ब्लॉग का मतलब क्या हैं ?
ब्लॉग लेखन क्या होता हैं ?
ब्लॉगर कौन होता हैं ?
क्या हिन्दी मे सच मे "ब्लोगिंग" होती हैं ?
कुछ आप को पता हो तो हमे भी बताए आज कल हजारो की संख्या बतायी जां रही हैं हिन्दी ब्लोग्स की क्या वाकई ?? इतने ब्लॉग हैं अगर तो क्या चल रहा हैं हिन्दी ब्लोगिंग मे ?
अरे अभी तो उत्तर नहीं मिला हैं की क्या हिन्दी मे वाकई ब्लोगिंग होती हैं
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Blog Archive
-
▼
2009
(166)
-
▼
May
(22)
- मेरे कैमरे से सूरज और चाँद
- मेरे कैमरे से
- ब्लागस्पाट के ब्लॉग पर फोटो आपके कैमरे...
- हो सकता हैं आप को ये जानकारी पहले से ही पता हो फिर...
- मुझे तो "रचना" ही कहे ,
- तो लगा की शायद मैने नब्ज पर सही जगह हाथ रखा ।
- फोस्सिल ""Ida"
- नयी दिशा नया आयाम
- हिन्दी ब्लोगिंग मे एक "कल्ट" बिल्कुल ओब्सिलीट हो ...
- ब्लोगिंग मे २५ स्टाईल प्रचलित हैं
- एक परिवार हैं हिन्दी ब्लोगिंग सही हैं पर हम सब कर...
- मन मे आ रहा हैं की काश अपनी बंधी हुई सोच को बदल कर...
- क्या हिन्दी मे सच मे "ब्लोगिंग" होती हैं ?
- आज वरुण का जन्म दिन हैं वरुण कौन ?? अरे मीनू का बे...
- हिन्दी ब्लोगिंग के खंडहर
- ब्लॉगर कार्यशाला इंतज़ार बदसतूर जारी हैं
- आदित्य और उसकी नानी को आप की साहयता की जरुरत हैं ,
- श्री रबिन्द्रनाथ टैगोर जन्म दिन और गूगल
- आप भी पढिये इस ख़बर को
- इस पोस्ट पर कमेन्ट करने कि सुविधा नहीं हैं ।
- एक प्रश्न
- सारथी ब्लॉग पर आंतकवादी से आम जनता का comparison
-
▼
May
(22)
yahaan bhi SAWAAL?
ReplyDeleteइस समय दुनिया में नो करोड़ से अधिक ब्लाॅग है। हिन्दी में ये आकंड़ा दस हजार से आगे है।
ReplyDeleteआमतौर पर दुनिया में ब्लाॅग का मतलब इस बात से लिया गया कि जो आपको आता है या आप जिस बात के महारथी है उस का साझा ब्लाग के माध्यम से कर सकते है लेकिन भारतीय परिदृश्य और हिन्दी ब्लागिंग में ये बात उल्टी रही कि यहां जिसको जो नही आता था वो अपने ब्लाग पर वो ही बन बैठा। अग्रेजी में जहां बड़े तकनीकी दक्ष लोग ब्लाग चला रहे है और अपने अनुभवों का साझा कर रहे है वही हमारे यहां पर भाषणबाजी को प्रमूखता दी गयी है हिन्दी में केवल तीन ब्लागरों की बहुआयात है एक वे जो सलाह दे रहे है कि राजनीति कैसे चलनी चाहिये अर्थात जो भाषणबाजी करने में लगे हुए है, दूसरे यहां पर हर दूसरा ब्लागर पत्रकार हुए जा रहा है जबकि वास्तविकता इससे बहुत दूर है, पत्रकारिता से उनका कोई लेना देना नही है लेकिन ब्लाग बनाकर वो सब पत्रकार बन गए है, और तीसरे यहां थोक के भाव में कवि और कवियत्रियां पैदा हो गये है। इसका एक मुख्य कारण ये भी है कि हमारे लोगो को बातें बनाने में बहुत मजा आता है इसलिये ब्लागिंग उन सबके लिये एक वरदान की तरह से प्रकट हुआ हैं। लेकिन इसके विपरित कुछ ब्लागर है जिनकी बदौलत आज हिन्दी में ब्लाग बनाना आसान हुआ है ये कुछ ही है और आजकल तो चुप भी है। जबकि नये ब्लागरो की भीड़ बढ़ रही हैं। अगले साल की शुरूआत तक 1 लाख हिन्दी ब्लाॅग होने की सम्भावना है।
इरशाद
ब्लॉग का मतलब ही है जो कहना है कह लो....जानकारी बाँटना है बाँटों.....ज्ञान बाँटना है बाँटों....जिसको जो जरूरत होगी पढ़ेगा. हिन्दी ब्लॉगिंग विचारों या जानकारियों के आदान-प्रदान से ज्यादा टिप्पणियों के आदान-प्रदान पर आधारीत है.
ReplyDeleteपहले तो एक चुहलबाजी- जवाब चाहिए या एक्स्प्लेनेशन!? :-)
ReplyDeleteअब बात ब्लॉगिंग की- सामान्य अर्थ निकाला जाता है- वेब डायरी। लेकिन डायरी कभी सार्वजनिक नहीं की जाती ऐसा भी कहा जाता है। यदि इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहा जाये तो मात्र लेखन तक आ कर बात रूक जानी चाहिए। लेकिन मुझे लगता है कि यह एक ई-मंच है अपने विचारों, अनुभवों, कार्यों, कुंठायों, उलझनों, चुहलबाजियों, पहेलियों, प्रश्नों वगैरह वगैरह को एक स्थान पर रख कर उन पर प्रतिक्रिया पाने का।
एक चौपाल भी मान सकते हैं। अब इसी बात पर टिके रहना कि यह एक डायरी है मुझे ठीक नहीं लगता।
फिलहाल मैं व्यक्तिगत रूप में एक तरह से अपने संस्मरणों, अनुभवों आदि की बुकमार्किंग जैसा प्रयोग कर रहा हूँ ब्लॉग नामक तकनीकी को। जिससे जरूरत पड़ने पर स्वयं लौट सकूँ उस पड़ाव पर, किसी को बता सकूँ।
हाँ, मानवीय स्वभाव के चलते दूसरों की बातों पर कभी कभी टोका-टाकी कर ही देता हूँ अपने परिवार या साथियों जैसा सोच कर। लेकिन कहा जाता है ना -कभी नाव नदी पर, कभी नदी नाव पर :-)
मुझे उत्सुकता रहेगी कि यह स्पष्टीकरण महसूस हुया या जवाब?
मुझे लगता है इस तरह के विमर्श के किन्तु परन्तु के बावजूद यह अभी असली रूप में नहीं आ पाया है !!
ReplyDeleteहम तो अपनी अगड़म बगड़म सजाये रहेंगे!!
इस सवाल को भारतीय लोकजीवन में इस तरह भी लिया जाता है -"सारी रामायण खतम हो गयी ,सितवा केकर बाप रहा ? "
ReplyDeleteरचना जी अग़र आप इस वाक्य का निहितार्थ समझ गयीं तो समझियेगा की आपको अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया !
मिसिर जी अब गाव देहात मा कौन का गावत हैं , बजावत हैं , हमका का पता । निहितार्थ शास्त्रार्थ या सत्यार्थ सभई तो ब्लॉग मा जा घुसे हैं । केकर खोजी केकर पाई
ReplyDeleteपाबला जी थैंक्स ख़ास कर हले तो एक चुहलबाजी- जवाब चाहिए या एक्स्प्लेनेशन!? :-) के लिये
ReplyDeleteइरशाद
ReplyDeletewaah , thanks
अधिकतर तो मुफ्त का चंदन घिसने में लगे हैं। कभी-कभी घिसकर दूसरों को भी लगा देते हैं। और फिर वाह-वाह करते हैं। ब्लागिंग यही है तो हां हिंदी में हो रही है ब्लागिंग। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि कुछ लोग बहुत अच्छा लिख रहे हैं। उनका पढ़ा तटस्थ लोग भी पढ़ते और सराहते हैं। ब्लागिंग को ऐसे ही ब्लॉग वाले आगे ले जाएंगे। पांच-छह फीसदी ही सही, ऐसे लोगों का आभार।
ReplyDeleteWell , this is like asking "whether people really converse in Hindi?"
ReplyDeleteAbsolutely yes! Of course it is in infancy, still evolving and people are really having a great time here. If u are really keen on knowing my idea of real blogging please check my last three posts .
I wanted to visit Chakrata which is among the lesser known Himalayan destinations so i simply floated a question on my blog and then i made the journey and now i am sharing fotoz and the knowledge not available anywhere on the net. It has been a very fruitful exercise and there is no 'laffazee' here.
This is my perspective of blogging and SHARING is the basic spirit of blogging.
What do u say ?
किसी और भाषा में ब्लो्ग ज्यादा नहीं पढे़, तो हम तो जो यहां देखा (हिन्दी ब्लोगिग में) उसी को ब्लोगिंग समझते है... वैसे जो हो रहा है वो सामान्य मानव व्यवहार है..
ReplyDeleteहम तो जो कर रहे हैं...उसी को ब्लोगिंग कहते हैं और समझते भी हैं.....बाकी ब्लोगिंग क्या है कोई हमें भी बता दे!
ReplyDeleteजो बेलाग दे मारे.. वह बेलागिंग !
ReplyDeleteव ईसे पाबला जी के कीबोर्ड से निकले शब्द सत्य के निकटतम दूरी तक पहुँच चुके थे ।
न जाने क्यों रुक गये, वहीं !
अमर कुमार जी,
ReplyDeleteसत्य हमेशा कड़वा होता है। बस इसी कथन से हम लिखते-लिखते लव कर बैठे। फिर रूक गये वहीं :-)