जो प्रयास करता है आगे जाता है या जो चुनाव हम करते है वही पाते हैं, या हर व्यक्ति चुनने के लिए फ्री है "यह तर्क एक पूंजीवादी{कैपटलिस्टिक } तर्क है जो सर्वहारा की सिरे से उपेक्षा करता है
क्या आप सब को भी ये तर्क पूंजी वादी तर्क लगता हैं । जब भी कही कोई डिस्कशन होता हैं और बात आर्थिक रूप से सम्पन और आर्थिक रूप से कमजोर के सन्दर्भ मे होती हैं तो ये देखा गया हैं की हमेशा जो लोग आर्थिक रूप से सम्पन होते हैं उनके किसी भी वक्तव्य को ये कह कर काटा जाता हैं की आप "सर्वहारा " के विषय मे नही सोचते हैं ।जो लोग अपनी दिन रात की मेहनत से अपना मुकाम बनाते हैं क्या वो सर्वहारा का हिस्सा नहीं होते हैं ?
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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January 18, 2009
जो लोग अपनी दिन रात की मेहनत से अपना मुकाम बनाते हैं क्या वो सर्वहारा का हिस्सा नहीं होते हैं ?
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सर्वहारा राजनैतिक अर्थशास्त्र में एक तकनीकी शब्द है। जिस का अर्थ है जिस के पास अपने श्रम को बेचने के अतिरिक्त आय का कोई साधन नहीं हो। लाख रुपए या उस से अधिक प्रतिमाह कमाने वाला एक सोफ्टवेयर इंजिनियर सर्वहारा ही कहा जाएगा जिस के पास अपने श्रम को बेचने के अलावा कोई साधन आय का नहीं है। लेकिन एक चाय की थड़ी वाला जो मुश्किल से महिने में पांच हजार कमाता है वह सर्वहारा नहीं है क्यों कि उस के पास कमाई का साधन उस की चाय की दुकान है जिस पर उस ने एक बरतन धोने और चाय सप्लाई करने वाला मजदूर भी लगाया है। वह निम्नपूंजीवादी कहा जाएगा।
ReplyDeleteराजनैतिक अर्थशास्त्र के बाहर आ कर इन शब्दों को मनमाने तरीके से इस्तेमाल किया जाता है।
जैसा दिनेश सर ने बताया है उससे कम से कम हम तो सर्वहारा में से ही आते हैं.. :)
ReplyDeleteswapandarshi has left a new comment on your post "जो लोग अपनी दिन रात की मेहनत से अपना मुकाम बनाते ह...":
ReplyDeleteRachna,
The "sarvhaaraa" word has a specific historical context, apart from what Mr Diwediji had suggested.
It means a 'class of people, who work very hard but hardly able to sustain themselves or can hardly fulfill the basic needs of shelter, food and clothe; Like labors. virtually they survive on day to day basis and do not have any accumulation of wealth in any sense.
This class of people originated after the industrial revolution, where ordinary farmer or the farm based workers started to work in factories and emigrated to distant location and got uprooted from their traditional surroundings and support systmes, as well.
Virtually people on the borderline of survival. the other class the "capitilist=poonjivaadee" is also originated after industrial revolution.
I disagree with Diwediji that a computer programmer, or somebody earning in that range, will fall in that category, becoz we have crossed that line of survival and do have a family background and assets which are not within the reach of "sarvhaara".
after industrial revolution and came the struggle of working class and led to the communist revolution in some parts of the world, with a alternative world view, vision and advocacy.
you should see the word "poonjivaadee" and "sarvahaara" in that context, and also the two world views, which developed representing the interests of respective class in the wider society.
It may be a good idea to read philosophically, about the origin of word, and world view, otherwise, word loose value in generalization!!!
I hope that helps to put things in right context
Posted by swapandarshi to हिन्दी ब्लोगिंग की देन at January 18, 2009 10:09 PM
swapan darshi
ReplyDeleteit seems you deleted the comment by mistake so reposting the same .
i agree with Mr Dineshrai Dwivedi because i strongly feel that we have moved away from the "history " and many words change their meaning in time frame context.
every time if we try to divert the issue towards sarvhara we in no way are trying to solve the problem we are rather creating a new problem by diverint the issue to pujivaadi and non puji vadi
yesterday i read that a son of a redlight area worker is now settled in usa and is calling his mom there
tommorow if that lady starts writing on issues then we cant ignore her just because she now is in another spectrum of society
each of us immaterial of the wealth we have are part of sarvhara at the starting point of our life