हर जगह, हर मुद्दे पर, इर्द गिर्द फैले कचरों पर सहमत होते रहना..
ब्लॉगजगत की तहज़ीब में शुमार है .
इस बात से मै इतीफाक रखती हूँ
जो मुझे गलत लगता हैं उस पर अपनी असहमति दर्ज करवाती हूँ
ब्लॉग जगत में लोग बहस से परहेज करते हैं , तर्क जब नहीं दे पाते हैं तो व्यक्तिगत रूप से बदनाम करते हैं . हिंदी ब्लॉग जगत का या दंश झेल रही हूँ और क्युकी महात्मा गाँधी नहीं हूँ इस लिये जवाब देने में विश्वास रखती हूँ . अपनी तरफ से कभी भी कहीं भी किसी को अपशब्द नहीं कहती हूँ पर अपशब्द कोई कहे तो उसी भाषा में जवाब देती हूँ
ब्लॉग जगत आभासी दुनिया हैं किसी ब्लॉग पर कुछ मनपंसद हुआ तो कमेन्ट का कोई औचित्य नहीं बनता हैं जब तक उसमे कुछ और ना जोड़ा जा सके . हां अगर किसी पोस्ट में राय मांगी जाती हैं तो अवश्य निस्पक्ष राय देना मंशा होती हैं
असहमत होने पर टिपण्णी देती हूँ लेकिन अगर उस ब्लॉग मालिक को नहीं पसंद आये तो फिर चर्चा अपने ब्लॉग पर करने की कोशिश करती हूँ
विचारों का आदान प्रदान तभी हो सकता हैं जब ये दो तरफ़ा हो , हिंदी ब्लॉग जगत की ये रीति हैं की यहाँ कुछ लोगो को एक पायदान पर खडा कर दिया जाता हैं उनसे असहमत होने का अर्थ होता हैं की आप को " तमीज " नहीं हैं .
ब्लॉग मालिक को पूर्ण अधिकार हैं की वो अपने ब्लॉग पर क्या करे क्या ना करे , अगर समाज का नुक्सान होता हैं उनके ब्लॉग पर आयी सामग्री से तो उस से असहमत होना जरुरी हैं और हर संभव कोशिश कर के उसको हटवाना चाहिये .
कोई मुझ से सहमत हैं या असहमत हैं इससे फरक नहीं पड़ता हैं . क्युकी हर सहमति और असहमति का असर मेरी सोच पर नहीं पड़ता हैं . लेकिन जो मै सोचती हूँ अगर वो कुछ समय बाद ही सही लोगो को सही लगने लगता हैं ख़ास कर उनको जो असहमत थे तो बड़ा अच्छा लगता हैं .
एक example देती हूँ
शुरू में जब इंग्लिश में कमेन्ट देती थी तो लोग नाराज रहते थे , जब रोमन में देती थी तो भी लोग नाराज रहते थे , ब्लॉग को बाई लिंगुअल किया तब भी लोगो ने मखोल किया और आज वही लोग हमारी वाणी के पथ प्रदर्शको में हैं और हमारी वाणी पर इंग्लिश के ब्लॉग आराम से दिखाए जाते हैं .
कमेन्ट मोदेरेशन के खिलाफ डॉ अमर हमेशा रहते हैं लेकिन ये ब्लॉग मालिक का अधिकार हैं और जो इसके खिलाफ होते हैं वो कहीं ना कहीं किसी के अधिकार का हनन करते हैं . उनका असहमत होना ना होना कोई माने ही नहीं रखता हैं पर किसी के ब्लॉग पर बार बार ये कहना दूसरे को irritate करता हैं क्युकी अपने अधिकारों का हनन कौन पसंद करता हैं
ब्लॉग पर आप विचार रख सकते हैं , पर विचार में शून्यता मुझे भाति हैं क्युकी शून्य किसी भी संख्या में लगा दो उस संख्या में चार चाँद लग जाते हैं
मेरा कमेन्ट हैं ये यहाँ
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
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आदरणीया रचना जी ब्लाग जगत एक डायरी की तरह है और वह व्यक्ति आपको पढ़ने के लिए दे रहा है | जो अच्छा लगे उसे अपना लो , जो बुरा लगे उसे जाने दो की नीति रखनी चाहिए |
ReplyDeleteवैसे अगर बहस का मुद्दा है तो आपने विचार निडर हो कर रखने चाहिए |यह मेरी व्यक्तिगत राय है