पुरानी पीढी बोली
नयी पीढी से
तुम क्या जानो
हमने क्या क्या किया हैं अपने
माता पिता के लिये
अब अगर करनी को कथनी का
साक्ष्य चाहिये
तो करनी और कथनी के अन्तर को
हर पुरानी पीढी
नयी पीढी को
समझाती ही रहेगी
श्रवण कुमारो की तादाद
पीढी दर पीढी
साक्ष्य के लिये
धूल भरे रास्तो पर
चलती रहेगी
बच्चे कभी जवान नहीं
सीधे बूढे ही बनेगे
और हर नयी पीढी के करमो को
पुरानी पीढी रोती रहेगी
हमने तुम्हे पैदा किया
तुम हमको ढोते रहो
क्युकी हमे तुम्हारा
प्यार नहीं तुम्हारा कर्तव्य चाहिये
bete ka kartvya dekh rahe hain sab ,mat pita ne kya kiya vo to gaya hai dab.
ReplyDeletenayee peedhi se ve sabhi apekshayen purani peedhi karti hai jo vah khud se bhi nahi karti thi.
bahut sundar kaha hai rachna ji.
एक तल्ख़ हक़ीक़त।
ReplyDeleteकर्तव्य का पालन तो दोनों ही पेढ़ियाँ अपनी-अपनी जगह करती ही हैं ,मगर पूरानी पीढ़ी कि नई पीढ़ी से हमेशा खुद से ज्यादा ही उम्मीदें होती है...और मेरा ऐसा मानना है कि सारी फसाद कि जड़ यह उम्मीदें ही होती है ...
ReplyDeleteयही उम्मीदें ज़िंदगी को तल्ख़ बाना देती हैं ..अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteक्या करे अपने देश में न चाहते हुए भी सभी बड़े बच्चो से उम्मीद लगाये बैठे होते है और उम्मीद ही उनके दुखो का कारण बनता है |
ReplyDeleteखलील जिब्रान ने कहा है कि हमें बच्चों से उम्मीदें नहीं बांधनी चाहिए. वे हमसे आये हैं लेकिन हमारे नहीं हैं.
ReplyDeleteकर्तव्य को ही याद करती हैं पीढ़ियाँ।
ReplyDeleteदो पीढ़ियों के बीच जन्मी उहापोह का अच्छा चित्रण किया गया है. बहुत अच्छे तरीके से पिरोया हुआ है भावनाओं के मोती याने के शब्द-हार......
ReplyDeleteदो पीढ़ियों के बीच जन्मी उहापोह का अच्छा चित्रण किया गया है. बहुत अच्छे तरीके से पिरोया हुआ है भावनाओं के मोती याने के शब्द-हार......
ReplyDeleteसच्ची बात !!
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