किसी भी विषय पर अंधाधुंध लिखना शुरू करने से पहले उस विषय पर पढ़ना भी जरुरी होता हैं । कुछ विषय बहुत भ्रांतियां लिये होते हैं और उन पर लिखने से पहले उनको जानना भी जरुरी हैं । हम किसी को कभी भी नकार देने की परम्परा मे जीते हैं और जो सब करते हैं उसे ही सही मानते हैं लेकिन ईश्वर { अगर आप इस शक्ति को मानते हैं तो } या वो शक्ति जो दुनिया मे जीवन लाती हैं , ने सबको एक सा नहीं बनाया हैं । सबकी पसंद ना पसंद अलग अलग हैं और इस लिये सबको संविधान ने आज़ादी दी हैं की अपनी जिंदगी अपनी तरह जियो , बिना दुसरो को बाधित किये ।
होमोसेक्सुँलिटी पर आज एक बहुत अच्छा लेख हिंदुस्तान टाइम्स मे आया हैं । ई पेपर पर ये आप को पेज ९ पर मिलेगा । पढ़ने के इच्छुक पाठक वहाँ पढ़ सकते हैं । कोई साइंटिस्ट या डॉक्टर इस विषय पर विस्तृत ब्लॉग पोस्ट देता तो बहुत से लोगो का ज्ञान वर्धन होता ।
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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अच्छा लेख है समझने के लिये.. पर ये कहना की "its something you are born with..its not behaviour.." हजम नहीं होता... कुछ cases में एसा हो सकता है पर सभी में नहीं.. नहीं तो bisexual कहाँ से आये?
ReplyDeleteरचना जी,
ReplyDeleteहोमोसेक्सु॒लिटी कोई नई बात नहीं है इसका इतिहास १८००-२००० साल पुराना है इसका ज़िक्र तो कुरआन मजीद मे भी है।
बस इस फ़ैसले के बाद ये लोग आज़ादी से अपनी भावनाओं को दर्शा सकेंगें।
इस तरह के रिश्ते मे इन सम्बंधो की वजह से बहुत सी बीमारियां हो जाती है उनमें से कुछ का ज़िक्र कुरआन मजीद मे है।
ReplyDeleteवक्त की कमी की वजह से मैं इस विषय पर ठीक से जानकारी इकट्ठी नही कर सका...बहुत जल्द सब कुछ इक्ट्ठा करके एक पोस्ट लिखने की कोशिश करता हूं।
मामला धार्मिक और सामाजिक से ज्यादा शरीर विज्ञान और मनोविज्ञान से सम्बन्धित है. बहस धर्म व समाज के नेता कर रहे है. :)
ReplyDeleteधन्यवाद
ReplyDelete---
विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
समझ गए हम पूरा मामला !
ReplyDeleteघर जाकर शाम को अवश्य पढूंगा। जानकारी के लिए आभारी हूं।
ReplyDeleteacha lekh hai
ReplyDeleteसमय पर निर्सभर करता है,
ReplyDeleteरामराम.
लेख को यहां देने के लिए धन्यवाद।
ReplyDeleteसंजय जी से सहमत हूँ
ReplyDeleteभारतीय कानून ने
ReplyDeleteएक नई दिशा खोल दी -
अमरीका मँ
अभी तक
इसी मुद्दे के पक्ष और विपक्ष मेँ
दोनोँ तरह के विचार रखनेवालोँ के बीच
सँघर्ष जारी है --
प्राकृतिक बनावट से जो समलैँगिक हैँ उनके लिये आरक्षण अच्छा है
परँतु आगे समाज मेँ
अगर ऐसे लोगोँ की सँख्या बढती गयी तब जो समाज उभरेगा,
उसकी सँरचना
आज के स्त्री / पुरुष लिये समाज से बहुत अलग होगी
ये निस्चित है -
जैसा पस्चिम मेँ
कई परिवारोँ मेँ,
अब साफ, दीख रहा है ...
ना ईश्वर को ही मानो
ना ही पुरातन पँथी,
दकियानुसी
वेद जनित
सामाजिक व्यवस्थावाले
धर्म को ही मानो -
अब तो बस,
कोँग्रेस पार्टी के कानून ही
देस को आगे लिवाने का
महत्त्वपूर्ण काम करेँगे जी ..
और,
ज्ञान जी ,
अमरीका मेँ
नये बिज़नेस के अवसर
ऐसे सिर्फ
"ग़े" लोगोँ के लिये
यात्राएँ
( लक्ज़री क्रूज शीप पर )
भी चल ही रही हैँ -
भारत बदल रहा है
और वो भी बहुत तेजी से ..
- लावण्या
किसी अखबार में कोर्ट - रूलिंग के बारे में पढ़ा था उसकी भाषा कुछ ऐसी थी जैसे कोर्ट होमोसेक्स्सुअल्टी या समलैंगिकता के पक्ष में निर्णय दे तथा शासन द्वारा सम्बंधित सजा की धारा समाप्त करना नैसर्गिक एवं प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के आधार पर किया गया महान कार्य है | अगर समाचार-पत्र द्वारा उल्लिखित भाषा और निर्णय आदि की भाषा एक ही है , तो फिर हमें सोचना पड़ेगा की नैसर्गिक एवं प्राकृतिक का वास्तविक अर्थ क्या हैं ? क्या वो जो कुछ बीमार सोच वाली मानसिकता के लोग परिभाषित कर रहे हैं या वो जो इस ' प्रकृति ' द्वारा हमें ' नैसर्गिक ' रूप से दिया या प्रदत्त किया गया है ? कहीं अतिआधुनिक एवं तथा कथित प्रगति शील कहलाने की अंधी दौड़ में हम अपने पैरों पर कुल्हाडी तो नहीं मारे ले रहें हैं ,jab ki abhi tak ki gayi apani murkhataon ka alamate mnav samaj bhugat raha hai ,fir bhi usaki ankhe nahi khul rahin|||
ReplyDeletevaise purush samaj ke liye ek janakari aurchetavani:--
''purshon men punsatv ka nirdharan karane vale ''Genomik gun sutron '' ki sankhya khatarnak dhang se khatanak star tak kam ho chuki hai jab ki striyon men koee vishsh privartan nahi ayaa hai ; atah purush samaj svadhan rahen ya nhi agale pnch se das hajar sal bad purush ke sathan par keval " NANA PATEKAR ke dialog ' ek machchhar adami ko .......vali biradari hi bchegi , aur fir kyonki purush santan hogi nahi atah kuchh dino men pursh namka prajati ka '' kuru kuru swaha '' ho jayeg aur yah dharti ,Shaukat thnavi ke unyas vala ZANANISTAN ban jayeg ||
INTERNET CONECCTION NAHI ATAH ROMAN SE HI KAM CHALAAEEYE.