किसी ने पोस्ट लिखी । आप को नहीं पसंद आयी ।
आप ने कमेन्ट किया और उसमे अपना फ़ोन नम्बर भी दिया , की मेरी बात समझनी हो तो इस नम्बर पर बात कर ले।
आप ने पोस्ट लिखी । किसी को नहीं पसंद आयी । उसने कमेन्ट किया ।
आप ने तुंरत प्रति कमेन्ट किया और उसमे अपना फ़ोन नम्बर दिया और कहा आप को अगर मेरी पोस्ट के बारे मे बात करनी हो तो इस नम्बर पर बात करले ।
ब्लॉग पर अपना फ़ोन नम्बर इस प्रकार से देना एक निमन्त्रण की तरह होता हैं लेकिन क्या आप को अधिकार हैं अपना फ़ोन नम्बर किसी के ब्लॉग पोस्ट या कमेन्ट पर छोड़ने का ??
आप को हँसी मजाक पसंद हैं , आप की जिन्दगी का मकसद हैं हँसना , हँसाना वाह , इससे अच्छा कुछ हो ही नहीं सकता ।
किसी ने पोस्ट लिखी आप ने उस पोस्ट पर अपना हँसता खिलखिलाता कमेन्ट डाला जिसका पोस्ट से तो कोई लेना देना ही नहीं था बस आप का मन था की वहाँ लोग पोस्ट से भटक कर आप के आए कमेन्ट की बात करे । यानी आप एक व्यवधान बना रहे थे हँसी मे , जान कर , उस पोस्ट लेखक के लिये । आप को माना किया गया तो आप ने तुंरत कहा हमारे लिये ब्लोगिंग ही नहीं जिन्दगी भी हँसी मजाक हैं । आप का कमेन्ट मोदेराते किया गया तो भी आप कमेन्ट देते रहे क्युकी आप को पता हैं की आप का कमेन्ट ईमेल से ब्लॉग मालिक के पास जाता हैं । सोचिये क्या सच मे आप की हँसी मजाक की आदत हैं या आप की कुंठा हैं की आप बार बार अपनी भडास एक ही पोस्ट पर डालते जा रहे हैं
The Blogger’s Guide to Comment Etiquette ऐसे लोगो को जरुर पढ़ना चाहिये जो ब्लॉग पर निरंतर कमेन्ट करना अपना अधिकार समझते ।
और
Blog etiquette भी देखे जरुर ।
लिंक पसंद आए हो तो जरुर बताये और मसोदा भी कैसा हैं इस पर भी विचार दे ।
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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बढ़िया।
ReplyDeleteलेकिन जिस देश में सर्वव्यापी हो चुके मोबाईल एटिक्स को लगभग नहीं के बराबर माना जाता हो, वहाँ ब्लॉग एटिक्स क्या माने जायेंगे। सार्वजनिक परिवहन, सड़क पर ट्रैफिक का भी यही हाल है।
ब्लॉग जगत पर सिरे से नकारे जाने वाले कुछ मुद्दों को अपनाने हेतु मेरा हमेशा प्रयास रहता है, जैसे (तात्कालिक तौर पर):
Commenting on a blog is about more than getting hits to your website or increasing your PageRank. It’s about building relationships. Use your comments as a way to get to know the blog writer and allow them to get to know you.
Instead of being defensive and denying it, just admit your blunder and move on.
Punctuation is your friend, so use it.
अब कोई कहे कि भाषा की शुद्धता या रिश्ते बनाने में हमारी रुचि नहीं तो उसे फिर इन्हीं लिंक्स को पढ़ना चाहिए।
ReplyDeleteअमि जानिजा माडरेशन लागू आहे, तेन्ना एकु ढीठ कमेन्ट !
रचना जी, जो आपको हो पसँद, हम वही बात कहेंगे ।
मैंणूँ पीच्छे वी पड्ढ्या सी ये मैटर,
पण बहन जी हिन्दी ब्लागिंग के मापदण्ड आसमान से उतारे गये फ़तवे हैं ।
किसको फ़र्क पड़ेगा यह पढ़ कर कि,
6. Thou shall own up to thy mistakes. Despite online chest-puffing to the contrary, nobody's perfect. You are going to make mistakes. You are going to be wrong about things. Instead of being defensive and denying it, just admit your blunder and move on. If you have the urge to browbeat somebody about making a mistake, refer to the second commandment.
10. Thou shall respect the old adage: What happens on the wiki stays on the wiki. It's wonderful how blogs and wikis can provide you with new knowledge, insight, and perspective, and you should certainly carry what you learn with you when you leave your computer. But all the bickering, arguing, correcting, and other antics it took to get there? Leave those behind. There is no need to bring your wiki-capades home with you.
या यदि यह अपेक्षित है कि,
A word about anonymous commenting.
For one reason or another, people feel the need to make anonymous comments. This practice is not right, wrong, good or bad. In some cases this is the only option available especially when personal safety is a concern. However, just so you know using a pseudonym is the same as talking to people with a paper bag over your head which can hurt your credibility. Even when leaving negative comments, it’s best to leave either your name or your web identity.
Commenting on a blog is about more than getting hits to your website or increasing your PageRank. It’s about building relationships. Use your comments as a way to get to know the blog writer and allow them to get to know you. The webernet may be virtual but we’re connected by more than service providers.
फिर तो मेरा फ़तवा बनाम कौवारोर भी सुन / पढ़ लीजिये :
" रचना सिंह अँग्रेज़ी ब्लागिंग के प्रतिमान हिन्दी वालों पर थोपती हैं, क्यूँ ? "
क्यूँ..क्यूँ..क्यूँ, कोई ज़वाब है आपके पास ?
हमलोग जो हैं ना.. अभी बच्चे हैं, शैशवावस्था को कल ही प्राप्त हुये हैं,
आप हमें रातोंरात स्नाकोत्तर बना देना चाहती हैं !
जब इतने सारे बच्चे हैं ना जी, तो थोड़ा तोड़ फोड़ भी करबे करेंगे ना जी !
ग़ुस्ताख़ी माफ़ !
आप हमें रातोंरात स्नाकोत्तर बना देना चाहती हैं !
ReplyDelete12 th tak aajaatey to bhi chalta haen dr amar
padhen sab kuchh aur comments bhi den, par saarthak , aap blogs padh rahe hain aur isamen ruchi bhi rakhate hain to apake comments aapaki eka tasveer prastut karate hain, bhale hi aap usamen likhane vale ko galiyan den , jaroori nahin ki prashansha karen lekin aalochana bhi karen to maryadit bhasha men.
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