मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

August 07, 2009

ईमेल क्यूँ भेजे ,? ब्लॉग पर संवाद क्यूँ नहीं ?

मै अगर किसी से व्यक्तिगत सम्बन्ध नहीं बनाना चाहती तो उसको मेल नहीं भेजती , अगर उसकी ब्लॉग पोस्ट पर कुछ ऐसा देखती हूँ जो पसंद नहीं हैं वही कमेन्ट देती हूँ , कमेन्ट मोदेराते होने की स्थिति मे अपने ब्लॉग पर पोस्ट देती हूँ । लोग कहते हैं , लिखते हैं अपनी आपति मेल करनी चाहिये , क्यों भाई क्यों मेल करनी चाहिये । ब्लोगिंग कर रहे हैं ब्लॉग पर ही संवाद करे तो इसमे कष्ट क्यों ।
जिन से व्यक्तिगत संपर्क हैं उनको ईमेल भेज सकना सही लगता हैं पर सबको नहीं ॥

8 comments:

  1. सही बात खरी खरी.

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  2. भई जो चीज पसंद ना आये तो अपना रास्ता नाप कर चलते बनना चाहिए ना! गर गड्ढे हों, पानी से भरे हों तो क्या उन गड्ढों से पानी निकालने के लिए किसि अधिकारी को कहेंगे, मेल लिखेंगे कि पोस्टर चिपकाते घूमेंगे या सड़क पर हम्गामा करेंगे॥

    क्या वह अधिकारी आपका परिचित हो तभी बात बनेगी। क्या व्यक्तिगत स्म्पर्कों या संबंधों से ही बात बनती है।

    मतलब सभी काम संबंध बना कर ही करवाये जाते है- होते हैं

    यही कहा जाता है ना कि अपनी पसंद थोपनी नहीं चाहिए

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  3. और अगर इमेल पर ही बात करनी है तो कमेंट बॉक्स क्यों? सही कहा..

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  4. आपकी सोच से सौ फ़ीसदी सहमत.. ई-मेल दो व्यक्तियों के बीच का संवाद है.. जबकि ब्लॉग के जरिए होने वाला संवाद बहुआयामी होता है.. उसे ई-मेल में उतारना उसके दायरे को छोटा करना ही होगा.. हैपी ब्लॉगिंग

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  5. आपकी सोच से सौ फ़ीसदी सहमत.. ई-मेल दो व्यक्तियों के बीच का संवाद है.. जबकि ब्लॉग के जरिए होने वाला संवाद बहुआयामी होता है.. उसे ई-मेल में उतारना उसके दायरे को छोटा करना ही होगा.. हैपी ब्लॉगिंग

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  6. आपकी सोच से सौ फ़ीसदी सहमत.. ई-मेल दो व्यक्तियों के बीच का संवाद है.. जबकि ब्लॉग के जरिए होने वाला संवाद बहुआयामी होता है.. उसे ई-मेल में उतारना उसके दायरे को छोटा करना ही होगा.

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  7. मेरे हिसाब से तो यह इस बात पर निर्भर करता है कि मुद्दा क्या है?

    ईमेल करें या पोस्ट-परस्पर वार्तालाप से मुद्दा हल करें या जग जाहिर कर उसे विवाद का विषय बना दें.

    सब कुछ मुद्दाबेस और इन्टेन्शनबेस है.

    प्रणाम!

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