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June 12, 2010

मौन

मौन
जब अपने संवाद
सिर्फ़ हमे ही सुनाई देते हैं

मौन
जब कहीं कुछ दरक जाता हैं
और आवाज सिर्फ़ हम तक आती हैं

मौन
जब स्वीकृति
शब्दों से नहीं
एहसासों से दी जाती हैं

मौन
जब अश्रु आँख से नहीं
दिल से बहते हैं

मौन
जब शब्द नहीं
एहसास बोलते हैं

और
अपनों के ही नहीं
गैरो के दिल तक भी पहुचते हैं

6 comments:

  1. वाह मौन ही जब मुखर होता है !

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  2. wonderful poem with absolute clarity in content.

    A truth of my life as well.

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  3. मौन
    जब अश्रु आँख से नहीं
    दिल से बहते हैं
    मौन को अभिव्यक्त करती सुन्दर रचना

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  4. waah maun ki isse achchi paribhasha nahi ho sakti...

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  5. एक शब्द की इतनी व्याख्याएँ ..बहुत बढ़िया :-)

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  6. मौन
    शब्‍द एक है
    पर भाव कितने !!
    वाह !!

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