मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

June 13, 2011

समस्या भ्रष्टाचार होती तो निपटा सकते थे लेकिन समस्या हैं की हम भ्रष्टाचार विरोधी ना हो कर अब लोकतंत्र , संविधान और संसद विरोधी हो गए हैं

खुद को हम सब सुधारे सब सही होगा
समस्या जन आन्दोलन को चलाने की नहीं हैं

समस्या हैं मुखोटो से बाहर आने की ।
समस्या हैं परिवार वाद से बाहर आने की हैं .
समस्या लोकतंत्र को परिवाद से उबारने की हैं

समस्या भ्रष्टाचार होती तो निपटा सकते थे लेकिन समस्या हैं की हम भ्रष्टाचार विरोधी ना हो कर अब लोकतंत्र , संविधान और संसद विरोधी हो गए हैं
पता नहीं क्यूँ लगता हैं अगर बात निर्वाचन आयोग की सबसे पहले हो और वहाँ संसद में प्रवेश के कानूनों में कुछ बदलाव की बात हो तो शायाद नेता जो बनते हैं उन में कोई बदलाव हो .
कोई भी सरकार ना तो अच्छी होती हैं ना बुरी वो केवल हमे represent करती हैं .

हम चुनते हैं और अपनी तरफ से सब काबिल को ही चुनते हैं पर चुनना उपलब्ध विकल्पों से ही हो सकता हैं .
पोलिटिक्स मै सुधार लाना जरुरी हैं और वो तभी संभव हैं जब हम संविधान और संसद को मान देगे
कोई भी सरकार अगर हर कानून को लागू कर देगी और जोर से मनवाएगी तो यकीं मानिये emergency जैसी स्थिती होगी देश मे


कोई भी अगर भगवा वस्त्र पहन लेगा तो वो सही हो जायेगा
अगर सारे नेता भगवा पहन ले तो क्या ये जन आन्दोलन ख़तम हो सकता हैं
अगर सारे बड़े बड़े पैसे वाले व्यवसाई जैसे मुकेश अम्बानी इत्यादि भगवा वस्त्र पहन ले तो उन पर टंच कसना बंद हो जाएगा

ये "भगवा वस्त्र " क्या कोई टिकेट है की कटवा लो और अपने को "निष्पाप " सिद्ध कर लो
कम से कम जो लोग निरंतर हिन्दू होने में गर्व महसूस करते हैं उनको तो "भगवा वस्त्र " का मान रखना चाहिये .
भगवा रंग पहन कर जनता को बेवकूफ बनाने वाले भी कम नहीं हैं और हिन्दू होने का मतलब भगवा पाखण्ड का मान मंडन करना तो कभी नहीं हो सकता .

4 comments:

  1. किसी महान संत कवि ने कहा है, मन ना रंगाए जोगी, रंगाए जोगी कपड़ा
    विचारोत्तेजक आलेख।

    ReplyDelete
  2. अरे बाप रे, इतनी बडी बात। इसपर तो आपके ऊपर गोलियां ही नहीं बम भी चलाए जाने चाहिए। कैसे की आपने हिम्‍मत इतना तीखा सच कहने की?
    ---------
    हॉट मॉडल केली ब्रुक...
    नदी : एक चिंतन यात्रा।

    ReplyDelete
  3. आपकी बातों से पूर्णतया सहमत हूँ... हम चाहतें है की बिना हमारे ईमानदार हुए भ्रष्टाचार खत्म हो जाए.... हम चाहते है बिना हमारा काला धन सफेद हुए विदेश से काला धन फिर से आए.. हम चाहते है की बिना हमारे सुधरे हमें अच्छे एम पी, एम एल ए मिल जाए... हमारा काम केवल नारे लगाना हो.. हमारा काम केवल भाषण देना हो.... आप छोटे छोटे भ्रष्टाचार को इग्नोर करें... बस करोडो, अरबों के आकंडे देखे... यह तरीका काम नहीं करने वाला.... बिना हमारे सुधरे देश नहीं सुधरने वाला.... अन्ना और बाबा के पीछे चले वाले या चलने का दावा करने वाले... विपक्षी दलों के साथ शोर मचाने वाले अगर सभी ईमानदार है... तो फिर हर जगह लुट क्यों मची है? खूद सुधरोगे जग सुधरेगा...

    ReplyDelete
  4. मुझे शीर्षक बहुत अच्छा और दमदार लगा....

    अच्छी पोस्ट.

    ReplyDelete

Blog Archive