मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

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September 03, 2011

बस यू ही

अभी कुछ दिन पहले बहिन की सास का निधन होगया था । बहिन के देवर अमेरिका में बसे हैं और संस्कार तक नहीं आ पाए थे । अविवाहित हैं और अकेले रहते हैं । दो दिन बाद ही पहुच सके । उन से बात हो रही थी , अपने पिता जी को वो बताने लगे की जब फ़ोन मिला तो में विचलित होगया था । अकेला था , रात का समय था अगले दिन भी मन नहीं लगा । उनके पिता जी ने कहा तो कहीं किसी से बात कर लेते ।
वो बोले यही सोच रहा था , अमेरिका में तो ऐसी बहुत सी एजेंसिया हैं जहां लोग आप से घंटे के हिसाब से पैसा लेते हैं और आप फिर अपने मन की जितनी बाते चाहे उनसे कर सकते हैं । फिर सोचा बेकार १५० डॉलर के आस पास खर्च होगा सो नहीं की ।


2 comments:

  1. यही दुनिया है ...यही दस्तूर है....सम्बन्धों की कीमत तभी तक है जब तक आप जीवित हैं...मर गए तो सब मिटटी

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  2. kitna mechanical ho gayaa hai ab vakt ...hamaare desh me abhi bhi centiments ki kadr kee jati hai ...

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