मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

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May 19, 2009

हिन्दी ब्लोगिंग मे एक "कल्ट" बिल्कुल ओब्सिलीट हो चला हैं

हिन्दी ब्लोगिंग मे एक "कल्ट" बिल्कुल ओब्सिलीट हो चला हैं वो हैं कमेन्ट मे "साधुवाद " का कल्ट । हिन्दी ब्लोगिंग के शुरू के सालो मे ये कल्ट बहुत "प्रचण्ड" रहा । कम लोग लिखते थे और सब एक दूसरे की तारीफ़ हे करते हैं । जितनी पुरानी पोस्ट पढी हैं उन सब मे कही न कही इस साधुवाद कल्ट की की ध्वनि सुनाई दी हैं ।

आज कल साधुवाद से ऊपर उठ कर लो वाद विवाद और संवाद की और बढ़ रहे हैं जो मानसिक परिपक्वता का द्योतक हैं । वाद विवाद और संवाद को कुंठा से जोड़ना ग़लत हैं । वो कोई भी मस्तिष्क जो प्रश्न नहीं करता अपना काम ही नहीं करता हैं ।

प्रश्न करने की ताकत ही हम को सम सामयिक बनाती हैं बस प्रश्न मे हम दूसरो की निजता पर आक्षेप ना करे । वाद विवाद और संवाद मे जब हम दुसरे की निजता को लाते हैं तो हम विषय से हट कर बात करते हैं ।

एक बहुत अच्छा लिंक हैं पढ़ना चाहे तो क्लिक करे

7 comments:

  1. साधुवाद की घटती पृवृत्ति वास्तव में घटते साधुओं की द्योतक है.

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  2. लिंक काम का है। टिप्पणियाँ यदि केवल साधुवाद की हैं तो इस का अलग अर्थ है। वादविवाद बिलकुल अलग है और आलोचना उस से भिन्न। इन तीनों चीजों को समझना होगा। तीनों का अपना अपना महत्व है।

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  3. मैं केवल लिंक का धन्यवाद नहीं दूंगा, आलेख का भी धन्यवाद । द्विवेदी जी से सहमत हूँ ।

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  4. वाद विवाद और संवाद मे जब हम दुसरे की निजता को लाते हैं तो हम विषय से हट कर बात करते हैं ।

    यही तो दिक्कत है लोग यही करते है निजता बीच में ले आते है और सार्थक बहस विवाद का रूप ले लेती है
    वीनस केसरी

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  5. टिप्पणियाँ यदि केवल साधुवाद की हैं तो इस का अलग अर्थ है। वादविवाद बिलकुल अलग है और आलोचना उस से भिन्न। इन तीनों चीजों को समझना होगा। तीनों का अपना अपना महत्व है।
    इसमें कुछ और जोड़ना ठीक नहीं
    फिर भी मेरी राय में वैसे ही ग्लोबल वार्मिंग का समय है पता नहीं कब किसे क्या बुरा लगे और कब कोई किसी वैचारिक विभ्रम को प्रसूते {जी यह किसी भी लिंगी के लिए संभव है} कब कोई अछूत बना दिया जाए इसका कोई समय नियत नहीं ....... अत: मैं तो कहूंगा "सब ठीक ठाक है ?"

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  6. तो साधुवाद जारी रहे पीठ खुजाई भी तो कोई रस्म है

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