं । ब्लॉग पर भी चित्र डाले जा रहे हैं ।
पिछली पोस्ट ओबामा से सोनिया तक यात्रा बदलाव की के कमेन्ट देखे , क्या विवधता हैं हिंदू मुस्लिम , नर नारी , से लेकर सब बात हुई पर हम किसी दूसरे देश के राष्ट्रपति बनने से इतना मुग्ध क्यूँ हुए ?? किसी ने नहीं कहा । और अगर हम सब इतना हर्षित हैं तो फिर सोनिया ही बदलाव ला सकती हैं हाथ मे बाइबल लेकर शपथ लेकर !!!!!!!!!!!!!!!!!
comments:
ओबामा से सोनिया तक यात्रा बदलाव की
January 19, 2009
एक साईट आज नज़र मे आयी ।
एक साईट आज नज़र मे आयी । अगर ना देखी हो तो देखे और अच्छी लगे तो इस्तेमाल करे ।
January 18, 2009
जो लोग अपनी दिन रात की मेहनत से अपना मुकाम बनाते हैं क्या वो सर्वहारा का हिस्सा नहीं होते हैं ?
जो प्रयास करता है आगे जाता है या जो चुनाव हम करते है वही पाते हैं, या हर व्यक्ति चुनने के लिए फ्री है "यह तर्क एक पूंजीवादी{कैपटलिस्टिक } तर्क है जो सर्वहारा की सिरे से उपेक्षा करता है
क्या आप सब को भी ये तर्क पूंजी वादी तर्क लगता हैं । जब भी कही कोई डिस्कशन होता हैं और बात आर्थिक रूप से सम्पन और आर्थिक रूप से कमजोर के सन्दर्भ मे होती हैं तो ये देखा गया हैं की हमेशा जो लोग आर्थिक रूप से सम्पन होते हैं उनके किसी भी वक्तव्य को ये कह कर काटा जाता हैं की आप "सर्वहारा " के विषय मे नही सोचते हैं ।जो लोग अपनी दिन रात की मेहनत से अपना मुकाम बनाते हैं क्या वो सर्वहारा का हिस्सा नहीं होते हैं ?
January 17, 2009
मुझे अपना नाम आप के "बर्थडे कैलेंडर " मे दर्ज नहीं करना हैं ।
अब तक विवेक , कुश , अजित , सतीश के निमंत्रण प्राप्त हो चुके हैं । बहुत बहुत धन्यवाद पर इस प्रकार के निमन्त्रण आगे ना भेजे जाए ।
January 16, 2009
नैतिकता का मतलब क्या होता हैं ?
January 15, 2009
"विवेक " हीन kament
January 13, 2009
हिन्दी ब्लोगिंग मे एक फैशन
http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2009/01/blog-post_12.html
दो रिवर्स लिंक थे
पहला लिंक चिट्ठा चर्चा: चर्चाथेरेपी !
दूसरा लिंक निरंतर: कुछ अंदाज़ आपके लिए
अब पहला लिंक तो समझ आगया क्युकी विवेक ने नारी ब्लॉग की इस पोस्ट का जिक्र चर्चा पर किया हैं पर
महेंद्र मिश्रा ने क्यों अपनी पोस्ट का बेक लिंक नारों पोस्ट पर दिया हैं समझ नहीं आया
और ऐसा केवल नारी पोस्ट पर ही नहीं हो रहा हैं । बहुत से ब्लॉग पर ये हो रहा है , जिज्ञासा हैं की क्या वाकई बेक लिंक बना देने से लोग उन पोस्ट पर जा रहे हैं जिन के बेक लिंक बनाए जा रहे हैं
January 04, 2009
क्या आप को याद हैं अगर हाँ तो बताये
क्या आप को याद हैं अगर हाँ तो बताये
वह पहली आंतंकवाद से जुडी घटना जो भारत मे हुई थी , जिस मे आंतकवादियों को इस लिये छोड़ा गया क्युकी उनके साथियों ने किसी को अगवा किया था और उसको छोड़ना के लिये अपने साथी आतंकवादियों की रिहाई की मांग की थी ।
हम बहुत जल्दी भूल जाते हैं मुझे एक कयास हैं इस घटना का पर मै श्योर नहीं हूँ ।
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क्षमा करें, क्या भारत का प्रधानमंत्री गीता पर हाथ रख कर शपथ लेता है? फिर बाइबल क्यों?
उदाहरण अगर अमेरिका का लेते हैं तो ध्यान दें वहाँ ओबामा को बार बार कहना पड़ा कि वे ईसाई है, मुस्लिम नहीं. क्या हमारे देश में ऐसा होता है कि प्रधानमंत्री को मैं हिन्दु हूँ मैं हिन्दू हूँ... फिर अमेरिका में बाहर पैदा हुआ व्यक्ति राष्ट्रपति नहीं बन सकता. भारत में यह छूट क्यों? अगर परिवर्तन महिला के आने से होता है तो वह इन्दिरा के साथ आ गया था.
बेगाणी जी आपकी जानकारी के लिए प्रधानमन्त्री हो या कोई भी सार्वजनिक पद ग्रहण करने वाला वह किसी की भी सौगंध ले सकता है शपथ के प्रारूप में यह उसको आजादी है.
रचना जी ने बाइबिल इस लिए कहा है क्योंकि आम धारणा के अनुसार सोनिया गाँधी रोमन कैथोलिक हैं (उनकी धार्मिक आस्था हमें जाने की कोशिश नही की कभी क्योंकि हमारे लिए वह महत्वपूर्ण नही है ),
और कब तक अमरीका के पिछलग्गू बने रहेंगे कि जैसा वहां होता है वैसा ही करेंगे :-) आगे निकल जाइए उससे
इंदिरा गाँधी को सत्ता बनी बनाई मिल गई थी ताकतवर तो वो बाद में हुईं हैं इस लिहाज से सोनिया ने अधिक श्रम किया है
फिलहाल जो लोकसभा में 272 सांसदों का समर्थन रखता है वह प्रधानमन्त्री बनता है तो हमें इसमे कुछ भी ग़लत नही दिखाई देता चाहे वो सोनिया हों या मोदी
हमारी व्यक्तिगत पसंद नापसंद से कोई फर्क नही पड़ता
जो कोई भी प्रधानमत्री होता है वह हमारे उस सम्मान का अधिकारी होता है
हमारी व्यक्तिगत आकांक्षा थी कि कोई उत्तर पूर्व का प्रधानमन्त्री के पद तक पहुँचता
रचना जी यह परिवर्तन कैसा होगा?
आपको ओबामा का भाषण दिखाई नहीं दिया क्या? वे किसी कागज को पढ़ नहीं रहे थे। कोई भी राजनेता यदि कई सालों तक राजनीति में रहने के बाद भी अपनी बात स्वयं नहीं कह सकता, उसे आप देश का नेतृत्व करने को कह रहे हैं। राजनीति अभिनय नहीं है जिसे स्क्रिप्ट देखकर अभिनय कर लिया जाता है। इसमें टेबल पर निर्णय लेने पड़ते हैं तभी तो हमारे सैनिक युद्ध जीत जाते हैं और हम ऐसे भाषण पढ़ने वाले नेताओं के कारण टेबल पर हार जाते हैं।
"कुहासा" जी आपकी इच्छा जरूर पूरी होगी, और सिर्फ़ उत्तर-पूर्व का ही क्यों बल्कि कोई बांग्लादेशी घुसपैठिया भी भारत का प्रधानमंत्री बन सकता है, जैसे एक कांग्रेसी सांसद सुब्बा जो कि नेपाली नागरिक हैं और उधर हत्या, लूट और धोखाधड़ी के कई केस हैं उन पर…। ये हिन्दुओं(?) का महान सेकुलर भारत है, यहाँ कोई भी, कहीं भी, कभी भी, कुछ भी बन सकता है… सिवाय कश्मीर में एक हिन्दू मुख्यमंत्री बनने के अलावा…
पब्लिक स्वयं समझदार है !
आज़ाद देश की आज़ाद नारी को अपना नेता चुनने कापूरा अधिकार है । कुहासा जी के दिमाग पर छाया कुहासा तो हटने से रहा । इन जैसे उदारवादियों के कारण जल्दी ही देश में अंग्रेज़ों और मुगलों का राज होगा । अबकी बार तो आज़ादी की लडाई लडने वाले युवा भी ढूंढे से नहीं मिलेंगे ।
सोनिया यदि अपने बलबूते पर आईं होतीं तो अलग बात थी। नेता को भारत यदि पुश्तैनी जागीर में मिल रहा हो तो मैं उसे नेता कभी नहीं मानूँगी।
उत्तर पूर्व भारत ही है और जितनी जल्दी हम यह बात समझ लें उतना ही अच्छा होगा। बांग्लादेशी को शासन तो क्या नागरिकता भी सरलता से नहीं मिलनी चाहिए। जिस दिन कोई नेता उत्तर पूर्व से आएगा और भारत का प्रधानमंत्री चुना जाएगा वह दिन देश के लिए स्वर्णिम होगा। जब हम नेहरू गाँधी परिवार के अलावा भी काँग्रेस में नेता खोजने लगेंगे तो काँग्रेस भी शायद अपने पुराने स्वरूप को पा ले। नेता नीचे से ऊपर आता है न कि परिवार से उठाकर बनाया जाता है।
घुघूती बासूती