हिन्दी ब्लोगिंग पहुंची कहां तक
पता नहीं अभी तो बस महान ब्लॉगर
स्पेल्लिंग सम्भालने मे लगे हैं
कभी हिन्दी की तो कभी इंग्लिश की
जब स्पेल्लिंग सब की सही कर लेगे
तब ब्लॉगइंग करेगे
तब तक समय आगे चला जायेगा
और हिन्दी के महान ब्लॉगर
फेमस ब्लॉगर
हिन्दी ब्लोगिंग के खंडहर बन कर
जीण शीण हो कर झर रहे होगे
....जैसे सूखे पत्ते... सूखे फूल... लेकिन उन्हें देख कर भी लोग कह उठेगे....
ReplyDeleteखंडहर बता रहे है ,
इमारत कभी बुलन्द थी...
रचना जी।
ReplyDeleteआपने बिल्कुल सही लिखा है।
मैं भी वर्तनी संभालने में ही लगा हूँ।
रचना की इस रचना के चने
ReplyDeleteबहुत मजबूत और बेभुने हैं
खंडहर ही सही ब्लागिंग के अवशेष तो देखेंगे ,
ReplyDeleteहर पुरानी चीज स्मृतियों में तो होगी .
- विजय
बात तो ठीक है।
ReplyDeleteबिल्कुल सही बात है।
ReplyDeleteऊँची इमारत की नींव तो सुदृढ़ होना ही चाहिये, बस उसी का इन्तजाम किया जा रहा है. :)
ReplyDeleteसुन्दर रचना !
ReplyDeleteमौजूँ रचना ! धन्यवाद ।
ReplyDeleteसही लिखा है...
ReplyDeleteye to aage aane wala wakt hi batayega...
ReplyDeleteउस खँडहर की दो ईंट जरा इधर को भी ट्राँस्फ़र करने का..
ReplyDeleteआपस में बजा कर देखेंगे, ब्लागिंग के ईंट बजने की आवाज कैसी होती है ।