आप ऑफिस मे बैठ कर ब्लॉग लिखते और पढ़ते हैं सो
- आप ऑफिस के समय का उपयोग किसी अन्य काम के लिये कर रहे हैं
- आप अगर लंच के समय ये काम करते हैं तो भी आप सरकारी तंत्र का दुरूपयोग कर रहे हैं
- क्या आप को ऑफिस मे {सरकारी या प्राईवेट } इन्टरनेट कि सुविधा इसलिये दी गयी हैं कि आप उसका उपयोग अपने पर्सनल काम के लिये करे ??
हम हमेशा नेताओं को और बाकि सब को नैतिकता का पाठ पढ़ते हैं और ख़ुद उसको नहीं याद रखते हैं ऐसा क्यों ?? क्या समाज मे बदलाव दुसरो के ठीक होजाने मात्र से आजायेगा ??
और ये तो चोरी के ऊपर सीना जोरी हुई कि आप ना केवल दफ्तर मे बैठ कर ब्लॉग लिख रहे हैं अपितु बड़ी शान से उस बात को इन्टरनेट के जरिये बता भी कर रहे हैं ।
अब कोई ना कोई जरुर कहेगा रचना आप किस समय लिखती हैं और कहां सो पहले ही बता दूँ मेरा अपना ऑफिस हैं ख़ुद का और मे अपने समय और अपने पैसे से ब्लोगिंग करती हूँ ।
बहुत से लिंक दे सकती हूँ उन ब्लॉगर के जो ब्लॉग लिखने के लिये उस समय को उपयोग मे लाते हैं जिसका पैसा वो तनखा या सैलरी के रूप मे किसी ना किसी से लेते हैं । और घूम कर ये पैसा हम और एक आम आदमी टैक्स के रूप मे भरता हैं ।
ये प्रचलन केवल और केवल इंडिया मे हैं विदेशो मे लोग इस प्रकार का अप्वय नहीं करते हैं ।
मै आपकी बात से सहमत हूँ
ReplyDeleteमेरी चैट एक बार एक गृह मंत्रालय में कार्यरत सज्जन से हुई थी जो दिनभर जीमेल , ऑरकुट और अपने ब्लॉग पर रहते थे और ऊपर से गृह मंत्री और देश की सरकार को निकम्मा बताते थे
ऐसा क्यों ? यह तो आप ही जानें :)
ReplyDelete100% सहमत हूँ रचना जी आपसे...पर किसी को फर्क क्या पड़ता है.
ReplyDeleteबात तो आपकी सही है ! अब दुसरो की बात क्या करे ? हम सेल्फ़ ईम्पलायड हैं तो भी कोशिश करके आफ़िस मे बचने की कोशिश करते हैं पर जब काम नही होता तो खुद ब खुद ब्लाग पर पहुंच जाते हैं ! आगे से कोशिश करेंगे कि आफ़िस मे आफ़िस का ही काम किया जाये !
ReplyDeleteआपक सुझाव मानने लायक है और माना जाना चाहिये !
राम राम !
ऐसे लोगों के लिए ही कबीर बाबा कह गए हैं -
ReplyDeleteबुरा जो देखन मैं चला,
बुरा न मिलिया कोय ।
जो दिल खोजा आपना,
मुझसे बुरा ना कोय ।।
खरी बात है जी....वैसे हम अपने privet क्लीनिक में है ,सरकारी डॉ नही है....ओर बिल भी भरते है.....
ReplyDeleteनैतिकता की अपनी निजता होती है तथा होनी चाहिए। मुझे याद पड़ता है कि ज्ञानदत्तजी ने अपनी एक पोस्ट स्पष्ट किया था कि इस विषयक नैतिकता स्व आरोपित ही होनी चाहिए।
ReplyDeleteन कीजिए ब्लॉगिंग, उपन्यास भी मत पढि़ए लेकिन फाइल खोलकर बैठे रहें, कोई काम न करें या करें तो उलटा नुक्सान करें, इससे कहीं बेहतर है कि जिम्मेदारी निबाहें, काम के प्रति, अपने प्रति और किलसने की बजाए प्रसन्न रहें
बात सच्ची और खरी है....
ReplyDeleteनीरज
sahi hai.. yahan har koi apni saphai de raha hai.. bahdiya hai.. :)
ReplyDeleteab mera saval suniye.. main private IT company me hun.. main abhi office me hi hun.. mujhe aaj office me hone ka paisa bhi milega.. lekin mere paas koi kam nahi hai.. main Internet bhi use kar raha hun jo ki mere official use ke liye hai.. chatting mujhe jyada pasand nahi hai so nahi kar raha hun.. agar main blog nahi padhun to logon ke sath baith kar bat karunga ya bahar jakar ghumunga.. mera office me hona jaroori hai kyonki kabhi bhi meri jaroorat par sakti hai, aur jab jaroorat hogi tabhi mere paas kam aayega..
Ab aap kahen main kya karun? Office resource ka (mis)utilization karun ya gappe mar kar dusaron ka samay barbad karun ya net ap yun hi kuchh bhi search karke padhun?? ya phir kuchh bhi na karte huye chupchap baitha rahun aur sabka shakal dekhun(vaise iske liye achchhi shakl ka mere floor par hona bhi jaroori hai.. :D Just kidding, plz don't mind.. :))??
बिलकुल सच कहा आपने कहने और बिल पास होने से ही भ्रष्टाचार नहीं ख़त्म होगा जब तक प्रत्येक ब्यक्ति अपनी जिम्मेदारी नहीं समझेगा सरकारी चीजों का दुरूपयोग करेगा /सरकारी नोकरी में काम के समय अपना निजी काम करेगा /तो कैसे ये देश तरक्की करेगा .अपनी सोच बदलने की जरुरत है /सबको अपनी जिम्मेदारी समझना चाहिए /बहुत सार्थक लेख /बधाई आपको /
ReplyDeleteplease visit my blog.thanks.
www.prernaargal.blogspot.com
चर्चा में आज आपकी एक रचना नई पुरानी हलचल
ReplyDelete--
नई पुरानी हलचल से चलकर आपके ब्लॉग पर आया हूँ.आपके विचार जानकर बहुत अच्छा लगा.
ReplyDeleteहमे अनुशासन का पालन करना चाहिये.
आपकी प्रस्तुति विचारोत्तेजक है.
आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है.
सबको अपनी ज़िम्मेदारी के प्रति सचेत रहना चाहिए ...
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा आपने ...
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा आपने ...सबको अपनी ज़िम्मेदारी के प्रति सचेत रहना चाहिए ...
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