हँसी मजाक और ठिठोली
तब तक ही भली
जब तक दूसरे ने सह ली
ना सही तो २०० करोड़ की
हँसी ठिठोली करने वाले को पडी
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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ऐसे ही पंगों से बाज आने से कुछ सलाह, अरसा पहले एक वकील ने ईमेल में दी थी तो हंगामा हो गया था उस बेचारे की ऐसी तैसी कर दी गई थी
ReplyDeleteअब फिर वही बातें होंगी?
समझ मे कुछ नही आयी............क्या कहे .....
ReplyDeleteबता रही है या धमका रही है :)
ReplyDelete"हँसी मजाक और ठिठोली
ReplyDeleteतब तक ही भली
जब तक दूसरे ने सह ली"
पूर्णतः सहमत हूँ ।
जरूरत पड़ने पर हम हैं ना!
ReplyDeleteपहले से चेताने से तो धंधा भी खराब होता है। अपना नहीं तो अपने भाइयों का। फिर सिर बजने की कीमत पर ना भई, ना!
बहनजी, हमारा तो डर के मारे हाल एकदम से खराब है...:(
ReplyDeleteदिनेश जी है ना !
ReplyDeleteचलो 200 करोड़ मिलेंगे
ReplyDeleteतो बहुत से काम सधेंगे
बल्कि ये कहूं कि पूरे सधेंगे
खूब सारी संगोष्ठियां करेंगे
और कुछ नहीं फिर तो
चुहलबाजी और ठिठोली
से ही नाश्ता करेंगे
और भरेंगे पेट
जब खुल जाएगा
200 करोड़ रुपयों के
आने का मेरे बैंक खाते में गेट।
आपकी ये चुहलबाजी हमें अच्छी नहीं लगी !
ReplyDelete
ReplyDeleteरचना जी, सनी देओल की बात ही कुछ और है..
वह LUX में अपना लक पहन कर चलते हैं,
हम मैली कुचैली रूपा पहनने वाले तो इतने दावे की कोर्ट फ़ीस भी न जुटा पायेंगे ।
आगे टिप्पणी करने वाले सज्जनों, आज से आप अपना लक पहन कर चला करें,
तभी इस पोस्ट से कुछ सीख ले पायेंगे ।
हम तो सुधरेंगे, रचना जी..
चाहे ज़ूते पड़ें हज़ार, तमाशा घुस कर देखो !!