मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

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May 20, 2009

नयी दिशा नया आयाम

ब्लोगिंग मे नाम के साथ जी लगाना ???
ये ठीक हैं की हमारी संस्कृति मे जी एक आदर सूचक शब्द हैं लेकिन ब्लोगिंग मे जी की प्रथा कुछ समझ नहीं आती ।
कई बार मे भी कमेन्ट मे जवाब देते समय जी लगाती हूँ पर वो जब बाद मे पढ़ती हूँ तो गलत ही लगता हैं ।
क्या जी लगा देने से आदर घटता या बढ़ता हैं या हम सब जी इसलिये लगाते हैं क्युकी हम सब अपनी उम्र कम और दूसरो की उम्र ज्यादा दिखाते हैं । क्या हम हमेशा ही छोटे बने रहना चाहते हैं या हम जी लगा कर एक सम्बन्ध स्थापित करना चाहते हैं ताकि अगर हम तीखा लिखे तो भी कुनैन को चाशनी मे लपेट कर परोसे ।
आपसी बोलचाल मे तो सही लगता हैं पर ब्लॉग पर ............

और
अगर ब्लॉगर प्रोफाइल पर उम्र नहीं हैं तो ब्लॉगर हम से बड़ा ही हैं ये कैसे पता और अपने से कम उम्र के ब्लॉगर के नाम के साथ भी जी

मेरी सम्भव कोशिश होती हैं इस ब्लॉग पर अपनी मानसिक कशमकश को आप से बाटने की आप जो लिखते हैं उससे सोच को नयी दिशा तो नहीं पर एक नया आयाम जरुर मिलता हैं

11 comments:

  1. जी लिखना शालीनता नहीं उम्र का भेद।
    प्रतिभा का सम्मान हो कहता है यह वेद।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  2. छोटों को आदर देने में संकोच कैसा...लगाईये न जी उनके साथ भी.

    हिन्दी भारत की भाषा है तो भारतीय संस्कृति के परिपालन से गुरेज कैसा.

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  3. रचना,

    इस पोस्ट को पढ़ते-पढ़ते चार लाईना वाले हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा की याद आ गयी, जो अपनी कविता में किसी को भी संबोधित करते हुये जी अवश्य लगाते थे।

    एक बार स्वर्गीय राजीव गांधी को उन्होंने हास्य में ही बताया था कि वे (शर्मा) जिससे डरते हैं उसके संबोधन के बाद जी लगा देते हैं।

    :-)

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  4. आप शायद ठीक कह रही हैं. आपका ब्लॉग एक मैनुअल की तरह कई बार ब्लॉग व्यवहार में should,shouldn't,ought to, ought not to आदि आदि की जानकारी देता है.

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  5. sanjay , BS Pabla and Shyamal
    give your inputs also on what can improve the current situation

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  6. इसे सभ्यता कहते है जी...सोचिये एक दस साल का बच्चा आपको नाम से पुकारे ...

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  7. आदर देने में तो कोई हर्ज नहीं...मुझे जहाँ लगता है कि ब्लौगर की उम्र मुझसे कम है, तो नाम से संबोधित करता हूँ
    व्यकतिगत पसंद

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  8. blog bhi to ak trh se apsi bolchal kahi treeka hai to ji lgane se prhej kyo ?

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  9. then why sameer on your latest post you feel blog has made you feel old ?? comeoout of that suffocation and start living as you are in your heart young and bouyant

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  10. अज़ी रचना बेन, काहे हलाकान हो ?
    ब्लागर है, हिन्दी ब्लागर ! बिना मोल लिये माताचरण पखार रहा है, आदर भी न दोगी ?
    बाई द वे ( पाबला जी, आसपास तो नहीं हैं ? ),
    बाई द वे.. मैंने तो गाली गलौज़ में भी एक दूसरे को ’ सरदार जी ’ कहते देखा है !
    जहाँ अनौपचारिकता की सीमायें लाँघने का स्कोप रखना होता है, ’ जी ’ लगा देना सेफ़ रहता है !

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  11. और सुनो, यहाँ इतनी भाईगिरी है कि,
    भाई कह कर पुकारना एक सेक्यूरिटी देता है, यह भी नोट करो ।

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