मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

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May 13, 2009

हिन्दी ब्लोगिंग के खंडहर

हिन्दी ब्लोगिंग पहुंची कहां तक

पता नहीं अभी तो बस महान ब्लॉगर

स्पेल्लिंग सम्भालने मे लगे हैं

कभी हिन्दी की तो कभी इंग्लिश की

जब स्पेल्लिंग सब की सही कर लेगे

तब ब्लॉगइंग करेगे

तब तक समय आगे चला जायेगा

और हिन्दी के महान ब्लॉगर

फेमस ब्लॉगर

हिन्दी ब्लोगिंग के खंडहर बन कर

जीण शीण हो कर झर रहे होगे

12 comments:

  1. ....जैसे सूखे पत्ते... सूखे फूल... लेकिन उन्हें देख कर भी लोग कह उठेगे....
    खंडहर बता रहे है ,
    इमारत कभी बुलन्द थी...

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  2. रचना जी।
    आपने बिल्कुल सही लिखा है।
    मैं भी वर्तनी संभालने में ही लगा हूँ।

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  3. रचना की इस रचना के चने
    बहुत मजबूत और बेभुने हैं

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  4. खंडहर ही सही ब्लागिंग के अवशेष तो देखेंगे ,
    हर पुरानी चीज स्मृतियों में तो होगी .
    - विजय

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  5. बिल्कुल सही बात है।

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  6. ऊँची इमारत की नींव तो सुदृढ़ होना ही चाहिये, बस उसी का इन्तजाम किया जा रहा है. :)

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  7. सुन्दर रचना !

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  8. मौजूँ रचना ! धन्यवाद ।

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  9. ye to aage aane wala wakt hi batayega...

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  10. उस खँडहर की दो ईंट जरा इधर को भी ट्राँस्फ़र करने का..
    आपस में बजा कर देखेंगे, ब्लागिंग के ईंट बजने की आवाज कैसी होती है ।

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