हवा ने मचाया शोर हैं
नारी कानो से कमजोर हैं
अगल बगल वाली जब आयी
मिसेज़ शर्मा से मिल ना पायी
अपनी जोरू को शर्मा जी ने
घर मे छुपाया
और उसको कपूर की पुडिया बताया
हवा लगते ही उड़ जायेगी
पर दूसरे की जोरू
यानी निबरै की चुहिया
सबकी भाभी ,
हँसी ठिठोली
उससे शर्मा जी करते रहे
अपनी बीवी को बहरा बताते रहे
तभी शर्माइन दरवाजे पर दीखी
नारी सशक्तिकरण का डंडा
बेलन हाथ मे लिये
बोली बहिनी तुम जाओ
हम को पता हैं सशक्तिकरण
बातो से नहीं हाथो और लातो से आता हैं
शादी का हर फेरा यही समझाता हैं
तुम अपना समय देश की उन्नति मे लगाओ
शर्मा जी से मै उंचा इसलिये बुलवाती हूँ
ताकि लोग ये ना कहे
उसका पति गूंगा हैं
शर्मा जी हसियाए और खिसीयाए
बोले हम सन्यासी
मूढ़ विवेकहीन , जोरू के गुलाम
अब ना तुमको बहरा बतायेगे
और
सब नारियों के घर जाकर
हम दरवाजे पर टिप्पणी छोड़ आयेगे
पर
अपने घर का दरवाजे पर
नारी ना आए लिख आयेगे
दिस्क्लैमेर
इस पोस्ट का समीर या खमीर से कुछ लेना देना नहीं हैं और जापान मे नेट चलता हैं
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
July 28, 2009
July 24, 2009
एक ब्लॉग जिस को पढ़ कर अच्छा लगा
सब कहते हैं नयी पढ़ी अपनी संपदा को नहीं सहेज रही हैं । इस ब्लॉग को देखे आप की राय बदल जायेगी ।
दादा जी का ब्लॉग
ब्लॉग लेखक का नाम अद्वैत राघव और अपने दादा जी की कृतियों और रचनाओ को जिस प्रकार से वो नेट पर सुरक्षित और प्रचारित कर रहे हैं वो निसंदेह प्रशंसा के पात्र हैं ।July 23, 2009
उसने कहा था
मेकैनिक ने पूछा पंखे से
तेरी कुडमाई होगई
पंखे ने कहा धत॒
मेकैनिक ने पूछा पंखे से
तेरी कुडमाई होगई
पंखे ने कहा हां होगई
देखते नहीं ये जला हुआ कैपेसिटर
दिस्क्लैमेर
चंद्रधर शर्मा गुलेरी से क्षमा मांगते हुए एक विवेकहीन साहित्यिक ब्लॉग कृति जिसकी चर्चा नहीं होगी
तेरी कुडमाई होगई
पंखे ने कहा धत॒
मेकैनिक ने पूछा पंखे से
तेरी कुडमाई होगई
पंखे ने कहा हां होगई
देखते नहीं ये जला हुआ कैपेसिटर
दिस्क्लैमेर
चंद्रधर शर्मा गुलेरी से क्षमा मांगते हुए एक विवेकहीन साहित्यिक ब्लॉग कृति जिसकी चर्चा नहीं होगी
July 21, 2009
चाह नहीं मै सुर बाला के गहनों मे गुथा जाऊं चाह हैं बस इतनी साहित्यकार कहलाऊं
चाह नहीं मै सुर बाला के गहनों मे गुथा जाऊं
चाह हैं बस इतनी साहित्यकार कहलाऊं
सोचा था मेरा लिखा ब्लॉग पर जब छप जाएगा
हर कूड़ा करकट जहां साहित्य कहलाएगा
मै भी नाम दर्ज कराउंगा
और साहित्यकार बन जाऊँगा
पर
साहित्यकार बस मै ही कहलाऊं
इतनी थी ब्लोगरिया इच्छा मेरी
सो
मेरे मामा साहित्यकार ब्लॉगर एक ने बताया
मेरे पिता साहित्यकार ब्लॉगर दो ने गिनवाया
मेरी माँ साहित्यकार ब्लॉगर तीन ने समझाया
क्या हैं साहित्य और कौन हैं साहित्यकार
पूछे जो वो ब्लॉगर हैं
क्युकी साहित्य तो हेरिदिटी मे
सिर्फ़ कुछ ब्लॉगर को मिला हैं
और बार बार उनका ही
लहू खोलता हैं
सो भईया हम तो ब्लॉगर भले
मुद्दे पे लिखे , विवादों मे घिरे
मन बीती कहे जग बीती सहे
पर अपने लिखे को कभी
साहित्य ना कहे
कालजयी होगा तो रह जायेगा
साहित्य तब ख़ुद बन जायेगा
वरना गूगल के साथ ही
विलोम हो जाएगा
साहित्य रचा नहीं जाता
साहित्य रच जाता हैं
रचियता ख़ुद अपनी रचना को
साहित्य साहित्य नहीं चिल्लाता हैं
चाह हैं बस इतनी साहित्यकार कहलाऊं
सोचा था मेरा लिखा ब्लॉग पर जब छप जाएगा
हर कूड़ा करकट जहां साहित्य कहलाएगा
मै भी नाम दर्ज कराउंगा
और साहित्यकार बन जाऊँगा
पर
साहित्यकार बस मै ही कहलाऊं
इतनी थी ब्लोगरिया इच्छा मेरी
सो
मेरे मामा साहित्यकार ब्लॉगर एक ने बताया
मेरे पिता साहित्यकार ब्लॉगर दो ने गिनवाया
मेरी माँ साहित्यकार ब्लॉगर तीन ने समझाया
क्या हैं साहित्य और कौन हैं साहित्यकार
पूछे जो वो ब्लॉगर हैं
क्युकी साहित्य तो हेरिदिटी मे
सिर्फ़ कुछ ब्लॉगर को मिला हैं
और बार बार उनका ही
लहू खोलता हैं
सो भईया हम तो ब्लॉगर भले
मुद्दे पे लिखे , विवादों मे घिरे
मन बीती कहे जग बीती सहे
पर अपने लिखे को कभी
साहित्य ना कहे
कालजयी होगा तो रह जायेगा
साहित्य तब ख़ुद बन जायेगा
वरना गूगल के साथ ही
विलोम हो जाएगा
साहित्य रचा नहीं जाता
साहित्य रच जाता हैं
रचियता ख़ुद अपनी रचना को
साहित्य साहित्य नहीं चिल्लाता हैं
July 19, 2009
सावन की अन्ताक्षरी बोलीवुड स्टाइल मे
सावन की अन्ताक्षरी बोलीवुड स्टाइल मे
यानी हर कमेन्ट मे लास्ट अक्षर से शुरू हो कर एक गाना जिसमे सावन शब्द हो
"लगी आज सावन की फिर वो झडी हैं "
पहला कमेन्ट" हैं " से या "हा" से
यानी हर कमेन्ट मे लास्ट अक्षर से शुरू हो कर एक गाना जिसमे सावन शब्द हो
"लगी आज सावन की फिर वो झडी हैं "
पहला कमेन्ट" हैं " से या "हा" से
July 15, 2009
हिन्दी ब्लोगिंग की परिभाषा
जब भी कभी
परिभाषित होगी
हिन्दी ब्लोगिंग
तो चहुँ और
होगा शोर
मसखरों का
कुश्ती दंगल और अखाड़ा
परिभाषित होगी
हिन्दी ब्लोगिंग
तो चहुँ और
होगा शोर
मसखरों का
कुश्ती दंगल और अखाड़ा
कुकुरमुत्ते ब्लॉगर साहित्यकार
हिन्दी ब्लॉग्गिंग के
बडे बडे पेडो के नीचे
पनप सकते हैं
बस कुकुकुरमुत्ते
जिनका जीवन काल
होता हैं कुछ पलो का
और फिर वो मर जाते हैं
वही उसी पेड के नीचे
खाद बन कर सड जाते हैं
और बड़ा पेड मुस्कुराता हैं
कि देखो हंसते हंसते
एक और को मै खा गया
यहाँ साहित्यकार बनने आया था
मैने ब्लॉगर भी ना रहने दिया
बडे बडे पेडो के नीचे
पनप सकते हैं
बस कुकुकुरमुत्ते
जिनका जीवन काल
होता हैं कुछ पलो का
और फिर वो मर जाते हैं
वही उसी पेड के नीचे
खाद बन कर सड जाते हैं
और बड़ा पेड मुस्कुराता हैं
कि देखो हंसते हंसते
एक और को मै खा गया
यहाँ साहित्यकार बनने आया था
मैने ब्लॉगर भी ना रहने दिया
July 11, 2009
क्रिकेट और सुनील गावस्कर , one and the same thing
१०/७/०९ को सुनील गावस्कर का जन्म दिन था पर हम बधाई देना ही भूल गए । सो आज दे रहे हैं । इनके बारे मे कुछ लिखना बेकार हैं क्युकी क्रिकेट और सुनील गावस्कर , one and the same thing
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sunil gavaskar
July 10, 2009
एक लिंक जो शायद कभी काम आजाये । देखे ।
एक लिंक जो शायद कभी काम आजाये । देखे ।
July 09, 2009
ईमेल एड्रेस भी एक घर के पते की तरह होता हैं
नेट से प्राप्त किये किसी भी ईमेल पर या किसी भी विषयगत बात के अर्न्तगत प्राप्त किये गए किसी भी ईमेल पर
क्या आप को अपनी पर्सनल ईमेल भेजने का अधिकार हैं । पर्सनल ईमेल यानी जिसको आप अपने मित्रो को भेजते हैं ।
किसी की ईमेल उसका "पर्सनल" एड्रेस होता हैं । पब्लिक डोमेन मे होने का मे मतलब ये नहीं होता की वो सबके लिये कुछ भी भेजने के लिये खुला हैं ।
क्या आप किसी के भी घर का पता पाकर उसको चिट्ठी भेज सकते हैं या उसके घर जा सकते हैं ।
ईमेल एड्रेस भी एक घर के पते की तरह होता हैं उस पर कौन क्या भेज सकता हैं ये घर के मालिक पर निर्भर करता हैं ।
क्या आप को अपनी पर्सनल ईमेल भेजने का अधिकार हैं । पर्सनल ईमेल यानी जिसको आप अपने मित्रो को भेजते हैं ।
किसी की ईमेल उसका "पर्सनल" एड्रेस होता हैं । पब्लिक डोमेन मे होने का मे मतलब ये नहीं होता की वो सबके लिये कुछ भी भेजने के लिये खुला हैं ।
क्या आप किसी के भी घर का पता पाकर उसको चिट्ठी भेज सकते हैं या उसके घर जा सकते हैं ।
ईमेल एड्रेस भी एक घर के पते की तरह होता हैं उस पर कौन क्या भेज सकता हैं ये घर के मालिक पर निर्भर करता हैं ।
July 08, 2009
जरुरी नहीं हैं की हर कोई आप से अन्तरंग होना चाहे और ये भी जरुरी हैं की आप की हर ग़लत हरकत को नज़र अंदाज किया जाये ।
जो लोग ईमेल मे BCC की जगह CC का इस्तमाल करते हैं और ईमेल मे बेहुदे चुटकुले भेजते हैं क्या वो कभी सोचते हैं की ये सब केवल और केवल उनको ही ईमेल किया जा सकता हैं जिन से आप की अंतरंगता हैं । किसी को ईमेल भेजने से पहले क्या वो ये नहीं सोचते हैं उनकी जिस से अंतरंगता नहीं हैं उसका नाम CC मे दे कर वो उससे एक अंतरंगता होने का भ्रम पैदा करते हैं .
किसी के पास आप के जोक्स को समझने का सेंस ऑफ़ ह्यूमर ना हो पर आपके पास तो सेंस भी नहीं होता वरना इस प्रकार का कार्य करने से पहले आप सोचते । और अगर आप सोच समझ कर कर रहे हैं तो आप जान कर दूसरे की संवेदनाओं को हर्ट कर रहे हैं ।
जरुरी नहीं हैं की हर कोई आप से अन्तरंग होना चाहे और ये भी जरुरी हैं की आप की हर ग़लत हरकत को नज़र अंदाज किया जाये ।
सन्दर्भ
कल आयी एक मेल जिसमे मेरा और एक और महिला ब्लॉगर का नाम एक ब्लॉगर ने अपने इष्ट मित्रो के नाम के साथ सीसी किया । दूसरी महिला ब्लॉगर का तो मुझे पता नहीं पर अपना कह सकती हूँ की मेरी उनसे कोई ऐसी नजदीकी नहीं हैं की इस प्रकार की मेल आती ।
किसी के पास आप के जोक्स को समझने का सेंस ऑफ़ ह्यूमर ना हो पर आपके पास तो सेंस भी नहीं होता वरना इस प्रकार का कार्य करने से पहले आप सोचते । और अगर आप सोच समझ कर कर रहे हैं तो आप जान कर दूसरे की संवेदनाओं को हर्ट कर रहे हैं ।
जरुरी नहीं हैं की हर कोई आप से अन्तरंग होना चाहे और ये भी जरुरी हैं की आप की हर ग़लत हरकत को नज़र अंदाज किया जाये ।
सन्दर्भ
कल आयी एक मेल जिसमे मेरा और एक और महिला ब्लॉगर का नाम एक ब्लॉगर ने अपने इष्ट मित्रो के नाम के साथ सीसी किया । दूसरी महिला ब्लॉगर का तो मुझे पता नहीं पर अपना कह सकती हूँ की मेरी उनसे कोई ऐसी नजदीकी नहीं हैं की इस प्रकार की मेल आती ।
July 07, 2009
ब्लॉगर ब्लॉगर संवाद
ब्लॉगर ब्लॉगर संवाद
ब्लॉगर १ कहो कैसी हो और क्या चल रहा हैं
ब्लॉगर २ बस ठीक हूँ तुम बताओ कोई नई ख़बर
ब्लोगेर १ तुम्हे नहीं पता
ब्लॉगर २ ना कुछ ख़ास
ब्लॉगर १ जानती हो पाखण्ड को ख़तम करने के लिये व्यभिचार जरुरी हैं
ब्लॉगर २ क्या कह रहे हो
ब्लॉगर १ बिल्कुल सही कह रहा हूँ
ब्लॉगर २ कहा देखा
ब्लॉगर १ तेरी समझ भी ना !! क्या कहू हिन्दी ब्लॉग ध्यान से पढा कर समझ ठीक हो जाएगी
ब्लॉगर १ कहो कैसी हो और क्या चल रहा हैं
ब्लॉगर २ बस ठीक हूँ तुम बताओ कोई नई ख़बर
ब्लोगेर १ तुम्हे नहीं पता
ब्लॉगर २ ना कुछ ख़ास
ब्लॉगर १ जानती हो पाखण्ड को ख़तम करने के लिये व्यभिचार जरुरी हैं
ब्लॉगर २ क्या कह रहे हो
ब्लॉगर १ बिल्कुल सही कह रहा हूँ
ब्लॉगर २ कहा देखा
ब्लॉगर १ तेरी समझ भी ना !! क्या कहू हिन्दी ब्लॉग ध्यान से पढा कर समझ ठीक हो जाएगी
चुटकियाँ
चुटकियाँ जो काटते हैं
शालीनता का मुलम्मा ओढ़ कर
वो भूल जाते हैं
की पाँच उँगलियों की छाप
हर मुलम्मे को उतार देती हैं
और रह जाता हैं नंगा शरीर
और उससे भी ज्यादा नंगा मन
कपडे बस तन ढकते हैं
कपड़ो मे मन ढकने की ताकत नहीं होती
सभ्यता अगर कपड़ो से आती
तो हर सफेदपोश सभ्य ही होता
शालीनता का मुलम्मा ओढ़ कर
वो भूल जाते हैं
की पाँच उँगलियों की छाप
हर मुलम्मे को उतार देती हैं
और रह जाता हैं नंगा शरीर
और उससे भी ज्यादा नंगा मन
कपडे बस तन ढकते हैं
कपड़ो मे मन ढकने की ताकत नहीं होती
सभ्यता अगर कपड़ो से आती
तो हर सफेदपोश सभ्य ही होता
July 04, 2009
लिंक पसंद आए हो तो जरुर बताये और मसोदा भी कैसा हैं इस पर भी विचार दे ।
किसी ने पोस्ट लिखी । आप को नहीं पसंद आयी ।
आप ने कमेन्ट किया और उसमे अपना फ़ोन नम्बर भी दिया , की मेरी बात समझनी हो तो इस नम्बर पर बात कर ले।
आप ने पोस्ट लिखी । किसी को नहीं पसंद आयी । उसने कमेन्ट किया ।
आप ने तुंरत प्रति कमेन्ट किया और उसमे अपना फ़ोन नम्बर दिया और कहा आप को अगर मेरी पोस्ट के बारे मे बात करनी हो तो इस नम्बर पर बात करले ।
ब्लॉग पर अपना फ़ोन नम्बर इस प्रकार से देना एक निमन्त्रण की तरह होता हैं लेकिन क्या आप को अधिकार हैं अपना फ़ोन नम्बर किसी के ब्लॉग पोस्ट या कमेन्ट पर छोड़ने का ??
आप को हँसी मजाक पसंद हैं , आप की जिन्दगी का मकसद हैं हँसना , हँसाना वाह , इससे अच्छा कुछ हो ही नहीं सकता ।
किसी ने पोस्ट लिखी आप ने उस पोस्ट पर अपना हँसता खिलखिलाता कमेन्ट डाला जिसका पोस्ट से तो कोई लेना देना ही नहीं था बस आप का मन था की वहाँ लोग पोस्ट से भटक कर आप के आए कमेन्ट की बात करे । यानी आप एक व्यवधान बना रहे थे हँसी मे , जान कर , उस पोस्ट लेखक के लिये । आप को माना किया गया तो आप ने तुंरत कहा हमारे लिये ब्लोगिंग ही नहीं जिन्दगी भी हँसी मजाक हैं । आप का कमेन्ट मोदेराते किया गया तो भी आप कमेन्ट देते रहे क्युकी आप को पता हैं की आप का कमेन्ट ईमेल से ब्लॉग मालिक के पास जाता हैं । सोचिये क्या सच मे आप की हँसी मजाक की आदत हैं या आप की कुंठा हैं की आप बार बार अपनी भडास एक ही पोस्ट पर डालते जा रहे हैं
The Blogger’s Guide to Comment Etiquette ऐसे लोगो को जरुर पढ़ना चाहिये जो ब्लॉग पर निरंतर कमेन्ट करना अपना अधिकार समझते ।
और
Blog etiquette भी देखे जरुर ।
लिंक पसंद आए हो तो जरुर बताये और मसोदा भी कैसा हैं इस पर भी विचार दे ।
आप ने कमेन्ट किया और उसमे अपना फ़ोन नम्बर भी दिया , की मेरी बात समझनी हो तो इस नम्बर पर बात कर ले।
आप ने पोस्ट लिखी । किसी को नहीं पसंद आयी । उसने कमेन्ट किया ।
आप ने तुंरत प्रति कमेन्ट किया और उसमे अपना फ़ोन नम्बर दिया और कहा आप को अगर मेरी पोस्ट के बारे मे बात करनी हो तो इस नम्बर पर बात करले ।
ब्लॉग पर अपना फ़ोन नम्बर इस प्रकार से देना एक निमन्त्रण की तरह होता हैं लेकिन क्या आप को अधिकार हैं अपना फ़ोन नम्बर किसी के ब्लॉग पोस्ट या कमेन्ट पर छोड़ने का ??
आप को हँसी मजाक पसंद हैं , आप की जिन्दगी का मकसद हैं हँसना , हँसाना वाह , इससे अच्छा कुछ हो ही नहीं सकता ।
किसी ने पोस्ट लिखी आप ने उस पोस्ट पर अपना हँसता खिलखिलाता कमेन्ट डाला जिसका पोस्ट से तो कोई लेना देना ही नहीं था बस आप का मन था की वहाँ लोग पोस्ट से भटक कर आप के आए कमेन्ट की बात करे । यानी आप एक व्यवधान बना रहे थे हँसी मे , जान कर , उस पोस्ट लेखक के लिये । आप को माना किया गया तो आप ने तुंरत कहा हमारे लिये ब्लोगिंग ही नहीं जिन्दगी भी हँसी मजाक हैं । आप का कमेन्ट मोदेराते किया गया तो भी आप कमेन्ट देते रहे क्युकी आप को पता हैं की आप का कमेन्ट ईमेल से ब्लॉग मालिक के पास जाता हैं । सोचिये क्या सच मे आप की हँसी मजाक की आदत हैं या आप की कुंठा हैं की आप बार बार अपनी भडास एक ही पोस्ट पर डालते जा रहे हैं
The Blogger’s Guide to Comment Etiquette ऐसे लोगो को जरुर पढ़ना चाहिये जो ब्लॉग पर निरंतर कमेन्ट करना अपना अधिकार समझते ।
और
Blog etiquette भी देखे जरुर ।
लिंक पसंद आए हो तो जरुर बताये और मसोदा भी कैसा हैं इस पर भी विचार दे ।
July 03, 2009
होमोसेक्सुँलिटी पर आज एक बहुत अच्छा लेख हिंदुस्तान टाइम्स मे आया हैं ।
किसी भी विषय पर अंधाधुंध लिखना शुरू करने से पहले उस विषय पर पढ़ना भी जरुरी होता हैं । कुछ विषय बहुत भ्रांतियां लिये होते हैं और उन पर लिखने से पहले उनको जानना भी जरुरी हैं । हम किसी को कभी भी नकार देने की परम्परा मे जीते हैं और जो सब करते हैं उसे ही सही मानते हैं लेकिन ईश्वर { अगर आप इस शक्ति को मानते हैं तो } या वो शक्ति जो दुनिया मे जीवन लाती हैं , ने सबको एक सा नहीं बनाया हैं । सबकी पसंद ना पसंद अलग अलग हैं और इस लिये सबको संविधान ने आज़ादी दी हैं की अपनी जिंदगी अपनी तरह जियो , बिना दुसरो को बाधित किये ।
होमोसेक्सुँलिटी पर आज एक बहुत अच्छा लेख हिंदुस्तान टाइम्स मे आया हैं । ई पेपर पर ये आप को पेज ९ पर मिलेगा । पढ़ने के इच्छुक पाठक वहाँ पढ़ सकते हैं । कोई साइंटिस्ट या डॉक्टर इस विषय पर विस्तृत ब्लॉग पोस्ट देता तो बहुत से लोगो का ज्ञान वर्धन होता ।
होमोसेक्सुँलिटी पर आज एक बहुत अच्छा लेख हिंदुस्तान टाइम्स मे आया हैं । ई पेपर पर ये आप को पेज ९ पर मिलेगा । पढ़ने के इच्छुक पाठक वहाँ पढ़ सकते हैं । कोई साइंटिस्ट या डॉक्टर इस विषय पर विस्तृत ब्लॉग पोस्ट देता तो बहुत से लोगो का ज्ञान वर्धन होता ।
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