आप नौकरी करते हैं या आप अपना कारोबार करते हैं या आप कोई भी काम करते हैं क्या आप उस काम के पैसे लेते हैं या आप उस समय के पैसे लेते हैं जितने समय मे आप वो काम पूरा करते हैं ?
जी हाँ इस प्रश्न का उत्तर जरुर खोजे अपने अंदर क्युकी आप कहीं भी काम करते हैं तो आप को पैसा अगर आप की काबलियत के लिये मिलता हैं तो आप की नौकरी मे समय की कोई पाबंदी नहीं होती यानी काम करो पैसा लो अब चाहे २ घंटे मे करो या १० घंटे मे करो पैसा वही मिलेगा । सो जितने भी लोग १० घंटे का काम २ घंटे मे कर लेते हैं वो अपनी आमदनी को पाँच गुना कर लेते हैं ।
लेकिन जब आप समय सारिणी से काम करते हैं तो आप को १०-६ यानी तक़रीबन ८ घंटे रोज काम करने के लिये या महीने मे २२४ घंटे काम करने का लिये एक निश्चित राशि दी जाती हैं तो आप को वो २२४ घंटे वही काम करना चाहिए और उन्ही के लिये काम करना चाहिये जो आप को ये राशि देते हैं ।
सरकारी क्षेत्र से प्राइवेट छेत्र की तनखा का हमेशा मिलान होता हैं और ये कहा जाता हैं की सरकारी क्षेत्र मे उतनी तनखा नहीं मिलती जितनी प्राइवेट क्षेत्र मे मिलती हैं लेकिन कोई ये कभी क्यूँ नहीं देखता की दोनों जगह काम करने के घंटो मे कितना अन्तर हैं ।
आज बड़ी बड़ी कम्पनिया अपने एम्प्लोयी को अगर एक महीने का १ लाख से ऊपर रुपया देती हैं सैलरी मे तो उसके काम करने के घंटे भी २४ नहीं कम से कम ३६ घंटे होते हैं । यानि वोह तक़रीबन रोज १० घंटो मे ३६ घंटे का काम करता हैं । इसके अलावा उसको ये सैलिरी टैक्स फ्री मिलती हैं यानी उसका इनकम टैक्स भरना कम्पनी की ज़िम्मेदारी होती हैं ।
अगर हम १० घंटे का काम ५ घंटे मे करने की क्षमता अपने अंदर पैदा करे तो हम कही आगे जा सकते हैं लेकिन हम १० घंटे के काम को २० घंटे मे करने मे अपनी दक्षता समझते हैं
"हम १० घंटे के काम को २० घंटे मे करने मे अपनी दक्षता समझते हैं"
ReplyDeleteहाँ कुछ लोग ऐसा समझते हैं . पर आप भी ?
सच है !!!
ReplyDeleteप्राइमरी का मास्टर का पीछा करें
please type 'kshetra' for छेत्र
लो कर लो बात! हम जो दिये हुए काम को नहीं करने में अपनी दक्षता समझते हैं :)
ReplyDeleteअजी मुझे तो बस इतना ही पता है कि कल मैंने 32 घंटे का बग 8 घंटे में फिक्स करके डेलीवर किया है.. दूसरों का हिसाब किताब रखने से मुझे कोई फायदा नहीं सो मैं उसमें अपना समय बरबाद नहीं करता.. :)
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