हर अनाम कमेन्ट मे जरुरी नहीं हैं की ऐसा हो जो वान्छित नहीं हैं । कई बार अनाम कमेन्ट कई कारण से किये जाते हैं जैसे
अगर आप लोग इन नहीं करना चाहते क्युकी लोगिन करने से आप का पास वर्ड उस कंप्यूटर पर कई बार रह जाता हैं।
या पोस्ट ऐसी हैं की आप अपनी राय अपने नाम से नहीं देना चाहते क्युकी पोस्ट मे जो लिखा गया हैं आप उस पर राय देना चाहते हैं लेकिन नाम से नहीं
या आप इन्टरनेट पर आपना नाम और शक्सियत देना ही नहीं चाहते और अनाम / छद्म नाम से लिखते है ।
या
आप पर किसी ने कभी बहुत वाहियात टिप्पणी की हैं और आप उस व्यक्ति तक अपनी आवाज / टंकार देना चाहते हैं , {जरुरी नहीं हैं वो टिप्पणी आज ही की गयी हो , हो सकता हैं साल / ६ महिना पहले कहीं किसी ने अनाम बन कर आप के चरित्र / आप के माता पिता के ऊपर / आप के इंग्लिश बोलने पर / आप के वेस्टर्न कपड़ो पर छीटा कशी की हैं और आप भी उस कर्ज को सूद समेत वापस करना चाहते हैं }
इन चारो कारणों मे से किसी भी कर्ण की वज़ह से अगर आप अपने ही इप अद्द्द्रेस से निरंतर कमेन्ट कर रहे हैं तो आप कहीं ना कहीं चाहते हैं की लोग आप को pehchan lae यानी आप को डर नहीं होता हैं ।
मुश्किल वहाँ आती हैं जहाँ लोग अलग अलग इप एड्रेस से कमेन्ट करवाते हैं । यानी जैसे कुश हैं जयपुर मे और मै हूँ दिल्ली मे और मे कुश से कहूँ की आशीष की पोस्ट पर एक अनाम कमेन्ट कर दो और मे कमेन्ट का टेक्स्ट अपनी शेली मे कुश को दे दूँ और पोस्ट कर दे ।
आशीष को IP aadress to जयपुर का मिलेगा और शेली मेरी मिलेगी सो प्रॉब्लम होसकती हैं पहचान करने मे .
इसके अलावा लोग अपने ब्लॉग पर ख़ुद भी अनाम कमेन्ट करते हैं ।
ज्यातर अनाम कमेन्ट आते हैं उन इप एड्रेस से जो सरकारी दफ्तरों मे उपलब्ध हैं या साइबर कैफे के हैं क्युकी वहाँ कंप्यूटर पर कोई सॉफ्टवेर नहीं होता ट्रैक करने के लिये । प्राइवेट सेक्टर मे मालिक अपने कंप्यूटर / सर्वर पर सॉफ्टवेर डाल कर रखता हैं और जब भी कोई इन्टरनेट को चलाता हैं , जिस वेब साईट पर भी जाता उस सॉफ्टवेर मे रिकॉर्ड हो जाता हैं ।
हिन्दी ब्लॉगर जो भी बँटा उसका स्वागत अनाम गालियों से जरुर होता हैं और फिर वो भी वही सीख कर वापस करता हैं क्युकी सब महात्मा गाँधी और ईसा मसी नहीं हो सकते । कभी जरुर सोच कर देखे की ये अनाम कमेन्ट मे गाली देने की सभ्यता हिन्दी ब्लोगिंग मे क्यूँ शुरू हुई हैं ।
क्या हम मे से कोई भी हिन्दी ब्लोगिंग करने इस लिये आया था की वो गाली दे ??? पर देनी पड़ती हैं क्युकी अन्याय सहने वाला अन्याय करने वाले से भी ज्यादा गुनेहगार होता हैं । किसने हिन्दी ब्लोगिंग को ये परम्परा दी हैं की अनाम कमेन्ट मे गाली दो । ip address बदल कर कमेन्ट करो । बात की तह तक जाए तो आप ख़ुद खोज सकेगे की गलती किसने की हैं ।
ब्लॉगरA हिन्दी ब्लॉगर बना उसने दो चार कमेन्ट ब्लॉगर B , ब्लॉगर C और ब्लॉगर D कि साईट पर
अपने नाम और id से डाले जो किसी वज़ह से पसंद नहीं किये गये . सो ब्लॉगर C , ब्लॉगर D और ब्लॉगर B कि साईट पर ब्लॉगर A के लिये अनाम कमेन्ट अपशब्द वाले आने लगे . ब्लॉगर A ने आपत्ति दर्ज कि तो कहा गया मोदेरेशन नहीं लगाये गे , ब्लॉग्गिंग करनी हैं तो तैयार रहो इन सब के लिये .
समय बिता और फिर
ब्लॉगर B , ब्लॉगर C और ब्लॉगर D के लिये अब्शब्द भरे कमेन्ट कई और ब्लॉगर कि पोस्ट पर आये . अब ब्लॉगर C , B और D मोदेरेशन के लिये हल्ला मचाने लगे .
शायद इसी को vicious circle कहते हैं .
whois पर आगे ........
अनाम टिप्पणियों के कारण और प्रकारों का आपने बहुत अच्छा विवेचन किया.. अब जाकर पता चला आखिर ऐसा किन-किन वजहों से हो सकता है.. whois पर कल की पोस्ट का इंतजार रहेगा।
ReplyDeleteइसके अलावा लोग अपने ब्लॉग पर ख़ुद भी अनाम कमेन्ट करते हैं ।
ReplyDelete----------------------
आपने यह पहले बताया होता तो हमारी इतनी पोस्टें खाली नहीं रहती। मगर अब करेंगे तो लोग समझ जायेंगे कि ‘खुद ही कमेंट लिख रहा है’। बहरहाल नवांगतुक ब्लाग लेखकों यह ज्ञान जरूरी दीजियेगा। हां, बेनाम टिप्पणी लिखकर दूसरे के लिये तनाव में डालने से अच्छा तो वह लोग स्वधन्य टिप्पणीकार हो जायें।
दीपक भारतदीप
मुझे लगता है तकनिक इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता.. कैसे ट्रेक करो्गे.. कौन ट्रेक करेगा. कहां केस करोगे.. कौन सुनेगा.. इससे बड़े मामले लटके पडे़ है.. और किसके पास फुर्सत है जो फोलो करेगा...
ReplyDeleteइमेल पर रोज ढेरो मेल आती है पोर्न आती है जंक आती है.. पता नहीं क्या क्या... मेरे gmail पर कम से कम ५० जंक मेल मिलती है.. याहु पर तो सैंकड़ो.. क्या करता हूँ.. delete.. किसी को बताता हूँ.. नहीं.. लगभग वो ही हर्श इन बेनामी गैर जरुरी.. अभद्र भाषा वाले कमेंट्स का..
lafda hai yaar !
ReplyDeleteकहानी में नया ट्विस्ट ? :)
ReplyDeleteबातो मे सच्चाई है ।
ReplyDeleteकाफी कुछ राज आपने आज खोल दिए। इनमें कुछ का अनुमान हम पहले ही कर चुके थे, लेकिन बताना जरूरी नहीं समझा था। हम किसी लफ़ड़े में पड़ने के शौकीन जो नहीं ठहरे।
ReplyDelete