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September 08, 2011

महज १२ कफ़न का कपड़ा नहीं हैं हमारी सरकार के पास

बम ब्लास्ट में कल १२ लोग मारे गए ।
१२ आम नागरिको की लाशो के लिये हमारे दिल्ली और सेंटर के नेता / अफसर कफ़न का इंतजाम नहीं कर सके ।
परिजन को कहा गया की खुद ले आओ । या पैसा दे दो सब काम हो जाएगा

कहां जा रहे हैं हम लोग ??
अन्ना मोवेमेंट का इतना फायेदा होगया हैं की लोग अब आवाज उठाने लगे हैं
परिजन खुले आम गाली दे रहे हैं

महज १२ कफ़न का कपड़ा नहीं हैं हमारी सरकार के पास
थू हैं ऐसी राज नीति पर जो ५ लाख देने का दावा कर देती हैं मृतक के लिये पर एक कफ़न का इंतज़ाम नहीं कर सकती

9 comments:

  1. Sach kaha aapne.

    Blast ke peeche chipi sarkar ki sajish dekhiye..

    Bharat, Bangladesh samjhauta(6-7 Sep)

    Mujhe aap sab bloggers a sahyog chahiye is mudde par.

    Feel free to repost it.

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  2. बिल्कुल सही ऐतराज है आपका .

    जो चोरी करता है उसे चोरों की तरह रहना चाहिए, सीनाजोरी महंगी पड़ जाती है.

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  3. कैसी विडंबना है कि विधायकों की तनख्वाह दुगनी करने के लिए पैसा है सरकार के पास लेकिन मृतकों के कफ़न के लिए पैसा नहीं हैं है..

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  4. आतंकवादी आज तक नाकाम हैं और इंशा अल्लाह आगे भी नाकाम ही रहेंगे।
    आतंकवादी बस धमाके कर सकते हैं लेकिन आपस में नफ़रत नहीं फैला सकते।
    यह काम हमारे और आपके पास में रहने वाले शैतान करते हैं। आतंकवादी जिस मिशन में नाकाम रहते हैं हर बार , ये इंसानियत के दुश्मन उन्हें कामयाब करने की हमेशा कोशिश करते हैं।
    हमेशा ये लोग विदेशी आतंकवादियों को गालियां देने के नाम पर पूरे विश्व में और भारत में बसे एक विशेष समुदाय और उसके धर्म को गालियां देते हैं ताकि प्रति उत्तर में सामने वाला भी गालियां दे और उनके पूरे समुदाय से नफ़रत करे।
    यह इनकी चाल होती है।
    विदेश के जिस खाते से विदेशी आतंकवादियों को डॉलर मिलते हैं, आप चेक करेंगे तो उसी खाते से इन देसी वैचारिक बमबाज़ों को भी डॉलर मिलता पाएंगे।
    अंग्रेज़ दो टुकड़ों में भारत को पहले ही बांट गए थे और तीसरे के बंटने के हालात पैदा कर गए थे और साथ ही अरूणाचल समस्या भी अंग्रेज़ों की ही देन है।
    उन्होंने ऐसा इसलिए किया था ताकि भारत हमेशा अशांत बना रहे और उन्हें अपना जज बनाकर उनसे फ़ैसले कराता रहे और नये नये आंदोलनों के फ़ैसले मानवाधिकार के नाम पर करते हुए वे इसे और छोटे छोटे टुकड़ों में बांटते चले जाएं और इसका नक्शा बिल्कुल ऐसा हो जाए जैसा कि मुसलमानों के आने से पहले था। हज़ारों छोटे छोटे राज्य और उनके ख़ुदग़र्ज़ शासक।
    खिलाफ़त का ख़ात्मा अंग्रेज़ों ने इसीलिए किया और उसे बहुत से छोटे छोटे टुकड़ों में बांट कर रख दिया और सारे अरबों को अपने सामने बेबस और कमज़ोर बना दिया।
    एक सशक्त एशिया अंग्रेज़ों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है।
    भारत हो या पाकिस्तान, दोनों ही जगह बम धमाके हो रहे हैं तो इसके पीछे दोनों का साझा दुश्मन है।
    वह दुश्मन कौन है ?
    उसे पहचानिए और उसका उपाय कीजिए और एशिया में आबाद लोगों को प्रेम का संदेश देते हुए अपनी शक्ति बढ़ाते हुए चलिए।
    मौजूदा दौर में करने का काम यही है ,
    ...और इसी के साथ जो मुजरिम किसी लालच में या नफ़रत में अंधे होकर बम धमाके कर रहे हैं, उनकी सुनवाई अलग अदालतों में तेज़ी से की जाए और ईरान की तरह मात्र 3 दिनों मे चैराहे पर क्रेन में लटका दिया जाए और उसका वीडियो पूरी दुनिया को दिखाया जाए कि हमारे यहां आतंकवादी का हश्र यह होता है और तुरंत होता है और यही हश्र उन वैचारिक आतंकवादियों का भी होना चाहिए जो किसी के धर्म, समुदाय और महापुरूषों को गालियां देकर नफ़रत फैला रहे हैं क्योंकि ये आतंकवादियों से भी बदतर हैं।
    आतंकवादियों ने इतने भारतीयों की जान आज तक नहीं ली है जितने लोगों को ये बलवाई दंगों में मार चुके हैं। देश को बांटने वाले दरअसल यही हैं और चोला इन्होंने देशप्रेम का ओढ़ रखा है।

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  5. This comment has been removed by the author.

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  6. इस बार तो प्रधानमंत्री ने भी मान लिया कि सुरक्षा में चूक हुई है.पता नहीं कब तक आम आदमी इस तरह की चूक का शिकार होता रहेगा.वोट बैंक की राजनीति ने आतंकवादियों के हौसले बढा दिये है.कोई राजीव जी के हत्यारों को बचाना चाहता है तो कोई भुल्लर और अफजल गूरु को.ऐसा शायद ही किसी देश में होता हो.खुफिया ऐजेंसियों को जितना मुस्तैदी से अन्ना के बारे में जानकारी जुटाने में लगाया जाता है उतना सुरक्षा के काम में लगाया जाए तो शायद ऐसी घटनाएँ न हों.

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  7. जितनी भी निंदा हो कम है..

    अपने ही हाथ अपना वतन बांट रहे हैं,
    जिस डाल पर बैठे हैं, उसे काट रहे हैं।

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