मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

June 18, 2009

कमेन्ट मोदेरेशन क्यूँ ? क्युकी वो ब्लॉग मालिक का अधिकार हैं .

मैने अगर एक ब्लॉग बनाया हैं तो वो एक पर्सनल डायरी हैं जिसे मैने सार्वजानिक किया हैं । लेकिन उसको इस लिये नहीं सार्वजनिक किया हैं की मै अपनी विचार धारा बदलना चाहती हूँ । उसको इस लिये सार्वजनिक किया हैं ताकि मै क्या सोचती हूँ वो सार्वजनिक मंच पर भी पढा जाए । अब मेरी लिखी पोस्ट पर कुछ कमेन्ट आते हैं जो मेरी विचार धारा , मेरी सोच से अलग हैं । मै उनको पढ़ लेती हूँ और अगर मुझे लगता हैं की वो एक दूसरा तरीका हैं मेरी ही सोच को और विस्तृत करने का तो मै उसको ब्लॉग पर रहने देती हूँ अन्यथा डिलीट कर देती हूँ । कई बार लोग कहते हैं की कमेन्ट क्यूँ डिलीट किया आप तो केवल और केवल उन्ही कमेन्ट को पब्लिश करती हैं जो आप की हाँ मै हाँ मिलते हैं । बिल्कुल सही बात क्युकी मै समझती हूँ की मै सही हूँ और मै चाहती हूँ की जिसको मै सही समझती उसी सोच को आगे ले जाऊं । अगर किसी को मेरी सोच ग़लत लगती हैं तो उसके पास भी अपना कोई ना कोई माध्यम तो होगा उस बात को अभिव्यक्त करने का लेकिन उसका ये सोचना की मै अपने ब्लॉग पर उस बात को कमेन्ट मै रहने दूँ जिसका मै विरोध करती हूँ ग़लत हैं ।
जिन्दगी के कई मोड़ से गुजर कर हमारी सोच बनती हैं । उस पर ऊँगली उठाना आप का अधिकार हैं और आप कमेन्ट मे करते भी हैं । आप की बात ईमेल के जरिये मुझ तक पहुच भी जाती हैं पर ब्लॉग पर नहीं दिखती हैं और आप को लगता हैं ये ग़लत हैं क्यूँ ?? हर कमेन्ट को ब्लॉग पर देकर एक बहस को छेड़ना होता हैं जिसका कोई अंत नहीं हैं क्युकी वास्तविक दुनिया की बहस से हट कर मे वर्चुअल दुनिया मे इसीलिये आये हैं सब की यहाँ उन लोगो का साथ पा सके जिनकी सोच हम जैसी हैं ।
बेकार की बहस से अच्छा हैं की उस कमेन्ट को डिलीट कर दूँ जिस मे वो सब नहीं लिखा जिससे मै सहमत हूँ । हाँ कुछ ब्लॉग ख़ास कर साँझा ब्लॉग या ऐसे ब्लॉग जहाँ चर्चा का मंच हैं या वाद संवाद होता हैं वहाँ बहस के लिये मंच खुला होता हैं लेकिन वहाँ भी ब्लॉग मालिक का अधिकार होता हैं वो किसी भी कमेन्ट को डिलीट करदे अगर उसको वो सही नहीं लगता ।

आप अगर किसी कमेन्ट के डिलीट होने पर आपति दर्ज करते हैं तो बेहतर हैं की उससे पहले उस कमेन्ट को कहीं सेव करके के रखे और बाद मे डिलीट होने पर अपने ब्लॉग पर लिंक के साथ डाल कर बहस के लिये अपने ब्लॉग को खोल दे । { और अगर आप के पास इतना समय और जरुरत नहीं हैं की आप कमेन्ट को सेव करे तो प्लीस उसके डिलीट होने पर क्षोभ भी ना रखे }

कमेन्ट मोदेरेशन ब्लॉग मालिक का अधिकार हैं और उसके अधिकार पर आप प्रश्न चिन्ह क्यूँ लगाते हैं ??

8 comments:

  1. विरोधी विचारों को भी स्थान दिया जाना चाहिए. अगर वे संयत भाषा में और सद्भावना से व्यक्त किये गए हों.

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  2. लेकिन ब्लॉग आपका है और वहाँ क्या रहेगा और क्या नहीं यह पूर्णतः आपके अधिकार क्षेत्र में है.

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  3. "आप अगर किसी कमेन्ट के डिलीट होने पर आपति दर्ज करते हैं तो बेहतर हैं की उससे पहले उस कमेन्ट को कहीं सेव करके के रखे और बाद मे डिलीट होने पर अपने ब्लॉग पर लिंक के साथ डाल कर बहस के लिये अपने ब्लॉग को खोल दे । { और अगर आप के पास इतना समय और जरुरत नहीं हैं की आप कमेन्ट को सेव करे तो प्लीस उसके डिलीट होने पर क्षोभ भी ना रखे }"

    रचना जी।
    आपकी बात में सच्चाई है।

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  4. कमेन्ट मोडरेशन भले ही ब्लॉग का अधिकार जतलाता है, पर अगर इसे घर का ताला समझा जाए तो...
    अगर, ब्लॉग को चौपाल माना जाए तो इसको ज़रुरत ही कहाँ रह जाती है....
    ब्लॉग मालिक, बैसे भी जब चाहे आपत्तिजनक टिप्पणियां हटा ही सकता है...जो यूं भी, अपवादस्वरुप ही की जाती हैं.
    Freedom of expression, यूं लगता है, मानो एकतरफा ट्रैफिक है...ब्लॉगमालिक तो जो चाहे लिखे पर पाठक क्यों लिखे.

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  5. आपकी सभी बात से सहमत हूँ सिवाय एक बात के

    (( मै समझती हूँ की मै सही हूँ और मै चाहती हूँ की जिसको मै सही समझती उसी सोच को आगे ले जाऊं ))

    "" अगर आपको लगता है की आप समेशा सही है तो ये आपकी सबसे बड़ी भूल है ""

    ये मैं नहीं कहता बल्कि किसी और की कही इस बात से सहमत हूँ

    फिलहाल आप जैसे पोस्ट अपने ब्लॉग पर लगा रही है ये जरूरी नहीं की हर टिप्पडी आपकी विचारधारा से मेल खाए

    वीनस केसरी

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  6. aapki sonch blkul sahi... hum apni abhivyakti logon ke samne is liye nahi rakhte ki wo humaari sonch ko hi badal de...

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  7. आपकी बात काफ़ी हद तक सही है लेकिन एक बात मैं कहना चाहुंगा की जिस तरह आप अपनी विचारधारा को सबके सामने रख रही है तो उस पर जो और राय है उसे भी रखा जाना चाहिये।

    अगर आप ये सोचकर चलेंगी कि आप हमेशा सही है तो ऎसा तो हो ही नही सकता।

    टिप्पणी से अपनी कमिंया और खुबियां सामने आती है इसलिये मैं इसे हटाने के हक ने नही हु क्यौंकी इससे आपका ही नही और लोगो का भी सोच का दायरा बढता है।

    मैं कमेंट माडेरेशन के सख्त खिलाफ़ हु क्यौंकी इसमे अपनी राय को सबके सामने लाने के ब्लोग लेखक की इजाज़त का इन्तज़ार करना पडता है

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