मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

June 11, 2009

ब्लोगिंग आप के मस्तिष्क की आवाज हैं Blogging is the VOICE OF MIND

ब्लोगिंग आवाज हैं दिमाग की { Blogging is the VOICE OF MIND }. । अभिव्यकी की स्वतंत्रता हैं ब्लोगिंग मे वही आप आज क्या कह रहे हैं और कल क्या कहा था इन दोनों को मिलान कर के भी देखा जा सकता हैं । अगर आप के विचार बदलते रहते हैं तो सही और अच्छा हैं क्युकी शायद आप कुछ सीख रहे हैं । पर जब आप अपनी सहूलियत के लिये और अपने ब्लॉग की टी आर पी बढ़ाने के लिये लिखते हैं तो आप केवल और केवल अपनी पोप्युलैरिटी के लिये लिखते हैं । आप एक झूठ को जी रहे हैं ।


हिन्दी ब्लोगिंग मे लोग अपनी पोस्ट पर लिंक्स बहुत कम देते हैं क्युकी वो वाद विवाद से हट कर बस लिख देते हैं । लिंक दे कर एक पोस्ट को दूसरी पोस्ट से जोड़ा जा सकता हैं और आम ब्लॉगर तक अपनी आवाज पहुचाई जा सकती हैं ।
आम ब्लॉगर यानी एक आम आदमी जिसकी ताकत का अंदाजा लगना मुश्किल । हमेशा डर कर जीता हैं इसलिये लोग उसको डरपोक समझ लेते हैं । जिन लोगो ने A Wednesday न देखी हो जरुर देखे ।

अपने अपने मुद्दे तलाश ले और ब्लोगिंग करे क्युकी ब्लोगिंग आप के मस्तिष्क की आवाज हैं और इस आवाज को जितनी दूर तक ले जाना चाहे उतना ले जाए । जो नहीं अच्छा लगता उसका विरोध करे और इतना विरोध करे की दूसरा उस काम को करना बंद कर दे । अगर आप विरोध नहीं करेगे तो जो आप को नहीं अच्छा लगता हैं वही आप को पढ़ना पडेगा और वही करना पडेगा ।

अपनी सोच पर टिकना सीखे , ढूल मूल बात को लिखने से क्या फायदा , बे पेंदी के लोटे की तरह ब्लॉग ना लिखे ।

post courtsey
1
2
3

पोस्ट को पढने का मजा तभी आयेगा जब पाठक हर लिंक को क्लिक करेगा और उस लिंक पर जा कर , फिर वहाँ दिये गए लिंक को पढेगा और वापस ओरिजनल पोस्ट पर आ कर अपनी बात कहेगा कमेन्ट मे । पुराने लिंक आप को ये बताते हैं की किसने किस वक्त क्या कहा और फिर अपने वक्त मे कितना बदल कर कहा ।

लिंक देने से परहेज क्यूँ और लिंक पढने से परहेज क्यों ???

8 comments:

  1. नहीं, लिंक पढ़ने से कैसा परहेज ? हम तो जी भर कर पढ़ते हैं । जरूरत के अनुसार देते भी हैं अपनी पोस्ट्स में ।

    ReplyDelete
  2. हम तो ऐसी पोस्ट ही नहीं देते जिसमे लिंक लगाने की गुंजाइश हो :(

    वीनस केसरी

    ReplyDelete
  3. जहाँ ज़रूरी हो वहाँ सन्दर्भ हेतु लिंक देना चाहिये ताकि पाठक वांछित जानकारी प्राप्त कर सके क्योकि ब्लॉग सिर्फ आपके दिमाग की आवाज़ नहीं मनुष्य द्वारा अब तक प्राप्त अनुभवों को अन्य मनुष्यों तक पहुंचाने का माध्यम है

    ReplyDelete
  4. 'पोस्ट को पढने का मजा तभी आयेगा जब पाठक हर लिंक को क्लिक करेगा और उस लिंक पर जा कर , फिर वहाँ दिये गए लिंक को पढेगा और वापस ओरिजनल पोस्ट पर आ कर अपनी बात कहेगा कमेन्ट मे । पुराने लिंक आप को ये बताते हैं की किसने किस वक्त क्या कहा और फिर अपने वक्त मे कितना बदल कर कहा।'
    इसमें शक है कि सबके पास इतना समय है।

    ReplyDelete
  5. और लिंक जोडते समय परमीशन जरूर वो भी लिखित मे ले ले ताकी कल कोई सिरफ़िरा आपको सम्मन भेज कर अदालत मे खडा ना कर सके :)

    ReplyDelete
  6. बहुत अच्छा सुझाव है..

    ReplyDelete

Blog Archive