हिन्दी ब्लॉग्गिंग के
बडे बडे पेडो के नीचे
पनप सकते हैं
बस कुकुकुरमुत्ते
जिनका जीवन काल
होता हैं कुछ पलो का
और फिर वो मर जाते हैं
वही उसी पेड के नीचे
खाद बन कर सड जाते हैं
और बड़ा पेड मुस्कुराता हैं
कि देखो हंसते हंसते
एक और को मै खा गया
यहाँ साहित्यकार बनने आया था
मैने ब्लॉगर भी ना रहने दिया
सच बोलना जितना मुश्किल है , सच को स्वीकारना उस से भी ज्यादा मुश्किल है . लेकिन सच ही शाश्वत है और रहेगा मुझे अपने सच पर उतना ही अभिमान है जितना किसी को अपने झूठ से होने वाले फायदे पर होता हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं
July 15, 2009
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कम शब्दों में सटीक सटाक्ष
ReplyDeleteसत्यवचन !
ReplyDeleteसुंदर व्यंग्य कविता।
ReplyDeleteha..ha..ha..
ReplyDeleteकाश हिन्दी ब्लॉगिंग का उपवन खूब फले फूले.. यहां सभी तरह के वृक्ष-लताएं यथेष्ठ विस्तार पाएं..
ReplyDeleteसटीक..
ReplyDeleteसटीक व्यंग्य कविता...
ReplyDeleteअरे! आपको भी पता चल गया :-)
ReplyDeleteताड़ने वाले कमाल की नज़रे रखते हैं :-) ..आशीष से सहमत.
ReplyDeleteक्या बात है
ReplyDeletegazab waah kya kamalkeh diya satik bhi.
ReplyDeleteकुकुरमुत्तो को भी मशरूम कह कर खपाया जा रहा है आजकल्।
ReplyDeleteअनिल सही कहा आपने , मशरूम की खेती हो
ReplyDeleteरही हैं ताकि उनका इस्तमाल हो सके
लवली घने जंगल मे सर्प बहुत होगे सो तुम
ReplyDeleteजाति प्रजाती खोजती रहना
एकदम सटीक निशाना!! उम्दा व्यंग्य.....
ReplyDeleteतुरंत बडे वालो को पकड कर कटाई छटाई कीजीये ताकी नीचे वालो को भी हवा आये .
ReplyDeleteये तो नई खबर मालूम चली, आपका आभार!
ReplyDeleteतभी मुझे ग्रोथ नहीं मिल पा रही है.