मौन
जब अपने संवाद
सिर्फ़ हमे ही सुनाई देते हैं
मौन
जब कहीं कुछ दरक जाता हैं
और आवाज सिर्फ़ हम तक आती हैं
मौन
जब स्वीकृति
शब्दों से नहीं
एहसासों से दी जाती हैं
मौन
जब अश्रु आँख से नहीं
दिल से बहते हैं
मौन
जब शब्द नहीं
एहसास बोलते हैं
और
अपनों के ही नहीं
गैरो के दिल तक भी पहुचते हैं
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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June 12, 2010
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वाह मौन ही जब मुखर होता है !
ReplyDeletewonderful poem with absolute clarity in content.
ReplyDeleteA truth of my life as well.
मौन
ReplyDeleteजब अश्रु आँख से नहीं
दिल से बहते हैं
मौन को अभिव्यक्त करती सुन्दर रचना
waah maun ki isse achchi paribhasha nahi ho sakti...
ReplyDeleteएक शब्द की इतनी व्याख्याएँ ..बहुत बढ़िया :-)
ReplyDeleteमौन
ReplyDeleteशब्द एक है
पर भाव कितने !!
वाह !!