मेकैनिक ने पूछा पंखे से
तेरी कुडमाई होगई
पंखे ने कहा धत॒
मेकैनिक ने पूछा पंखे से
तेरी कुडमाई होगई
पंखे ने कहा हां होगई
देखते नहीं ये जला हुआ कैपेसिटर
दिस्क्लैमेर
चंद्रधर शर्मा गुलेरी से क्षमा मांगते हुए एक विवेकहीन साहित्यिक ब्लॉग कृति जिसकी चर्चा नहीं होगी
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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sahi jawab diya pankhe ne..
ReplyDeletedekhete nahi ..
badhiya..bahut badhiya.
गुलेरी क्षमा ही नहीं करेंगे खुश भी होंगे। बहुत दिन बाद किसीने याद किया।
ReplyDeletesahee jabaab
ReplyDelete"उसने कहा था" याद दिला दी आपने...इस पर बनी फिल्म का गाना "आ हा रिमझिम के ये प्यारे प्यारे गीत लिए..." बेहद खूबसूरत है...शुक्रिया आपका और विवेक जी का भी जिनकी पोस्ट से आपको ये लिखने की प्रेरणा बनी.
ReplyDeleteनीरज
maza aaya ..........waah waah
ReplyDeleteरोटेटर की क्या पोजिशन है..बस! यूँ ही..पंखे के भविष्य को लेकर चिंतित था इसलिए पूछा!! :०
ReplyDelete----
एक विवेकहीन साहित्यिक ब्लॉग कृति जिसकी चर्चा नहीं होगी -ऐसा क्यूँ??
बहुत खूब -- मैकेनिक को भी तो करंट लगा होगा.
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