आज कल बहुत से ब्लॉगर मित्र अपने अपने ब्लॉग पर आई पी ट्रैकर लगा रहे हैं । ध्यान रहे जो आई पी ट्रैकर आप लगा रहे हैं उसमे ये सुविधा होनी चाहिये की वो आई पी को ट्रैक करके आप के लिये सेव भी कर सके । जब तक आई पी सेव नहीं होगा आप उस के बारे मे कोई जानकारी नहीं पा सकते । ब्लॉग पर आई पी तरसकर डालने से आप को कोई फायदा नहीं होगा हाँ जो आप का पेज पढ़ रहा उसको उस ट्रैकर मे अपना आई पी जरुर दिखेगा । आप अगर टिप्पणी करता का आई पी जानना हैं तो आप को काउंटर सेवा प्रयोग करना होगा । फ्री सेवा मे केवल आई पी पता लगता हैं और पेड सेवा मे काफी सुविधाये और भी ।
बहुत से लोग "पकड़ लिया पकड़ लिया" चिल्ला रहे हैं पर ये वैसा ही हैं जैसे " शेर आया शेर आया " !!!!!!!!!!!!
हम सब को जो ब्लागस्पाट पर हैं जरुरत हैं की एक ऐसा विडजेट खोजे या बनाए जो एडिट हटमल मे कमेन्ट एक साथ समनव्यय कर जाए यानी ट्रैकर कमेन्ट मे लगे । एक बार मैने और सागर नाहर ने इस विषय मे काफी बात की थी पर इसके लिये तकनीक का जान कर चाहिये । किसी को कुछ पता हो तो लिखे ।
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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काहे परेशान है सारे के सारे . अगर राम लुभाया कल्लू मल के नाम से आई डी बनाकर ब्लोगिंग करता है तो ये क्या कर लेंगे राम लुभाया का या कल्लू मल का ? ब्लोगिंग करो मस्त रहो.ना सही नाम किसी को बताओ ना किसी को घर का पता दो . ना कोई साला आपको कोर्ट सम्मन की धौस दे पायेगा . समझे मेरे भाई. यहा आप नेट पर आप कोई क्राईम तो कर नही रहे हो जो साईबर क्राईम वाले आपके खिलाफ़ एफ़ आई आर दर्ज कर लेंगे . समझे ना ? सो काहे पकडा पकडा चिल्ला कर दो चार पढने और टिपियाने वालो को भगाने के चक्कर मे लगे हो ? वैसे भी हिंदी ब्लोगजगत के इस मुहल्ले मे गिनती के लोग है और वे भी यहा अपनी चौधराहट दिखाने मे लगे रहते है . गुट बाजी और इस चौधराहट की गीडड भभकी से ये हिंदी की सेवा करने की जो धौस दिखा रहे है उससे हिदी का नुकसान ही हो रहा है. हर समय मुहल्ले मे मची मार काट पकडो पकड लिया से क्या होगा ? सिर्फ़ नुकसान ना ?भले आदमी इस कीचड से दूर चले जायेगे सिर्फ़ फ़ुरसत मे बैठे ठाले बूढे पीपल के पेड के नीचे बैठ कर ताश खेल किच किच करते थे वही हाल अब यहा होने लगा है . हिंदी ब्लोगजगत को बडा होने दो.राय चंदो और गुट बाजो को जूते मार बाहर का रास्ता दिखाओ.ये पकड लिया वो पकड लिया से दूर हटो.इससे क्या हासिल होगा ये सोचो ?
ReplyDeleteरचना जी हम ने तो उस चोर को पक्ड भी लिया...लेकिन इस आई पी बाई पी से नही बल्कि उसी की बेवकूफ़ हरकतो से, लेकिन सोचते है , अब क्या एक बेवकूफ़ से हम क्यो पंगा ले है अपनी इज्जत प्यारी है, वो तो वेसे ही नंगा है साथ मै हमारे भी कपडे फ़ाडेगा. ओर वो कोई शॆर नही एक पागल .....? है.
ReplyDeleteधन्यवाद
ये सवाल मेरे मन में भी था.. ये आइने जैसा है.. मुझे तो पता है मेरा ip क्या है.. फायदा तब जब वो कमेंट के साथ सेव हो. पता नहीं कि वो एसा कर पाता है या नहीं..
ReplyDeleteवैसे मुझे लगता है ip जानकर भी क्या कर लोगे.. दो दिन पहले दिल्ली एयरपोर्ट पर था.. airtel का फ्री wifi इस्तेमाल कर रहा था.. जान लो ip.. और जब मुंबई पहुँचा तो वहाँ कियोस्क थे.. ip जान कर भी कैसे ट्रेक करोगे.. ना मुमकिन न भी हो तो बहुत मुश्किल होगा...
अभी तो यह हल्ला चलता रहेगा/
ReplyDeleteमैने तो अभी तक आई पी ट्रैकर लगाया ही नहीं .. इसका उपयोग भी समझ में नहीं आ रहा।
ReplyDeleteएसा विजेट तो हिंदी ब्लॉग टिप्स वाले आशीष जी बना सकते है उन्ही से इस बारे अनुरोध करते है |
ReplyDeleteकोई भी टिप्पणी कार अनाम हो या सनाम, सही लिखे या भद्दा. आपको टिप्पणी प्रकाशित करने पर मजबूर नहीं कर सकता. अतः मोडरेशन को अपनाएं और खुश रहें :) ऐसा हुआ तो अनामी खुद ही छूमंतर हो जाएगा.
ReplyDeleteतकनीकी सहायता में असमर्थ हूँ.
रतन जी धन्यवाद, मुझे इस काम के लायक समझने के लिए.. यह बात मैं पहले ही स्पष्ट कर चुका हूं कि अगर हमने अनामी/बेनामी विकल्प खुला छोड़ा है तो हमें कोई अधिकार नहीं कि हम उसके बारे में कुछ भी पता लगाने की कोशिश करें। आखिर इस विकल्प का मकसद ही यह है कि पहचान दिए बगैर टिप्पणी की जा सके। इसलिए ऐसा विजेट के बारे में सोचने का भी मेरा कोई इरादा नहीं।
ReplyDeleteयह बात और है कि कुछ अनामी/बेनामी इस विकल्प का नाजायज़ फायदा उठा रहे हैं। यह नैतिक अपराध की परिधि में आता है। लेकिन इसका अर्थ यह तो नहीं कि हम उनकी पहचान उजागर कर (या खुद जानकर) एक दूसरी तरह का नैतिक अपराध कर बैठें।
कमेंट पर मॉडरेशन लगाना या अनामी/बेनामी विकल्प को बंद करना ही इसका अच्छा उपाय हो सकता है .. आभार
सब कुछ गड्ड-मड्ड हो चला है । क्या होना चाहिये क्या नहीं, क्या पता ?
ReplyDeleteजो बन्दा अपने घर का नेट कनेक्सन इस्तेमाल करता है उसी को हम वास्तविक मानते है बाकी तो सायबर कैफे वाले पर कैसे ल्गाम लगेगी । बकौल अशीष जी, मोडेरेसन लगा ओ और चैन से रहो ।
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