मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

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June 07, 2010

कुकुरमुत्ते ब्लॉगर साहित्यकार

हिन्दी ब्लॉग्गिंग के
बडे बडे पेडो के नीचे
पनप सकते हैं
बस कुकुकुरमुत्ते

जिनका जीवन काल
होता हैं कुछ पलो का
और फिर वो मर जाते हैं
वही उसी पेड के नीचे
खाद बन कर सड जाते हैं
और बड़ा पेड मुस्कुराता हैं
कि देखो हंसते हंसते
एक और को मै खा गया
यहाँ साहित्यकार बनने आया था
मैने ब्लॉगर भी ना रहने दिया

10 comments:

  1. बढ़िया...गहरा एवं सटीक व्यंग्य...तालियाँ

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  2. इस मायावी हिंदी ब्लॉग जगत की कडवी हकीकत ...
    आश्चर्य आप ऐसा भी लिख सकती हैं ...!!

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  3. आपने कितने खाये ?
    मैं तो अघा कर हज़ करने चला,
    तब तक आप वर्तनी ठीक कर लें ।
    जो कहा जाए वही सच हैं = जो कहा जाए वही सच है !

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  4. कौन नयी बात है यही तो परिपाटी है ...जो बचेगा वही रहेगा !

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  5. इन कुकुरमुत्तों में कोई बीज पीपल का भी हो सकता है जो अपनी जड़ें गहराई से जमा ले....हर किसी को अपनी लड़ाई अपने आप लड़नी पड़ती है...

    सार्थक रचना कही है आपने...

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  6. सार्थक पोस्ट है...

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  7. bilkul sahi baat ..lekin yah beej ki saflta hogi ..agar wo apni jijiviha ko barkarar rakhte hue..safalta paye

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  8. सच कहा! बिल्कुल यही है हिन्दी ब्लागजगत की हकीकत.....

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  9. .
    .
    .
    दो बातें कहना चाहू्ंगा...

    १- कुकुरमुत्ता कुकुरमुत्ता ही रहेगा, उगे चाहे पेड़ के नीचे या खुले मैदानों में...
    २- कुकुरमुत्ते बड़े पेड़ों के नीचे इसलिये उगते हैं क्योंकि उनमें सामर्थ्य नहीं होती अपनी जड़ जमाने की... वह तो अपनी खुराक तक पेड़ की जड़ों से ही लेते हैं।

    अब आप बताइये... यह व्यंग्य-कविता किसको निशाना बना रही है... पेड़ों को या कुकुरमुत्तों को ?

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