ब्लोगिंग मे नाम के साथ जी लगाना ???
ये ठीक हैं की हमारी संस्कृति मे जी एक आदर सूचक शब्द हैं लेकिन ब्लोगिंग मे जी की प्रथा कुछ समझ नहीं आती ।
कई बार मे भी कमेन्ट मे जवाब देते समय जी लगाती हूँ पर वो जब बाद मे पढ़ती हूँ तो गलत ही लगता हैं ।
क्या जी लगा देने से आदर घटता या बढ़ता हैं या हम सब जी इसलिये लगाते हैं क्युकी हम सब अपनी उम्र कम और दूसरो की उम्र ज्यादा दिखाते हैं । क्या हम हमेशा ही छोटे बने रहना चाहते हैं या हम जी लगा कर एक सम्बन्ध स्थापित करना चाहते हैं ताकि अगर हम तीखा लिखे तो भी कुनैन को चाशनी मे लपेट कर परोसे ।
आपसी बोलचाल मे तो सही लगता हैं पर ब्लॉग पर ............
और
अगर ब्लॉगर प्रोफाइल पर उम्र नहीं हैं तो ब्लॉगर हम से बड़ा ही हैं ये कैसे पता और अपने से कम उम्र के ब्लॉगर के नाम के साथ भी जी
मेरी सम्भव कोशिश होती हैं इस ब्लॉग पर अपनी मानसिक कशमकश को आप से बाटने की आप जो लिखते हैं उससे सोच को नयी दिशा तो नहीं पर एक नया आयाम जरुर मिलता हैं
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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जी लिखना शालीनता नहीं उम्र का भेद।
ReplyDeleteप्रतिभा का सम्मान हो कहता है यह वेद।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
छोटों को आदर देने में संकोच कैसा...लगाईये न जी उनके साथ भी.
ReplyDeleteहिन्दी भारत की भाषा है तो भारतीय संस्कृति के परिपालन से गुरेज कैसा.
रचना,
ReplyDeleteइस पोस्ट को पढ़ते-पढ़ते चार लाईना वाले हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा की याद आ गयी, जो अपनी कविता में किसी को भी संबोधित करते हुये जी अवश्य लगाते थे।
एक बार स्वर्गीय राजीव गांधी को उन्होंने हास्य में ही बताया था कि वे (शर्मा) जिससे डरते हैं उसके संबोधन के बाद जी लगा देते हैं।
:-)
आप शायद ठीक कह रही हैं. आपका ब्लॉग एक मैनुअल की तरह कई बार ब्लॉग व्यवहार में should,shouldn't,ought to, ought not to आदि आदि की जानकारी देता है.
ReplyDeletesanjay , BS Pabla and Shyamal
ReplyDeletegive your inputs also on what can improve the current situation
इसे सभ्यता कहते है जी...सोचिये एक दस साल का बच्चा आपको नाम से पुकारे ...
ReplyDeleteआदर देने में तो कोई हर्ज नहीं...मुझे जहाँ लगता है कि ब्लौगर की उम्र मुझसे कम है, तो नाम से संबोधित करता हूँ
ReplyDeleteव्यकतिगत पसंद
blog bhi to ak trh se apsi bolchal kahi treeka hai to ji lgane se prhej kyo ?
ReplyDeletethen why sameer on your latest post you feel blog has made you feel old ?? comeoout of that suffocation and start living as you are in your heart young and bouyant
ReplyDeleteअज़ी रचना बेन, काहे हलाकान हो ?
ReplyDeleteब्लागर है, हिन्दी ब्लागर ! बिना मोल लिये माताचरण पखार रहा है, आदर भी न दोगी ?
बाई द वे ( पाबला जी, आसपास तो नहीं हैं ? ),
बाई द वे.. मैंने तो गाली गलौज़ में भी एक दूसरे को ’ सरदार जी ’ कहते देखा है !
जहाँ अनौपचारिकता की सीमायें लाँघने का स्कोप रखना होता है, ’ जी ’ लगा देना सेफ़ रहता है !
और सुनो, यहाँ इतनी भाईगिरी है कि,
ReplyDeleteभाई कह कर पुकारना एक सेक्यूरिटी देता है, यह भी नोट करो ।