मेरे लिये मेरे से जो उम्र में कम हैं अगर उनको मेरी बात सही लगती हैं तो मुझे लगता हैं समाज सही दिशा में चल रहा हैं क्युकी आने वाला समाज नयी पीढ़ी से बनता हैं
इसके अलावा मुझे ये भी महसूस होता हैं की शायद में समय आगे हूँ इसीलिये आगे आने वाले समय के लोग मुझे बेहतर समझ पाते हैं
वैसे हर तस्वीर का एक दूसरा रुख भी होता हैं
यानी मेरा लेखन इतना अपरिपक्व हैं की मुझ से उम्र मै बड़े लोग उसको नकार देते हैं और
समकालीन पढने लायक समझते ही नहीं
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Blog Archive
-
▼
2011
(126)
-
▼
June
(15)
- मठाधीश के बाद मठ की जानकारी बिना किसी सक्रियता क्रम
- हे नर , क्यों आज भी इतने कमजोर हो तुम
- हमे तुम्हारा प्यार नहीं तुम्हारा कर्तव्य चाहिये
- मेरी पसंद के दो रुख
- मठाधीश बदलते रहे
- ५ साल होगये पता भी नहीं चला , मै यहाँ खुश होने आय...
- इस पोस्ट का किसी बंदरिया से कोई लेना देना नहीं हैं
- जानकारी चाहिये
- मेरा कमेन्ट
- हमारी वाणी संचालक ध्यान दे और अपने नियम का पालन खु...
- समस्या भ्रष्टाचार होती तो निपटा सकते थे लेकिन समस्...
- क्षमा
- क्या आप सर्टिफाइड लेखक बनना चाहते हैं
- हर जगह, हर मुद्दे पर, इर्द गिर्द फैले कचरों पर सहम...
- पूरा देश जेल जा सकता हैं अगर हर कानून पूरी तरह लाग...
-
▼
June
(15)
aapka lekhan paripakv hai aur use kisi praman ki aavshyakta hi nahi.
ReplyDeleteअपना अपना नजरिया आप लेखन में लगे रहिये ...
ReplyDelete@ रचना ,
ReplyDeleteआपके लेख बेहतरीन और एक दिशा लिए होते हैं ...आपका नाम उन लोगों में हैं जिन्हें हमेशा याद रखा जाना चाहिए ! निस्संदेह निडर लेखन का जब भी नाम लिया जाएगा आप वहां जरूर होंगी !
हार्दिक शुभकामनायें !
रचना जी, मेरे विचार से प्रत्येक व्यक्ति विचारों का एक मिक्स बेग होता है. कुछ विचार एक को पसंद आते हैं कुछ किसी दुसरे को और कुछ विचार दोनों को इसलिए हमें अपने विचारों का प्रवाह रोकना नहीं चाहिए. लोगों की पसंद और नापसंद की परवाह किये बगैर उन्हें प्रकट करते रहना चाहिए.
ReplyDeleteआप इन बातों से प्रभावित हो रही हैं, यकीन नहीं हो रहा।
ReplyDelete