चुटकियाँ जो काटते हैं
शालीनता का मुलम्मा ओढ़ कर
वो भूल जाते हैं
की पाँच उँगलियों की छाप
हर मुलम्मे को उतार देती हैं
और रह जाता हैं नंगा शरीर
और उससे भी ज्यादा नंगा मन
कपडे बस तन ढकते हैं
कपड़ो मे मन ढकने की ताकत नहीं होती
सभ्यता अगर कपड़ो से आती
तो हर सफेदपोश सभ्य ही होता
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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(16)
सभ्यता अगर कपड़ो से आती
ReplyDeleteतो हर सफेदपोश सभ्य ही होता
बहुत गहरी बात
बहुत अच्छी रचना
सही कटाक्ष...........सुन्दर
ReplyDeleteगहरी सोच!!
ReplyDelete:) bahut sahi
ReplyDeleteकही पे निगाहें कही पे निशना लगाया जा रहा है
ReplyDeleteवीनस केसरी
bahut sundar !
ReplyDeletebahut khoob !
badhaai !
यहाँ चुटकी काटने वाले का नाम भी मिल जाता तो क्या बात थी । वैसे बात बहुत ही यथार्थ पूर्ण है ।
ReplyDeleteसभ्यता अगर कपड़ो से आती
ReplyDeleteतो हर सफेदपोश सभ्य ही होता
अच्छा है!