सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है .
लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा
मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
sweet art
ReplyDeleteये सब आपके दिमाग की उपज है?!
ReplyDeleteअद्भुत!
wow ... :)
ReplyDeleteनॉनवेज की शक्ल में वेज।
ReplyDeleteगज़ब!
ReplyDeleteवाह! अब अरविंद मिश्र जी का इंतजार है। वे सबको कुछ नाम दें और अपनी बिटिया से शर्त हारकर उसको कुछ खिलायें-पिलायें। पोस्ट तो फ़िर लिखनी ही पड़ेगी उनको! :)
ReplyDeleteGR8!
ReplyDeleteजिस हाथ पर रख कर परोसा गया है , कौन असहमत होगा!
ReplyDelete