सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Blog Archive
-
▼
2009
(166)
-
▼
January
(12)
- मीठे झूठ को कड़वे सच से ज्यादा पसंद क्यूँ करते हैं ?
- अतिथि करे मोबाइल चार्ज और मेजबान भरे बिजली का बिल ।
- ब्लॉग लिखती महिला अपने ब्लॉग की सूचना इस लिंक पर ज...
- अश्वेत राष्ट्रपति यानी बदलाव !!!!! सो भारत मे श्वे...
- ओबामा से सोनिया तक यात्रा बदलाव की
- एक साईट आज नज़र मे आयी ।
- जो लोग अपनी दिन रात की मेहनत से अपना मुकाम बनाते ह...
- मुझे अपना नाम आप के "बर्थडे कैलेंडर " मे दर्ज नहीं...
- नैतिकता का मतलब क्या होता हैं ?
- "विवेक " हीन kament
- हिन्दी ब्लोगिंग मे एक फैशन
- क्या आप को याद हैं अगर हाँ तो बताये
-
▼
January
(12)
बहुत कठिन सवाल पूछ लिया है आपने ! कम ही उत्तर मिलने की उम्मीद है !
ReplyDeleteसाधु साधु !
जाहिर है मीठा है इसलिए
ReplyDeleteहम सचाई से भागते हैं और मीठे सपनों में खो जाना पसंद करते हैं, इसीलिये
ReplyDeleteThis post has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteआपने ही तो कह दिया मीठा सामने हो , तो कोई कडवा क्यों लेगा ? झूठ ही सही...
ReplyDeleteज़हर अगर मीठा भी हो उसे पीने से ....
ReplyDeleteलोगो को शायद आदत पड गई है, झुठ सुनने की ओर बोलने की, अपून तो इस बीमार से दुर है अब इसे यहां के सख्त कानून कह ले या यहां के समाज के नियम, यहां झुठ बहुत जल्द पकडा जाता है, इस लिये शायद अब आदत होगी है या कह लो मजबुरी मै ही सच वोलना पडता है, ओर जिस का फ़ल कई बार भुगतना भी पडा है भारत मे ही.
ReplyDeleteएक बात अगर आप सच बोलते है तो झुठे को बहुत जल्द पहचान जाते हॊ. यह एक लाभ,
दुसरा लाभ सच बोलने वाले को बार बार सोचना नही पडता,