इस पोस्ट पर काफी पहले एक लम्बी कमेन्ट चर्चा हुई थी कमेन्ट मोदेरेशन पर आप लोग इस को दुबारा पढ़ सकते हैं । मोदेरेशन लगना जिन लोगो को ताना शाही लगता था उस पोस्ट पर आये कमेंट्स मे वही आज उसके पैरोकार हैं । समय इंसान को बहुत कुछ सिखाता हैं ।
Suresh Chiplunkar की पोस्ट पर उस समय कमेंट्स की भरमार हो गयी थी ।
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Blog Archive
-
▼
2009
(166)
-
▼
June
(21)
- बहुत से लोग "पकड़ लिया पकड़ लिया" चिल्ला रहे हैं पर...
- एक id , दो व्यक्ति और दो आई पी या एक व्यक्ति , ...
- अनाम कमेन्ट क्यूँ ?बात की तह तक जाए
- समय इंसान को बहुत कुछ सिखाता हैं । कमेन्ट मोदेरेशन
- जो ब्लॉगर भी अनाम कमेन्ट से परेशान हैं और मोदेरेशन...
- अफ़सोस ही होता हैं .
- क्यूँ करे हैं follow ??
- भूत पिशाच निकट नहीं आवे
- कमेन्ट मोदेरेशन क्यूँ ? क्युकी वो ब्लॉग मालिक का अ...
- कल की पोस्ट पर आए दो कमेन्ट
- ब्लोगिंग को वास्तविक दुनिया से ना मिलाये । क्युकी ...
- दोस्त दोस्त ना रहा
- समसामयिक प्रासंगिक
- कोई इन्टरनेट के जानकर कुछ जानते हो तो समझाये ।
- " धमकात्मक स्नेह " कुछ चिंतन
- ब्लोगिंग आप के मस्तिष्क की आवाज हैं Blogging is th...
- सुशील कुमारsk.dumka@gmail.कॉम स्पैम करना बंद करे
- छात्र खुश अध्यापक ना खुश ।
- अब ना कहे चीनी कम
- आज कल ये चिडिया अक्सर घर के बाहर आ कर बैठ जाती हैं...
- क्या एक विवाहित दम्पत्ति को सरेआम PDA की अनुमति ...
-
▼
June
(21)
रचना जी, इन्सान अपनी गलतियों से ही सीखता है।
ReplyDelete
ReplyDeleteअरे भई, घर आये मेहमान को इस तरह नहीं ठुकराते ।
आपका पोयेटिकरेस्पाँस मेरे IE8 पर खुलते ही बन्द हो जाता है, रीयली वेरी अनपोयेटिक !
यदि माफ़ी दें, तो मैं अर्ज़ करूँ कि भारत के हर शहर में, शहर की हर गली में, गली में खुलने वाली हर मोरी में गँद बसी हुई है ।
आप इसे कैसे बर्दाश्त कर लेते हैं ? अपने दरवाज़े कागज़ का टुकड़ा फ़ेंक जाने वाले पर लानते भेजते हैं, और फुटपाथ पर, पार्कों में कचरा फैला आते हैं ! बाहर इमिग्रेशन चेक-आउट से निकलते ही आप बदल जाते हैं ।
शुद्धता और स्वच्छता के अपने दोहरे मापदँड को आप नेशनल वैल्यू से नवाज़ते हैं, यह घोर पाखँड है, रचना जी ।
एक तरह का ओढ़ा हुआ आभिजात्य !
मैं इन्सान हूँ और मेरा सीखना किसी आयु तक भी ख़त्म न होगा ।
पर मैं अपने ब्लागिंग जीवन में मोडरेशन कभी भी नहीं लगाने जा रहा !
बेनामी टिप्पणियाँ कुछ ख़ास लोगों को ही क्यों मिलती हैं ?
2004 से 2007 तक की अँग्रेज़ी ब्लागिंग में और उसके बाद हिन्दी में मुझे तो इनके दर्शन न हुये !
मैं समझता हूँ कि, मेरा पाठक इतना प्रबुद्ध होगा कि, उसे अनाम टिप्पणीकार की मँशा परखने की समझ होगी और वह अश्लील ज़ुमलों की ओट में दुबकी हुई हताशा और कुँठा की पहचान भी होगी !
यदि नहीं है, देन ब्लागिंग इज़ नाट मीन्ट फ़ार टाडलर्स एण्ड सो एन सो प्यूरीस्ट !
आई बिलीव, इट इज़ समथिंग लाइक एक्स्प्रेसिंग योरसेल्फ़ इन हाईडपार्क !
:) आख़िरी लाइनें अँग्रेज़ी में क्यों ? आगे टिप्पणियाँ आने दीजिये.. कोई न कोई समझा ही देगा ।
हाय अल्लाह, इतनी देर में तो मैं एक नई पोस्ट तैयार करने के लिये कई शब्द, ज़ुमले, सिसकारियाँ वगैरह काटकूट कर बघार भी लेता ! यहाँ स्माइली का टोटा है, शिवभाई ने सब की सब उठा कर चिट्ठाचर्चा पर खर्च कर दिया, वेस्टेज़ आफ़ स्माइली ।
ReplyDeleteऊड़ी बाबा, एप्रूवल ?
कब तक हो जायेगा जी ?
दुबारा से देखने कल आ जाऊँ ?
कोई सनद तो मिली भी नहीं कि,
मैंने यहाँ आकर दस मिनट तक कीबोर्ड का करताल बजाया था ?
2004 से 2007 तक की अँग्रेज़ी ब्लागिंग में और उसके बाद हिन्दी में मुझे तो इनके दर्शन न हुये !
ReplyDeleteYOU ARE VERY LUCKY Dr Amar , I must say
and i do appologise that due to professional constraints i was unable to put up the comments