हवा ने मचाया शोर हैं
नारी कानो से कमजोर हैं
अगल बगल वाली जब आयी
मिसेज़ शर्मा से मिल ना पायी
अपनी जोरू को शर्मा जी ने
घर मे छुपाया
और उसको कपूर की पुडिया बताया
हवा लगते ही उड़ जायेगी
पर दूसरे की जोरू
यानी निबरै की चुहिया
सबकी भाभी ,
हँसी ठिठोली
उससे शर्मा जी करते रहे
अपनी बीवी को बहरा बताते रहे
तभी शर्माइन दरवाजे पर दीखी
नारी सशक्तिकरण का डंडा
बेलन हाथ मे लिये
बोली बहिनी तुम जाओ
हम को पता हैं सशक्तिकरण
बातो से नहीं हाथो और लातो से आता हैं
शादी का हर फेरा यही समझाता हैं
तुम अपना समय देश की उन्नति मे लगाओ
शर्मा जी से मै उंचा इसलिये बुलवाती हूँ
ताकि लोग ये ना कहे
उसका पति गूंगा हैं
शर्मा जी हसियाए और खिसीयाए
बोले हम सन्यासी
मूढ़ विवेकहीन , जोरू के गुलाम
अब ना तुमको बहरा बतायेगे
और
सब नारियों के घर जाकर
हम दरवाजे पर टिप्पणी छोड़ आयेगे
पर
अपने घर का दरवाजे पर
नारी ना आए लिख आयेगे
दिस्क्लैमेर
इस पोस्ट का समीर या खमीर से कुछ लेना देना नहीं हैं और जापान मे नेट चलता हैं
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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बेल दिया पापड़वाले को आत्तो !
ReplyDeleteबहर में नहीं है...गा नहीं पा रहे. :)
ReplyDeleteवाह बहुत सुंदर रचना. आभार.
ReplyDeleteरामराम.
वाह ये हुई ना बात !!
ReplyDeleteनहले पे दहला:)
ReplyDeletegazab kar dala re......................
ReplyDeletemaar hi daala mr. buddhimaan ko ...ha ha ha ha
ये खमीर कौन है. बहुत नटखट लगता है.
ReplyDeleteवाह, यहां तो कई सूरमा हिंदी ब्लाग जगत के उत्थान में जुटे हैं। मजा आ गया।
ReplyDeleteहा हा..
ReplyDeleteओह तो ये है हिंदी ब्लोगिंग की देन
ReplyDeleteGAZABBBBBBBBBBB!!!!!!!!!!
ReplyDelete
ReplyDeleteहमको टीपने दिजीए कि हम भाई कुश जी का टिप्पनिया का समर्थन करता हूँ ।
are, vah-jinke liye hai vai bhi samajh gaye.
ReplyDeleterachna ji ,padhkar to bus mazaa hi aa gaya .. waah ji waah .. kya khoob likha hai ji ...badhai
ReplyDeleteregards
vijay
please read my new poem " झील" on www.poemsofvijay.blogspot.com