मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

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July 11, 2012

रवि कर फटी चर

चाम में आकर्षण हैं
कह कर
अपनी मानसिकता की
खुद खोल दी हैं पोल
चमार को चाम
सबसे ज्यादा हैं भाता


उसकी रोजी रोटी
चाम ही चलता
बाकी सब के लिये
ये कहना
अब कानूनन 
यौन शोषण में हैं आता
"रचना रची जब नार की
सत्यम , शिवम् , सुन्दरम से
शोभा बढ़ी संसार की "


मेरा कमेन्ट यहाँ 

कुछ सम्बंधित लिंक
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ये हैं मानसिकता पहले मेल देते हैं तारीफ़ करते हैं और अगर ना सुनो तो वही घिसा पिटा शरीर का राग अलापते हैं .

रवि कर  फटी चर

some times its such fun to keep pricking and keep bringing out the real feeling
now the real caliber a typical male ego where when a woman talks . talk about her body and life and call your self ram and show as if she is luring you .

i just love when they get irritated and come up with such logics and behave like a kaam dev kaa avtar

what fun and they think i must be so irritated ha haa haaa

अपडेट
इतनी मेहनत से ये पोस्ट लिखी सोचा कुछ देरे एंजोयमेंट रहेगा लेकिन काम देव की पोस्ट अनंग होगयी
एक भी नहीं दिख रही

सो सैड
सैदिसटिक मज़ा ख़तम हुआ 


13 जुलाई
पोस्ट फिर दिख रही हैं और पोस्ट के बीच में लिखा दिया रचना यौन शोषण की धमकी दी
अपने ब्लॉग गुरु के गुरु के नक्शेकदम पर जा रहे रवि कर फटी चर








 

4 comments:

  1. नील नितिन मुकेश ने एक बात कही थी वही यहाँ लिखा रही हूं कि आप कि मंजिल के रास्ते में बहुत से कुत्ते आप पर भोकते हुए मिलेंगे यदि आप हर कुत्ते पर ध्यान देंगे तो अपनी मंजिल पर नहीं पहुँच सकते है इसलिए अपने पास हमेसा कुत्ते का बिस्किट रखे :)))

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  2. pehlae to aap yae batao kutta kisko bola :):):)

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  3. रचना जी
    इसका जवाब तो मै तब देती जब मै किसी को कुत्ता कहती मैंने तो बस नील की बात यहाँ पर रखी है इसलिए इसका जवाब तो वही दे सकते है , सम्भव है की कुत्ता शब्द यहाँ इसलिए प्रयोग किया गया है क्योकि उसे ही बेवजह भौकने की आदत होती ( जहा तक मेरी जानकारी है कोई और जानवर बिना वजह नहीं चिल्लाता है ) और कई बार वो बस अपने साथी की देखा देखी ही भौकने लगता है वजह जानता ही नहीं और यदि कोई वजह हो भी तो उसका उससे कोई मतालबा नहीं हो तब भी भौकता है | ये मात्र मेरा अनुमान है की क्यों ऐसी सभी जगहों पर कुत्ता शब्द प्रयोग किया जाता है |

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  4. ब्लॉग जगत की प्रतिष्ठित बहिनो !


    'कुत्ता' संबोधन कई सन्दर्भों से जुड़कर अपने नए-नए भावों को प्रकट करता है। इसलिए यह संबोधन बुरा भी है और भला भी।
    - कोई कामुकता का पर्याय इसमें ढूँढता है।
    - कबीर जैसे पहुँचे हुए संत स्वयं को 'राम जी का कुत्ता' कहकर अपनी उनके प्रति वफादारी प्रकट करते हैं।
    "मैं हूँ कूकर राम का, मुतिया मेरा नाम।"
    - कोई बकवादी के लिए इस संबोधन को उचित मानता है। व्यर्थ, निरर्थक, गाली-गलौज करने वाले के लिए यह संबोधन आमतौर पर बोला भी जाता है।
    मुझे इस प्रकरण के बारे में जानकारी नहीं थी। फिर भी जो हुआ काफी कष्टकारी है ...

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