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February 24, 2009

ऑस्कर २००९ - दुनिया को ये भी बताने के लिये काफ़ी हैं कि " डोंट अंडर एस्टीमेट अस " .

आज कल professionalism का ज़माना हैं . रहमान केवल एक कलाकार नहीं हैं . उनकी कला उनकी रोजी रोटी का साधन हैं . उन्होने खुद कहा हैं कि ऑस्कर से उनको सब से बड़ा फायदा ये होगा कि जिन hollywood के director के साथ वो काम करना चाहते हैं वो अब उनको काम देगे । किसी भी प्रोफेशनल के लिये सबसे ज्यादा ख़ुशी का दिन वही होता हैं जब उसको अपने क्षेत्र का सबसे highest award मिलता हैं.

कलाकार के लिये प्रशंसा काफी होती हैं पर प्रोफेशनल के लिये प्रशंसा के साथ साथ पैसा भी जरुरी हैं क्युकी वो अपनी कला से अपनी जीविका कमाता हैं । रहमान भारत के पहले संगीत कार हैं जिनके लिये कंप्यूटर पर संगीत बनाना एक तकनीक से जुड़ना था , उस तकनीक से जो संगीत से उनको एक एअसा मुकाम दिलवा सकती थी जो उन्होने अपने लिये तय किया था ।

उनकी तकनीक की जानकारी उनकी संगीत की जानकारी से ज्यादा महत्व पूर्ण हैं क्युकी उसी की वजह से वो संगीत मिक्सिंग कर पाते हैं । विदेशी निर्देशक अपनी फिल्मो मे तकनीक का प्रयोग बहुत करते हैं । भारत मे जो फ़िल्म बंटी थी उनमे तकनीक के लिये तकनीशियन विदेशी होते थे जैसे राकेश रोशन ने अपनी फ़िल्म मे "जादू { Alien " को बनाने के लिये विदेशी तकनीशियन का सहारा लिया था । या और पहले जाये तो हिन्दी फिल्मो के सेट बाहर से बन कर आते थे और तमाम तेच्निक भी विदेशी होती थी ।

रहमान ने इसका उल्टा किया हैं उन्होने अपना हुनर अपनी तकनीक विदेशी फ़िल्म के लिये दी हैं , जिसका सीधा मतलब हैं की अब भारतीये तकनीक मे भी विदेशो मे अपना झंडा फेहरा रहे हैं ।

Slumdog Millionaire {फ़िल्म मैने नहीं देखी हैं } की कास्ट मे ज्यादातर लोग बहुत नीचे से उठ कर ऊपर आए हैं और इस बात को वो भूले भी नहीं हैं । रहमान , इरफान , अनिल कपूर तीनो ही बहुत ही साधारण परिवारों से आए हैं और बहुत मेहनत कर के सफलता की सीढियां चढ़ कर आज ऑस्कर के मकाम पर पहुचे हैं ।

पिक्चर के नाम को लेकर जो लोग ये कहते हैं की भारतीये गरीबो को ये नाम दिया गया हैं वो सब या तो हमेशा अमीर ही रहे हैं या अपनी गरीबी {humble beginning } को भूलना चाहते हैं । अगर एक नाम देने से सब भारतीये गरीब और डोग होगये तो शायद इससे बड़ा उपहार और जवाब रहमान , गुलज़ार , Resul Pookutty भारत को नहीं दे सकते थे

उन्होने Danny Boyle के जरिये वो किया जो अभी तक नहीं हुआ था , एक शाम तीन बार भारतीये लोग उस ऑस्कर के मंच पर खडे हुए जहाँ अभी तक केवल सत्यजीत राय और भानु अथिया खड़ी हुई थी ।

ये अपने आप मे भारतीये लोगो के लिये एक कीर्तिमान स्थापित करने जैसा था और ये दुनिया को ये भी बताने के लिये काफ़ी हैं कि " डोंट अंडर एस्टीमेट अस " .

अगर हम ये केहते हैं की ये फ़िल्म बेकार हैं और इससे अच्छी फ़िल्म तारे ... थी तो हम ये भूल रहे हैं कि ये ऑस्कर किसी भारतीय फ़िल्म का नहीं हैं { foriegn film category } .

रहमान और पूकुत्टी ने जो किया हैं उस से मुझे तो बहुत फकर हुआ क्युकी मुझे तो हर उस मोमेंट मे फकर होता हैं जब भारत का कोई भी नागरिक उस उच्चाई पर पहुचता हैं जहाँ पर सब नहीं पहुचते । चाहे वो क्रिकेट का मैच हो , या शतरंज का या टेनिस का , या स्पेल्लिंग का मुकबला ।


भारतीये हैं तो भारतीयों कि जीत का जश्न मनाए नाकि ये कहे कि हमे इसकी जरुरत ही नहीं हैं । जरुरत आप को हैं या नहीं पर रहमान और पूकुत्टीको थी अपनी प्रतिभा का आकलन करवाने की ।

बहुत से लोग जो scholarship पर विदेश मे उच्च शिक्षा के लिये जाते हैं सिर्फ़ इसलिये ताकि अपने ज्ञान को बढ़ा सके और फिर वो उस ज्ञान के सहारे सबसे ऊंचे शिखर पर पहुँच जाते हैं । किसी भी रास्ते से चले मकसद सफलता को पाना हैं और भारत का नाम ऊंचा करना हैं । रहमान और पूकुत्टी ने वही किया आप को पसंद आया या नहीं इससे उनको श्याद फरक नहीं पडेगा


1 comment:

  1. Slumdog Millionaire {फ़िल्म मैने नहीं देखी हैं }......

    bahut kuch kah jata hai

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