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blogvani is free service then HOW CAN WE DEMAND any thing its upto them to decide how to run their website
its permutation and combination of hot pasand naa pasnad and kament that takes up or down the post from scroll
if your post was read 50 times liked 5 dislike o and comment 14 and others is read 33 liked 3 dislike o and comment 16 then by putting a napasand on your post the other post comes up
its more a tech trick then any thing try your self khusdeep and you will also get fun out of it !!!!!!!!
वहाँ आये और कमेन्ट पढ़ कर मन मे ये आया
जो ब्लॉगर निरंतर ब्लॉग वाणी पर दी जाने वाली सुविधाओ से ना खुश हैं वो क्यूँ नहीं कुछ दिन के लिये अपने ब्लॉग वहाँ से हटा लेते हैं । कोई आप को फ्री service दे रहा हैं और निरंतर समाज सेवा कि तरह उस पर सुविधाओ का इजाफा भी कर रहा हैं आप को नहीं पसंद आ रहा तो आप क्यूँ बाधित हैं वहाँ रहने के लिये ।
ब्लोगवाणी दो घंटे के लिये बंद हो जाती हैं तो लोगो को असुविधा महसूस होती हैं और फिर भी लोग टंच कसते हैं रास्ते और भी हैं ।
अरे हैं तो जाओ किसने रोका हैं ।
ये बात भी सही है !!
ReplyDeleteब्लॉगवाणी चलाने वालों के प्यार ने।
ReplyDeleteमैं तो ब्लागवाणी का आभारी हूं भई.
ReplyDeletei agree...
ReplyDeleteits a technology, any person can cheat it... easily or with some effort.. the only way to control this is human interference.. and then its censorship...
सही है - काजल कुमार की तरह मैं भी ब्लागवाणी का आभारी हूं.
ReplyDeleteसांसे फूल रही है मेरी, हाय ! बिना ब्लागवाणी, हॉट, पसंद, टिप्पणियां .... सब फुस्स !
ReplyDeleteयही कड़ुआ सच है. पर यह लाग लपेट के कही जाती तो अच्छा था.
इस पोस्ट के लिेए साधुवाद
ReplyDeleteबात तो सही है लेकिन ये इण्डिया है...यहाँ लोगों को फ्री में भी कुछ चाहिए..तो नखरे से चाहिए
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ReplyDeleteगोया आप मुफ़्त सेवा के दुरुपयोग को ज़ायज़ ठहरा रहीं हैं ?
blogvani ne blog ko ek naya ayam diya hai
ReplyDeleteब्लॉगवाणी और चिठ्ठाजगत का शुक्रगुज़ार होने की बजाय नुक्स निकालना उचित नहीं है…। ब्लॉगर जरा सोचकर देखें कि यदि ब्लागवाणी नहीं होती तो कितने पाठक उनकी पोस्ट पढ़ते? हिन्दी ब्लॉग पढ़ने वाले गूगल से कितने आते हैं?
ReplyDeleteरचना जी बात कमी निकालने की नही, गल्ती को संशोधित और परिवर्धितकरने की है। यह ठीक वैसा ही प्रयास है, जैसा आपका स्त्री विरोधी मानसिकता को दूर करने का 'नारी' ब्लॉग सम्बंधी प्रयास। हाँ, अगर आप नारी ब्लॉग भी बंद कर रही हों, तब इस तरह की बात करें, तो समझ में आता है।
ReplyDelete..जो लोग 'ब्लॉगवाणी' की इस कमी का समर्थन कर रहे हैं, वे शायद नहीं चाहते कि आम पाठकों की पोस्ट भी हॉटलिस्ट में आए। वे जानते हैं कि ऐसा होने से उनकी तथाकथित श्रेष्ठता निश्चित रूप से प्रभावित होने वाली है, इसीलिए वे इस तरह की बातों को गलत मोड़ देने का प्रयास कर रहे हैं।
zakir
ReplyDeletei dont think i hv written any thing that need have annoyed u my post is related to the comment i posted and my thoughts on the comemnt that came there
why are you so upset ??
रचना जी, बात अपसेट होने की है। एक ओर आप महिलाओं के साथ होने वाले 'अन्याय' के खिलाफ आवाज उठाती हैं, दूसरी ओर अगर मैं 'ब्लॉगवाणी' की किसी सुविधा को संशोधित करने की बात कर रहा हूँ तो आप उसका विरोध कर रही हैं।
ReplyDeleteदूसरी बात, आपने प्रवीण जी के ब्लॉग पर लिखा है कि आपको मेरी पोस्ट 'एक सवाल सिर्फ इंटेलीजेन्ट ब्लॉगर से' की टाइमिंग सही नहीं लगी थी, इसलिए आपने उसपर नापसंद का चटका लगाया। उस पोस्ट से टाइमिंग का क्या मतलब है? मैंने उसमें कौन सी ऐसी बात कह दी थी, जिसकी वजह से आपको टाइमिंग खराब लगी?
zakir again the same question where have i used your name in this post ????
ReplyDeleteधूर्त बुद्धिजीवियो
ReplyDeleteप्रश्न पसंद या नापसंद का नही है, प्रश्न यह है कि बेवजह पसंद या नापसंद कितना न्यायसंगत है?
पसंद करो या नापसंद करो यह ज्वलंत समस्या नही है, पर इस चटके का गलत इस्तमाल कर किसी सार्थक पोस्ट की तेरही(अंतिम संस्कार) कर देना कितना कितना न्यायसंगत है?
एक एक समझदार ब्लागर ने ४-४,५-५ फ़र्जी आई डी बना के रखी हुई हैं, जिन्होंने ब्लागवाणी पर रजिस्ट्रेशन भी कराया हुआ है, एक ब्लागर अकेला ४ या ५ पसम्द या नापसंद के चटके लगाने में सक्षम है, वो अकेला ही पर्याप्त है किसी जिंदा पोस्ट की अर्थी निकालने के लिये!
ब्लाग बाबू
हम लोग मुफ्त मिली सुविधाओं का मोल करना शायद कभी न सीख पाएंगे...
ReplyDeleteआभारी हूँ मैं ब्लोग्वानी तथा इन जैसे सभी एग्रीगेटरों की...
ReplyDeleteविचार विमर्श से रास्ते तय होते हैं ।
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