मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

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June 04, 2011

पूरा देश जेल जा सकता हैं अगर हर कानून पूरी तरह लागू कर दिया जाये

अब वो समय दूर नहीं हैं जब सरकारी तंत्र कहेगा की आम आदमी पर सब कानून लागू कर दो .
और ये भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहीम . लोकपाल इत्यादि अपने आप बंद हो जायेगा
सोच कर देखिये आम आदमी यानी आप और मै रोज कितने कानून तोड़ते हैं
कितने लोग सड़क पार करते हैं ज़ेब्रा क्रोस्सिंग से
कितने लोग पानी की सुप्लाई से गाडी धोते हैं
कितने लोग किरायेदार रखते हैं पर हाउस टैक्स वालो को नहीं बताते
कितने लोग बिना बिल के समान खरीदते हैं
कितने लोग लोकर में कैश रखते हैं
कितने लोग १८ साल की उम्र से कम बच्चो को घर के काम के लिये रखते हैं
कितने लोग बच्चो के साथ यौनिक सम्बन्ध रखते हैं
कितने लोगो के पास कंप्यूटर पर ओरिजिनल सॉफ्टवेर हैं
कितने लोग पिक्चर और गाने डाउनलोड करते हैं बिना पैसा दिये
कितने लोग नेट कनेशन के लिये ड्राइव का लोक तोड़ते हैं
कितने लोग सड़क पर शराब पीते हैं
कितने लोग सड़क पर कूड़ा फेकते हैं
कितने लोग एक दूसरे को धक्का दे कर मेट्रो में चढते हैं
कितने लोग बिना टिकेट यात्रा करते हैं
ये जितनी रैलियाँ होती हैं क्या उनके लिये परमिशन ली जाती हैं
कितने लोग बारात लेकर सडको पर शोर माचा ते हैं क्या जानते हैं इसके लिये सरकारी परमिशन चाहिये
दस बजे के बात जगराते के नाम पर शोर मचाना कौन नहीं करता
ज़रा और लोग भी इस लिस्ट में कुछ जोड़े और फिर किसी को समर्थन दे
पूरा देश जेल जा सकता हैं अगर हर कानून पूरी तरह लागू कर दिया जाए




जब तक पकड़े ना जाओ तब तक ठीक
हम करे तो सही कोई और करे तो भ्रष्टाचार

9 comments:

  1. आपने सही कहा कि अगर ढंग से कानूनों का पालन होने लग जाए तो हर आदमी जेल में सड़ता नज़र आएगा...
    यहाँ सड़क पर लाल बत्ती को जंप करना हर आदमी का शौक है... अगर ढंग से चालान कटने लग जाएँ तो हर दो मिनट में एक-एक लाल बत्ती पर कम से कम तीस से चालीस तक चालान होंगे...
    यहाँ टैक्स कोई नहीं देना चाहता और सुविधाएं सारे लेना चाहते हैं...अभी किसी को कह दिया जाए कि दस या बीस रूपए लगेंगे हर हफ्ते कालोनी की सड़कों की सफाई करने के लिए तो कोई नहीं देगा...उलटे उस दस-बीस रूपए से ज्यादा के गुटके खा कर उनके छिलके बिखेर दिए जाएंगे सड़कों पर..दरअसल बुनियादी सिस्टम ही खराब है अपने देश का..ऊपर के लेवल से जब सफाई शुरू होगी तभी नीचे आम जनता तक उसका असर पहुंचेगा...जब बड़े लोगों को बक्शा नहीं जाएगा...तभी छोटे लोगों में दर पैदा होगा...इसलिए मेरे हिसाब से बाबा राम देव की की मुहीम सही है..बशर्ते वो किसी नतीजे पे पहुंचे

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  2. आज हर आदमी यही चाहता है कि पूरी दुनिया सही हो जाए... और मैं वैसे का वैसा ही रहूँ... भ्रष्ट का भ्रष्ट... सही मायने में भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग अपने आप से शुरू होनी चाहिए...

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  3. दिल्ली के जलबोर्ड जाकर शिकायत की कि घर के आसपास के टैंक ओवर फ्लो होते हैं उन पर एक्शन क्यों नहीं लिया जाता...जवाब यह था....
    "मैडम...क्या बात करती हैं...1000 रु का ज़ुर्माना लगाया था...लागू करते ही ऊपर से ऑर्डर आ गया रोक दीजिए ... बड़े लोगों की बड़ी बातें...हम तो आज भी दूर दराज़ से ही पानी भर कर लाते हैं...क्या करें जी..यहाँ तो जिसकी लाठी उसकी भैंस है"
    डीडीए के दफ्तर चले जाओ तो भी यही कहानी...कानून बनाने वाला ही जब तक कानून तोडता रहेगा...कुछ नही बदलने वाला तब तक ...

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  4. सर्वे भवन्तु सुखिनः।

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  5. .
    .
    .

    रचना जी,

    यही तो बात है, एक भ्रष्ट जनता को एक ईमानदार तंत्र कभी नहीं मिल सकता... हम में से हरेक को खुद को बदलना होगा... शुरूआत आज से ही सच बोलने की शपथ ले की जा सकती है!



    ...

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  6. rachna ji glt maat hmare munh ki bat aapne chhin dali bhtrin sch ujaagar krne ke liyen bdhaai ho .akhtar khan akela kota rajsthan

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  7. system theek hai sab kuch theek hai

    camman wealth game ke dauran kitne logo ne no entry jone main gadi chalai thee......jisne chalai usne chalan bhara ......

    sasan sakhat hoga tabhi kuch ho sakata hai.....

    jai baba banaras.......

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  8. हां , आपकी मूल भावना से सहमत किंतु इस तर्क से नहीं कि पूरा देश ही जेल चला जाएगा , अगर बिल के बिना सामान खरीदना जुर्म है तो उसमें सबसे बडा मुजरिम दुकानदार है न कि खरीदनेवाला ग्राहक क्योंकि बहुत बार दुकानदार को सामान तक का नाम नहीं पता होता वो बस बता भर देता है कि उसे क्या चाहिए उस हालत में बिल का तो कहना ही क्या ??

    एक तबका वो भी है जो इन बिलों , मेट्रो से बहुत दूर है ..अपना पेट ही किसी तरह से भर पा रहा है ..वो किसी जुर्म में जेल नहीं जाएगा ..और उन्हें भी नहीं जाना चाहिए जो वाकई अब भी इंसान बने रहने की कोशिश में हैं ।


    मेट्रो में चढने के दौरान धक्कामुक्की करना , क्या टू जी थ्री जी या कॉमनवेल्थ घोटाले जैसा ही अपराध है ? और इनके लिए तो सिविक सेंस को पैदा करना होगा , फ़िर वो चाहे एक पारिवारिक जिम्मेदारी हो या सामाजिक या कि प्रशासनिक डंडे से लाई जाए । भ्रष्टाचार के व्यापक स्वरूप को देखना होगा और जाहिर सी बात है कि पहले मगरमच्छों को पकडा जाना चाहिए मछलियां तो खुद गिरफ़्त में आ जाएंगी ..लेकिन एक आखिरी बात ये कि आपकी मूल भावना से पूर्णत: सहमत कि , हां हम सब , पूरा देश आज इस स्थिति के लिए जिम्मेदार है इसे नकारा नहीं जा सकता

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  9. रचना (जी) की बात पर याद आया

    चार साल पहले मैंने भी यही कहा था कि
    मतों की विभिन्रता, समुदायों की भरमार के बावजूद अगर क़ानून का कड़ाई से पालन हो, तो कुछ हो सकता है, वरना सारी कसरतें बेकार हैं.


    http://newsforums.bbc.co.uk/ws/en/thread.jspa?forumID=3753&start=105&sortBy=2

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