मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

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August 07, 2009

ब्लॉग पर चुहल करने वाले पढ़ ले क्या पता कब वकील की जरुरत पड़ जाए

हँसी मजाक और ठिठोली
तब तक ही भली
जब तक दूसरे ने सह ली
ना सही तो २०० करोड़ की
हँसी ठिठोली करने वाले को पडी

10 comments:

  1. ऐसे ही पंगों से बाज आने से कुछ सलाह, अरसा पहले एक वकील ने ईमेल में दी थी तो हंगामा हो गया था उस बेचारे की ऐसी तैसी कर दी गई थी
    अब फिर वही बातें होंगी?

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  2. समझ मे कुछ नही आयी............क्या कहे .....

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  3. बता रही है या धमका रही है :)

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  4. "हँसी मजाक और ठिठोली
    तब तक ही भली
    जब तक दूसरे ने सह ली"

    पूर्णतः सहमत हूँ ।

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  5. जरूरत पड़ने पर हम हैं ना!
    पहले से चेताने से तो धंधा भी खराब होता है। अपना नहीं तो अपने भाइयों का। फिर सिर बजने की कीमत पर ना भई, ना!

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  6. बहनजी, हमारा तो डर के मारे हाल एकदम से खराब है...:(

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  7. चलो 200 करोड़ मिलेंगे
    तो बहुत से काम सधेंगे
    बल्कि ये कहूं कि पूरे सधेंगे
    खूब सारी संगोष्ठियां करेंगे
    और कुछ नहीं फिर तो
    चुहलबाजी और ठिठोली
    से ही नाश्‍ता करेंगे
    और भरेंगे पेट
    जब खुल जाएगा
    200 करोड़ रुपयों के
    आने का मेरे बैंक खाते में गेट।

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  8. आपकी ये चुहलबाजी हमें अच्छी नहीं लगी !

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  9. रचना जी, सनी देओल की बात ही कुछ और है..
    वह LUX में अपना लक पहन कर चलते हैं,
    हम मैली कुचैली रूपा पहनने वाले तो इतने दावे की कोर्ट फ़ीस भी न जुटा पायेंगे ।

    आगे टिप्पणी करने वाले सज्जनों, आज से आप अपना लक पहन कर चला करें,
    तभी इस पोस्ट से कुछ सीख ले पायेंगे ।

    हम तो सुधरेंगे, रचना जी..
    चाहे ज़ूते पड़ें हज़ार, तमाशा घुस कर देखो !!

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