सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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January 24, 2009
अतिथि करे मोबाइल चार्ज और मेजबान भरे बिजली का बिल ।
क्या आप जब किसी किसी के घर मेहमान बन कर जाते हैं तो अपना मोबाइल चार्ज करें के लिये वहाँ लगा देते हैं । जी हाँ अगर आप दो तीन दिन के लिये जाते हैं तो ये स्वाभाविक है पर क्या आप ये आदतन करते हैं और क्या ये करना उचित हैं ? अतिथि करे मोबाइल चार्ज और मेजबान भरे बिजली का बिल । नैतिक या अनैतिक ? आप ही बताये ।
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यह तो किस प्रकार का अतिथि है और उसके प्रति आपके प्रेम और उसकी सोच पर निर्भर करता है
ReplyDelete---आपका हार्दिक स्वागत है
गुलाबी कोंपलें
जिस अतिथि को घर में रखकर खिलइ पिलइ कर स्वागत कर रहा है मेजबान, उसको मोबाइल चार्ज कराने में कंजूसी छा रइ है?
ReplyDeleteकिस तरइं का मेजबन हइ रे, मार तो एक कंटाप कान के नीचे
koi mere ghar me aakar mobile charge karta hai to main to itna nahi sochta hun.. mujhe shayad hi kabhi jaroorat pari ho ki kisi aur ke ghar par mobile charge karun..
ReplyDeletehan, kabhi aapke ghar gaya to iska dhyan rakhunga ki mobile charge naa karun.. :)
रचना जी , क्या मोबाईल चार्ज करने मै बिजली बहुत लगती है??? अरे बाबा शायद एक पेसा भी नही लगती, कभी आप के यहां आये तो टिफ़न भी साथ लायेगे.... वेफ़िक्र रहे. वेसे मेरा मोबाईल पुरा सप्तहा चलता है....:)
ReplyDeleteभइया या तो यह बहुत दूर की सोच है यार फ़िर बहुत नीची है । दोनों मुझे दिख नही रही । मैं अपने स्टार से न तो ऊपर देख पाटा हूँ और न नीचे ।
ReplyDeleteएक सलाह जरूर है । अपने यहाँ कोई चार्जिंग पॉइंट खुले में न लगाए ।
pd , raj bhatia
ReplyDeleteक्या कमेन्ट करने मे व्यक्तिगत होना आवश्यक होता हैं ??? एक सीधी सी बात को व्यक्ति विशेष से जोड़ना बात को से भटकना होता हैं
anaam
जिस भाषा का आप प्रयोग कर रहे हैं उस पर क्या कह सकती हूँ
sunil dikshit
सोच पर कोई प्रतिबंध नहीं होता सोच नीची हैं या गहरी हैं पर अगर आप को टिप्पणी देने पर मजबूर करती हैं तो सार्थक हैं
मेरे ख्याल से मोबाइल चार्ज करने में अधिक बिजली नहीं लगती है , इसीलिए कभी जरूरत पड जाए तो आप दूसरों के यहां चार्ज कर सकते हैं......पर बात एक पैसे की भी क्यों न हो ....दूसरे के घर में रोज रोज ये सब उचित तो नहीं।
ReplyDeleteचलिए जब आप संजीदगी से पूछ रही हैं तो मैं भी संजीदगी से कहता हूँ..
ReplyDeleteमैं आपको नियमित रूप से पढता हूँ.. आप अपने सारे पुराने पोस्ट को पलट कर खुद ही देखिये, आपने जितने भी प्रश्न अपने पोस्ट के माध्यम से लोगों से पूछे हैं उनमे अधिकतर प्रश्न व्यक्तिगत रूप से ही पूछा गया लगता है..
अगर ऐसा नहीं है तो मेरे समझने में ही खोट है या फिर आप अपनी बात ठीक से समझा नहीं पायी..
अच्छा लगा की आप मुझे नियमित पढ़ते हैं । प्रश्न सब व्यक्तिगत होते हैं जैसे "आप अपने विचार दे क्या आप को ये सही लगता हैं " लेकिन जब उत्तर मे ये कहा जाए की " आप के घर आउगा तो बताऊंगा " तो बात ब्लॉग पोस्ट लिखने वाले और जवाब देने वाले के बीच मे हो जाती हैं । प्रश्न मे किसी की भी निजता पर बात नहीं होती जब तक पोस्ट मे ये ना कहा गयी हो " पी दी आप ने ऐसा क्यूँ किया " पर उत्तर मे निजता आगई हैं अगर आप लिखते हैं " आपके घर इत्यादि " आशा हैं कुछ सही लिख पायी हूँ अब ।
ReplyDeleteलोग हर बात को उल्टा ही समझेंगे .
ReplyDeleteदर असल रचना जी यह बात मेजबान की नहीं बल्कि मेहमान की हैसियत से कह रही हैं .
अवश्य ही किसी ने इन्हें मोबाइल चार्ज नहीं करने दिया :)
वैसे मजाक छोडकर सच बताएं तो हम कभी इतना नीचे तक आज तक नहीं सोचे पर कुसंग जो न कराए !
इतना तो झेलो..मोहल्लेमें भी तो रुतबा बनता है कि इनके घर मेहमान आये हैं..ये क्या कम है. :)
ReplyDelete2002 में एक ख़बर पढ़ी थी, की इटली में एक बेघर नौजवान जोड़ा रोज़ चर्च में घंटे भर तक कोने वाली सीट पर बैठा करता था. जब चर्च के कर्मचारियों को इतने व्यस्त समय में चर्च को नियमित समय देने वाले पति-पत्नी पर शक हुआ तो नज़र रखने पर मालूम पड़ा की वे यहाँ मोबाइल चार्जिंग के लिए बैठते हैं. कर्मचारियों ने इसे चर्च के साधनों का दुरूपयोग मानते हुए तुंरत पुलिस बुलवा ली. पर जब चर्च के प्रबंधन को यह पता चला तो तुंरत ही उन्होंने दंपत्ति से क्षमा मांगी, पुलिस से आरोप वापस लिए.
ReplyDeleteइस पूरी घटना पर अपने चर्च के कर्मचारियों की गलती मानते हुए मुख्य पुजारी ने कहा की, हर किसी का चर्च में किसी भी समय स्वागत है. और हम किसी को भी मोबाइल चार्ज करने से नहीं रोकेंगे, हम इसे वैसे ही लेते हैं जैसे की कोई हमारे यहाँ रोज़ एक गिलास पानी पी जाता हो. किसी आने वाले को पानी पिलाने में कैसी कंजूसी?
मेरा भी यही कहना है, मोबाईल चार्जिंग और एक गिलास पानी पिलाने में लगभग उतना ही खर्च आता है, कोई रोज़ घर आया तो पानी भी नहीं पिलायेंगे? तो फ़िर मोबाइल चार्जिंग में क्या समस्या है?
मुझे तो इस मुद्दे पर इतने विशद विमर्श की न तो आवश्यकता अनुभव होती है और न ही सम्भावना। जो भी मेहमान आएगा, घर समझ कर ही आएगा और रही मेजबान की बात? तो उसके लिए तो मामला 'अतिथि देवो भव' का होगा। उसके लिए बिजली तो क्या, जान भी हाजिर होगी।
ReplyDeleteइस पोस्ट पर बड़े बड़े लोगो ने बडी बाते टिप्पणी के रूप मे लिखी है । लेकिन मेरा मानना है कि यदि आप मेजबान है तो बिजली कि खपत के बारे मे जानले और यदि मेहमान है तो मोबाइल अपने घर पर चार्ज करके ही चले । एक ऐक्स्ट्रा बैटरी साथ रखें । वैसे जहा तक मुझे ज्ञात है एक घंटा मोबाइल चार्ज का खर्चा मात्र 2 पैसा होता होता है ।( यदि चार्जर 500 मिलि एम्पीयर व यूनिट दर 4 रुपये हो )
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