मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

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June 23, 2009

भूत पिशाच निकट नहीं आवे

ब्लोगिंग के नुक्सान होते हैं कम
ब्लोगिंग के फायेदे हैं ज्यादा
जिस को चाहो प्रेत आत्मा बना दो
प्रेत योनी मे भिजवा दो
और ख़ुद वैज्ञानिक बन जाओ
तर्कों से ना जीत पाओ
तो कुतर्को से स्नेह बरसाओ
है भटकती आत्माओं
जहाँ भी हो तुम
एक बार क्वचिदन्यतोअपि..........! जरुर हो आना
और अपना नेह वहाँ भी बरसा आना
बहुत खोज रहे हैं वैज्ञानिक तुमको
साइंस की शूली पर चढाने के लिये
अब ये तुम पर निर्भर हैं कि
तुम ख़ुद शूली पर चढो
या किसी को चढाओ
तुम्हारे अस्तित्व को नकारते हैं
वैज्ञानिक जो , बार बार पोस्ट
तुम पर ही लिखते हैं वो



दिस्क्लैमेर
इस पोस्ट किसी भी भूत पिशाच पर या भटकती आत्माओं पर आयी पोस्ट से कोई लेना नहीं हैं

11 comments:

  1. अरे ब्लॉग्गिंग का ये,
    फायदा भी तो बतलाओ,
    कोई लिखे कोई पोस्ट जो,
    उससे आईडिया झटपट बनो,

    चार लाईनों की, इक ,
    पोस्ट लिख कर चिपकाओ,
    किसी को जताओ असहमति ,
    किसी को उकसाओ...
    फार्मूला ये हिट है,
    ढेरों तिप्प्न्नियाँ पाओ....

    इस टिप्प्न्नी का किसी की किसी भी पोस्ट को कोई लेना देना नहीं है.........

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  2. आपका तथाकथित 'दिस्क्लैमेर' तो पोस्ट से भी ज्यादा धाँसू है !

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  3. मेरी समझ में दूसरों की पोस्‍ट पर अपने ब्‍लॉग पर कुछ लिखना स्‍वस्‍थ परम्‍परा नहीं है। सही बात यह है कि आपको जो कुछ कहना है, सामने ही कहना चाहिए।

    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  4. :))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))


    Yeh lo jeeee ho gayaa kaam!!

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  5. बोल्ड में डिसक्लेमर ठीक रहा!!

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  6. जाकिर
    स्वस्थ परम्परा और ब्लोगिंग !! उफ़ , सरेआम लोग नारियों
    को प्रेत योनी मे भेज रहे हैं और आप खामोश रहे
    यही अफ़सोस हैं परम्परा होती नहीं हैं बनायी जाती हैं और लीक
    से जो भी हट कर चलते हैं नयी परम्परा
    बनाते हैं नाकि कोई परम्परा तोड़ते हैं सो मुझे
    जो भी कहना होता हैं अपने घर { ब्लॉग } पर
    लिख देते हैं

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  7. ऐसी पोस्ट की सम्भावना तो शुरू से ही थी जब क्वचिदन्यतोऽपि पर वो पोस्ट आयी थी। लेकिन डिस्क्लेमर (पेशगी-ए-सफ़ाई) की आवश्यकता क्यों पड़ गयी जी?

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  8. आप की आपेक्षओ मे खरी उतरी पोस्ट
    मन गद गद हो गया !!!!! और डिस्क्लेमर का
    फैशन हैं , फैशन इंडस्ट्री से हूँ सो ट्रेंड
    के साथ चलती हूँ

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  9. सिद्धार्थ जी, आप संभावनाओं को कैसे भांप पाते हैं? काश, हमसब सारी संभावनाओं को ऐसे ही भांप पाते तो...तो...तो क्या?

    तो अभी तक पता चल जाता कि मानसून कोलकाता कब तक पहुंचेगा? आखिर इस बात पर वैज्ञानिक ही कुछ कह सकते हैं. भटकती आत्माएं तो कुछ कहने से रहीं. या फिर कहेंगी तो सुनाई नहीं देगा.....:-)

    (डिस्क्लेमर: तीन लाइन का कमेन्ट है. लिखता चला गया. पता नहीं इसका मतलब क्या है.)

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  10. हर विवाद मे अगर अपनी राय का अधिकार दुसरो को हैं तो
    मुझे भी हैं . कुछ ब्लॉग हैं जहां कमेन्ट करने से बचती हूँ और
    अगर मन मे कुछ आता हैं तो अपने ब्लॉग पर ही लिखती हूँ
    आप की सलाह को पढ़ लिया शुक्रिया . जिस ब्लॉग की बात हैं
    उस पर सबसे पहली http://mishraarvind.blogspot.com/2008/12/blog-post_18.html कुछ पोस्टो पर अगर आप
    मेरी उपस्थिति देखे कमेन्ट मे तो आप को वही दिखेगा जो आप
    मुझे करने को कहरहे हैं . मेरे बारे बहुत कुछ आप ने सुना हैं और
    मेने भी सुना हैं आपके बारे मे सो इस बार लखनऊ आयुंगी
    तो आप से मिलने का यतन करुगी अगर आप कहेगे तो

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