मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

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June 25, 2009

अफ़सोस ही होता हैं .

कभी कभी बहुत अफ़सोस होता हैं जब लोग बच्चो क्यो मोहरा बना कर अपनी भडास निकलते हैं । जहाँ कोई कम उम्र बच्चा देखा जिसका ब्रेन वाश किया जा सकता हैं बस तुंरत उसको इस तरह अपने जाल मे फसाते हैं कि बेचारा समझ ही नहीं पता कि वो कब मोहरा बन गया हैं ।

11 comments:

  1. bachcho ko mohara nahi banani chahiye logo ko........

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  2. सच कहा आपने। कुछ दो चार कमीने टाईप के लोग कुछ बच्चों को मोहरा बना रहे हैं और बच्चे समझ नही रहे हैं कि वो मोहरा बन रहे हैं। इसमे बनाने वालों की क्या गलती? मूर्ख तो बनने वाला है दुनिया तो मजे लेने के लिये ही बैठी है।

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  3. kya hua? zara vistar se batayen

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  4. विस्तार से कहने के लिये कुछ नहीं हैं क्युकी
    कहीं धर्म तो कही महजब आडे आता हैं

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  5. हम तो संदर्भ ही नहीं समझ पाये.

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  6. बात ऊपर से निकल गई !

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  7. कहीं आपका इशारा बच्चों को अगवा कर उनका मज़हब बदल कर ज़बर्ज़स्ती मदरसों में ब्रेनवाश करने वाले मामले की तरफ तो नहीं? इस घटना पर दिल्ली और आसपास के क्षेत्रो में अभी भी रोष व्याप्त है.

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